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HC ने दिल्ली पुलिस से पूछा - क्या वीजा पर आए तबलीगी जमात के विदेशी नागरिकों को पनाह देने पर रोक है

क्या वैध वीजा पर विदेश से आए तबलीगी जमात के लोगों को पनाह देने पर रोक है. दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने यह सवाल दिल्ली पुलिस से पूछा है. पढ़िए हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से और क्या-क्या कहा.

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दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Dec 6, 2021, 5:52 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि क्या किसी भारतीय नागरिक को वैध पासपोर्ट के जरिये भारत आए तबलीगी जमात के विदेशी नागरिकों को अपने आवास पर रखने से मनाही है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने दिल्ली पुलिस से ये सवाल तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों के मामले की सुनवाई के दौरान पूछा. मामले की अगली सुनवाई चार जनवरी 2022 को होगी.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि जब लॉकडाउन लगाया गया तो सभी लोग ठहर से गए, लेकिन तबलीगी जमात के आरोपी प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाते रहे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील आशीमा मंडला ने कहा कि विदेशी नागरिकों के खिलाफ FIR नंबर 63/2020 में चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि ऐसे ही आरोपों के लिए एक और FIR क्राइम ब्रांच ने दर्ज की है.

इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील से कहा कि एक ही आरोपों के लिए दो FIR कैसे दर्ज की जा सकती है. क्या ये कानून में संभव है. तब दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसका क्राइम ब्रांच की चार्जशीट से कोई संबंध नहीं है. तब कोर्ट ने कहा कि संबंध नहीं होने का क्या मतलब है. क्या एक ही आरोपों के लिए दो बार चार्जशीट दाखिल की जा सकती है. ऐसा नहीं होता है. आप कोर्ट को आधी-अधूरी जानकारी दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें - कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्कूल भर्ती अनियमितताओं में सीबीआई जांच का आदेश निरस्त किया

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस बात के लिए फटकार लगाई कि इस मामले में कोई जांच नहीं हुई है. 12 नवंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों के निजामुद्दीन मरकज में रुकने से किस आदेश या नोटिफिकेशन का उल्लंघन हुआ. साथ ही कोर्ट ने पूछा था कि जब लॉकडाउन लगाया गया था तो लोग अपने घरों से निकल नहीं सकते थे. उस समय कोई कैसे अपना ठिकाना बदल सकता है.

ऐसी परिस्थिति में किस आदेश का उल्लंघन किया गया है. सुनवाई के दौरान आशीमा मंडला ने कहा था कि दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज FIR में केवल ये कहा गया है कि आरोपी निजामुद्दीन मरकज में रहते थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने ये नहीं कहा कि वहां धार्मिक आयोजन चल रहा था.

मंडला ने कहा था कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि वे कोरोना की बीमारी फैला रहे हैं, लेकिन ये आरोप तब साबित होगा जब ये पता चले कि आरोपी कोरोना से संक्रमित थे, लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं है. मंडला ने अलग-अलग FIR का जिक्र किया था जिसमें कुछ लोगों को इसलिए आरोपी बनाया गया क्योंकि उन्होंने तबलीगी जमात के सदस्यों को पनाह दी थी.

तबलीगी जमात के मुताबिक, महिलाओं को मरकज में रहने की अनुमति नहीं है. इस वजह से विदेश से आने वाली महिलाएं निजी मकानों में जाकर ठहरीं. बता दें कि मार्च 2020 में निजामुद्दीन के मरकज में हुए कार्यक्रम में तबलीगी जमात के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे. उसके बाद प्रशासन ने तबलीगी जमात के लोगों को बाहर निकाल कर कई क्वारंटाइन सेंटर में भेजा गया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि क्या किसी भारतीय नागरिक को वैध पासपोर्ट के जरिये भारत आए तबलीगी जमात के विदेशी नागरिकों को अपने आवास पर रखने से मनाही है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने दिल्ली पुलिस से ये सवाल तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों के मामले की सुनवाई के दौरान पूछा. मामले की अगली सुनवाई चार जनवरी 2022 को होगी.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि जब लॉकडाउन लगाया गया तो सभी लोग ठहर से गए, लेकिन तबलीगी जमात के आरोपी प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाते रहे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील आशीमा मंडला ने कहा कि विदेशी नागरिकों के खिलाफ FIR नंबर 63/2020 में चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि ऐसे ही आरोपों के लिए एक और FIR क्राइम ब्रांच ने दर्ज की है.

इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील से कहा कि एक ही आरोपों के लिए दो FIR कैसे दर्ज की जा सकती है. क्या ये कानून में संभव है. तब दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसका क्राइम ब्रांच की चार्जशीट से कोई संबंध नहीं है. तब कोर्ट ने कहा कि संबंध नहीं होने का क्या मतलब है. क्या एक ही आरोपों के लिए दो बार चार्जशीट दाखिल की जा सकती है. ऐसा नहीं होता है. आप कोर्ट को आधी-अधूरी जानकारी दे रहे हैं.

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कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस बात के लिए फटकार लगाई कि इस मामले में कोई जांच नहीं हुई है. 12 नवंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों के निजामुद्दीन मरकज में रुकने से किस आदेश या नोटिफिकेशन का उल्लंघन हुआ. साथ ही कोर्ट ने पूछा था कि जब लॉकडाउन लगाया गया था तो लोग अपने घरों से निकल नहीं सकते थे. उस समय कोई कैसे अपना ठिकाना बदल सकता है.

ऐसी परिस्थिति में किस आदेश का उल्लंघन किया गया है. सुनवाई के दौरान आशीमा मंडला ने कहा था कि दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज FIR में केवल ये कहा गया है कि आरोपी निजामुद्दीन मरकज में रहते थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने ये नहीं कहा कि वहां धार्मिक आयोजन चल रहा था.

मंडला ने कहा था कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि वे कोरोना की बीमारी फैला रहे हैं, लेकिन ये आरोप तब साबित होगा जब ये पता चले कि आरोपी कोरोना से संक्रमित थे, लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं है. मंडला ने अलग-अलग FIR का जिक्र किया था जिसमें कुछ लोगों को इसलिए आरोपी बनाया गया क्योंकि उन्होंने तबलीगी जमात के सदस्यों को पनाह दी थी.

तबलीगी जमात के मुताबिक, महिलाओं को मरकज में रहने की अनुमति नहीं है. इस वजह से विदेश से आने वाली महिलाएं निजी मकानों में जाकर ठहरीं. बता दें कि मार्च 2020 में निजामुद्दीन के मरकज में हुए कार्यक्रम में तबलीगी जमात के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे. उसके बाद प्रशासन ने तबलीगी जमात के लोगों को बाहर निकाल कर कई क्वारंटाइन सेंटर में भेजा गया था.

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