नई दिल्ली: जामिया हिंसा मामले में आसिफ इकबाल तन्हा, शरजील इमाम समेत 11 आरोपियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दिया गया ऑब्जर्वेशन आरोपियों के अन्य किसी मुकदमे को प्रभावित नहीं करेगा. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 मार्च को सूचीबद्ध किया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी. इसलिए आज की परिस्थिति में कोई स्टे आर्डर की आवश्यकता नहीं है. हाईकोर्ट कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को तलब किया है.
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का पुलिस की आगे की जांच या मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर, मो. अबुजर, उमैर अहमद, मो. शोएब, महमूद अनवर, मो. कासिम, मो. बिलाल नदीम, शहजर रजा खान और चंदा यादव को डिस्चार्ज कर दिया था. केवल मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किए थे. साकेत कोर्ट परिसर स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल अग्रवाल की अदालत ने यह आदेश दिया था. मामले से जुड़ी प्राथमिकी में दंगे और गैरकानूनी सभा लगाने की धारा के तहत अपराध शामिल थे. आईपीसी की धारा 143, 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341, 120बी और 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. कोर्ट ने इस मामले में मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किए हैं, भड़काऊ भाषण और असंवैधानिक तौर पर सभा करने के मामले में आरोपी बनाया गया है.
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दिल्ली पुलिस के मुताबिक 15 दिसंबर 2019 को पुलिस को सूचना मिली कि न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में कुछ प्रदर्शनकारियों ने CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सड़क जाम कर दी है. इस मामले में जांच के दौरान यह साफ हुआ कि 13 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम ने जामिया इलाके में एक भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद 15 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया. इसके बाद शरजील इमाम के खिलाफ पुलिस ने देशद्रोह और दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था.
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