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उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने खंडपीठ के आदेश को 'दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर' बताया - पश्चिम बंगाल में स्कूलों में नियुक्तियों में कथित अनियमितताएं

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, मुझे यह कहते हुए अफसोस है कि यह अपीलीय अदालत द्वारा व्यक्त किए गए दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर है, जिसके बारे में उसे अच्छी तरह पता है, लेकिन न्यायिक अनुशासन बनाए रखने के लिए मुझे इस तरह के आदेश को स्वीकार करना होगा.

कलकत्ता उच्च न्यायालय
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Published : Mar 31, 2022, 7:16 AM IST

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में उनके निर्देश को चुनौती देने वाली एक अपील पर निर्देश पारित करने वाली खंडपीठ के आदेश को बुधवार को 'दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर' बताया. न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के पूर्व सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा को अपनी संपत्ति का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.

निर्देश के खिलाफ सिन्हा द्वारा अपील करने के बाद न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की एक खंडपीठ ने आदेश दिया कि हलफनामा एक सीलबंद लिफाफे में रहेगा और इसे मुकदमेबाजी करने वाले पक्षों को नहीं बताया जाएगा तथा संबंधित मुद्दों पर अंतिम निर्णय के समय इसका उचित रूप से निस्तारण किया जाएगा.

पढ़ें: कर्नाटक में लौह अयस्क के निर्यात पर केंद्र अपना रुख स्पष्ट करे : SC

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, मुझे यह कहते हुए अफसोस है कि यह अपीलीय अदालत द्वारा व्यक्त किए गए दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर है, जिसके बारे में उसे अच्छी तरह पता है, लेकिन न्यायिक अनुशासन बनाए रखने के लिए मुझे इस तरह के आदेश को स्वीकार करना होगा. उन्होंने मामले की सुनवाई पांच अप्रैल तक स्थगित कर दी.

पीटीआई-भाषा

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में उनके निर्देश को चुनौती देने वाली एक अपील पर निर्देश पारित करने वाली खंडपीठ के आदेश को बुधवार को 'दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर' बताया. न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के पूर्व सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा को अपनी संपत्ति का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.

निर्देश के खिलाफ सिन्हा द्वारा अपील करने के बाद न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की एक खंडपीठ ने आदेश दिया कि हलफनामा एक सीलबंद लिफाफे में रहेगा और इसे मुकदमेबाजी करने वाले पक्षों को नहीं बताया जाएगा तथा संबंधित मुद्दों पर अंतिम निर्णय के समय इसका उचित रूप से निस्तारण किया जाएगा.

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न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, मुझे यह कहते हुए अफसोस है कि यह अपीलीय अदालत द्वारा व्यक्त किए गए दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर है, जिसके बारे में उसे अच्छी तरह पता है, लेकिन न्यायिक अनुशासन बनाए रखने के लिए मुझे इस तरह के आदेश को स्वीकार करना होगा. उन्होंने मामले की सुनवाई पांच अप्रैल तक स्थगित कर दी.

पीटीआई-भाषा

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