मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने 2013 के नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में बिल्डर और शिवसेना विधायक प्रताप सरनायक के सहयोगी योगेश देशमुख को प्रदान की गई जमानत को रद्द करने से बुधवार को इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति एस के शिंदे ने देशमुख की जमानत रद्द करने की मांग वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अर्जी खारिज कर दी.
देशमुख को पिछले महीने एक विशेष अदालत ने 2013 के एनएसईएल घोटाले में जमानत दी थी. ईडी ने इस जमानत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
देशमुख के वकीलों राजीव चव्हाण और अनिकेत निकम ने तर्क दिया कि पांच महीने पहले उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी के बाद से मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है.
विशेष अदालत ने देशमुख की पहली जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जांच जारी है और उन्हें जमानत पर रिहा करने से जांच बाधित होगी. हालांकि, विशेष अदालत ने देशमुख को उनकी दूसरी अर्जी पर जमानत देते हुये टिप्पणी की थी कि जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है और मामले के सह-अभियुक्तों को गिरफ्तारी से छूट दी गई है.
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एनएसईएल घोटाले के पैसे से कथित रूप से 11 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए सरनाइक की कंपनी की जांच की जा रही है.
आरोप है कि आस्था ग्रुप के एक व्यक्ति ने एनएसईएल को 250 करोड़ रुपये का चूना लगाया था और सरनाइक की कंपनी विहंग ग्रुप ने इस पैसे को सफेद धन में परिवर्तित करने में मदद की थी.
(पीटीआई-भाषा)