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उच्च कार्बन उत्सर्जन कोविड-19 के फैलने का मुख्य कारण : अध्ययन - ग्लोबल वार्मिंग

कोरोना संक्रमण के फैलने की एक वजह ग्लोबल वार्मिंग को भी माना जा रहा है. इस विषय में 'जियो हेल्थ' पत्रिका के दिसम्बर 2020 के संस्करण में चर्चा की गई है. जानें, कोरोना के फैलने की वजह के बारे में अध्ययन क्या कहता है ...

उच्च कार्बन उत्सर्जन
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Published : Apr 28, 2021, 4:17 PM IST

हैदराबाद : ग्लोबल वार्मिंग अब केवल मौसम में बदलाव, समुद्र जल के स्तर में बढ़ोतरी और सूखे जैसी आपदा तक सीमित नहीं रह गया है. इसे कोरोना संक्रमण के फैलने की वजह भी माना जा रहा है. 'जियो हेल्थ' पत्रिका के दिसम्बर 2020 के संस्करण में कोरोना के फैलने की वजह पर चर्चा की गई है.

एक अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना महामारी 27-32 डिग्री सेल्सियस तापमान और 25-45 डिग्री सेल्सियस की आर्द्रता वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक फैल रही है. जबकि दक्षिण एशिया के क्षेत्रों में अत्यधिक तापमान और मौसम में बदलाव का खतरा अधिक रहता है. इन इलाकों में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन खतरे के निशान पर है.

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि उच्च कार्बन उत्सर्जन वाले इलाके कोविड फैलने के केंद्र हैं. सरकार को इसके प्रति सतर्क रहने की जरूरत है. न केवल मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई जैसे अधिक आबादी वाले शहरों में, बल्कि उच्च कार्बन उत्सर्जन वाले इलाकों में भी ध्यान देने की जरूरत है.

पढ़ेंः जम्मू कश्मीर के तंगधार में मिला 50 करोड़ रुपये मूल्य का मादक पदार्थ

जियोलॉजिस्ट डॉ. जीवीएल विजयकुमार के मुताबिक, आबादी वाले क्षेत्रों में कोरोना के कहर से मृत्यु दर और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है.

प्रारंभ में कोविड के मामलों की संख्या शून्य से दस डिग्री सेल्सियस तक के तापमान वाले देशों और शहरों तक सीमित था. लेकिन बाद में ब्राजील, पेरू और सिंगापुर जैसे उष्ण कटिबंधीय देशों में भी पैर पसारने लगा. भारत में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश समेत महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु में वायरस का प्रकोप अधिक है.

पढ़ेंः कोरोना टीकाकरण : 18 साल से ऊपर वालों के लिए आज से पंजीकरण

उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के साथ कोविड महामारी का फैलना सिक्के का एक पहलु है. जबकि पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाला प्लास्टिक इस बीमारी के फैसले का अन्यतम कारण है. अस्पतालों में कोरोना योद्धाओं द्वारा कोविड से बचने के लिए उपयोग किए जा रहे दस्तानों और मास्क के रोजाना ढेर लग जाते हैं.

शॉपिंग मॉल और ऑफिस में प्लास्टिक और डिस्पोजेबल बैग का बढ़ता उपयोग पहले ही हमारे लिए खतरा बन चुका है. अब दस्तानों और मास्क जैसे प्लास्टिक कचरे इन खतरों को बढ़ावा दे रहे हैं. वहीं, कोविड के कारण इन सामानों के उपयोग के साथ लोग अपनी गाड़ियों और जरूरत के सामानों का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं, जिससे सामाजिक दूरता बनाए रखना मुश्किल हो गया है.

हैदराबाद : ग्लोबल वार्मिंग अब केवल मौसम में बदलाव, समुद्र जल के स्तर में बढ़ोतरी और सूखे जैसी आपदा तक सीमित नहीं रह गया है. इसे कोरोना संक्रमण के फैलने की वजह भी माना जा रहा है. 'जियो हेल्थ' पत्रिका के दिसम्बर 2020 के संस्करण में कोरोना के फैलने की वजह पर चर्चा की गई है.

एक अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना महामारी 27-32 डिग्री सेल्सियस तापमान और 25-45 डिग्री सेल्सियस की आर्द्रता वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक फैल रही है. जबकि दक्षिण एशिया के क्षेत्रों में अत्यधिक तापमान और मौसम में बदलाव का खतरा अधिक रहता है. इन इलाकों में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन खतरे के निशान पर है.

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि उच्च कार्बन उत्सर्जन वाले इलाके कोविड फैलने के केंद्र हैं. सरकार को इसके प्रति सतर्क रहने की जरूरत है. न केवल मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई जैसे अधिक आबादी वाले शहरों में, बल्कि उच्च कार्बन उत्सर्जन वाले इलाकों में भी ध्यान देने की जरूरत है.

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जियोलॉजिस्ट डॉ. जीवीएल विजयकुमार के मुताबिक, आबादी वाले क्षेत्रों में कोरोना के कहर से मृत्यु दर और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है.

प्रारंभ में कोविड के मामलों की संख्या शून्य से दस डिग्री सेल्सियस तक के तापमान वाले देशों और शहरों तक सीमित था. लेकिन बाद में ब्राजील, पेरू और सिंगापुर जैसे उष्ण कटिबंधीय देशों में भी पैर पसारने लगा. भारत में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश समेत महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु में वायरस का प्रकोप अधिक है.

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उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के साथ कोविड महामारी का फैलना सिक्के का एक पहलु है. जबकि पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाला प्लास्टिक इस बीमारी के फैसले का अन्यतम कारण है. अस्पतालों में कोरोना योद्धाओं द्वारा कोविड से बचने के लिए उपयोग किए जा रहे दस्तानों और मास्क के रोजाना ढेर लग जाते हैं.

शॉपिंग मॉल और ऑफिस में प्लास्टिक और डिस्पोजेबल बैग का बढ़ता उपयोग पहले ही हमारे लिए खतरा बन चुका है. अब दस्तानों और मास्क जैसे प्लास्टिक कचरे इन खतरों को बढ़ावा दे रहे हैं. वहीं, कोविड के कारण इन सामानों के उपयोग के साथ लोग अपनी गाड़ियों और जरूरत के सामानों का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं, जिससे सामाजिक दूरता बनाए रखना मुश्किल हो गया है.

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