ETV Bharat / bharat

राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा पर जानें विशेषज्ञों की राय

author img

By

Published : Feb 27, 2022, 8:26 PM IST

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने बुधवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को अगले साल से फिर से शुरू करने की घोषणा की है. हालांकि, आर्थिक मामलों के जानकारों ने इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.

gehlot
अशोक गहलोत

नई दिल्ली : राजस्थान के मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के कर्मचारियों की एक बड़ी और लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने का ऐलान किया है. कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को अगले साल से फिर से शुरू करने की तैयारी हो रही है. हालांकि, विशेषज्ञों की राय है कि इस कदम का राजकोषीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है. आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि ओपीएस की शुरुआत से भविष्य में राजस्थान को दिवालिया भी बना सकता है.

वैल्यू रिसर्च के अर्थशास्त्री और सीईओ धीरेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, राजस्थान में ओपीएस लागू करने का फैसला बहुत महत्वपूर्ण है. सभी राज्यों में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू की जानी है. ऐसे में राजस्थान में ओपीएस बड़ी पहल है. उन्होंने कहा, पुरानी पेंशन प्रणाली वापस लागू किए जाने का मतलब है कि सभी लोगों को लाभ मिलेगा. किसी को भी इसमें कोई आर्थिक योगदान नहीं देना होगा.

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह राज्य सरकार के वित्तीय कोष पर दबाव डालेगा. आने वाले 10 साल में सरकार को अपना अधिकांश टैक्स वेतन और पेंशन पर खर्च करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, एनपीएस लाने का मकसद पेंशन भुगतान की लागत में कटौती करना था. ओपीएस के तहत, कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फार्मूले के तहत पेंशन मिलती है जो कि अंतिम आहरित वेतन का आधा होता है.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर यह योजना लागू हो जाती है तो सरकार को या तो सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है या इस योजना के तहत उच्च पेंशन बिल के भुगतान के लिए अधिक उधार लेना पड़ सकता है. अर्थशास्त्री ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जो गैर-परक्राम्य है. हमें समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान करना होगा और वह भी हर महीने. यह एक उत्पादक व्यय नहीं है क्योंकि तब सरकार बुनियादी ढांचे या किसी अन्य चीज पर खर्च करने के लिए उधार ले रही है जो अर्थव्यवस्था में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है. यह कुछ ऐसा है जो राज्य सरकार को दिवालिया बना सकता है.

इस मामले के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने जवाब दिया कि नहीं, यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण कदम होगा. सरकार लोगों के कल्याण के लिए है, न कि केवल अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए है. जैसा कि बजट 2022-23 ने 23,488.56 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे और 58,211.55 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है, जो कि जीएसडीपी का 4.36 प्रतिशत है, गहलोत ने यह उल्लेख नहीं किया कि पुरानी पेंशन योजना राज्य के वित्त पर कितना वित्तीय बोझ डालेगी.

यह भी पढ़ें- राजस्थान सरकार की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा बन सकती है बड़ा चुनावी 'मुद्दा'

वर्ष 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पेंशन सुधारों पर सीएम सम्मेलन में एक भाषण के दौरान इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कहा था कि अन्य मांगों को देखते हुए सरकार के सभी स्तरों पर बढ़ते पेंशन बिलों को भविष्य में वित्त करना मुश्किल होगा. विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसे आवश्यक सामाजिक क्षेत्रों पर हमारे व्यय को बढ़ाने के लिए यह जरूरी है.

नई दिल्ली : राजस्थान के मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के कर्मचारियों की एक बड़ी और लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने का ऐलान किया है. कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को अगले साल से फिर से शुरू करने की तैयारी हो रही है. हालांकि, विशेषज्ञों की राय है कि इस कदम का राजकोषीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है. आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि ओपीएस की शुरुआत से भविष्य में राजस्थान को दिवालिया भी बना सकता है.

वैल्यू रिसर्च के अर्थशास्त्री और सीईओ धीरेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, राजस्थान में ओपीएस लागू करने का फैसला बहुत महत्वपूर्ण है. सभी राज्यों में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू की जानी है. ऐसे में राजस्थान में ओपीएस बड़ी पहल है. उन्होंने कहा, पुरानी पेंशन प्रणाली वापस लागू किए जाने का मतलब है कि सभी लोगों को लाभ मिलेगा. किसी को भी इसमें कोई आर्थिक योगदान नहीं देना होगा.

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह राज्य सरकार के वित्तीय कोष पर दबाव डालेगा. आने वाले 10 साल में सरकार को अपना अधिकांश टैक्स वेतन और पेंशन पर खर्च करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, एनपीएस लाने का मकसद पेंशन भुगतान की लागत में कटौती करना था. ओपीएस के तहत, कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फार्मूले के तहत पेंशन मिलती है जो कि अंतिम आहरित वेतन का आधा होता है.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर यह योजना लागू हो जाती है तो सरकार को या तो सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है या इस योजना के तहत उच्च पेंशन बिल के भुगतान के लिए अधिक उधार लेना पड़ सकता है. अर्थशास्त्री ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जो गैर-परक्राम्य है. हमें समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान करना होगा और वह भी हर महीने. यह एक उत्पादक व्यय नहीं है क्योंकि तब सरकार बुनियादी ढांचे या किसी अन्य चीज पर खर्च करने के लिए उधार ले रही है जो अर्थव्यवस्था में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है. यह कुछ ऐसा है जो राज्य सरकार को दिवालिया बना सकता है.

इस मामले के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने जवाब दिया कि नहीं, यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण कदम होगा. सरकार लोगों के कल्याण के लिए है, न कि केवल अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए है. जैसा कि बजट 2022-23 ने 23,488.56 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे और 58,211.55 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है, जो कि जीएसडीपी का 4.36 प्रतिशत है, गहलोत ने यह उल्लेख नहीं किया कि पुरानी पेंशन योजना राज्य के वित्त पर कितना वित्तीय बोझ डालेगी.

यह भी पढ़ें- राजस्थान सरकार की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा बन सकती है बड़ा चुनावी 'मुद्दा'

वर्ष 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पेंशन सुधारों पर सीएम सम्मेलन में एक भाषण के दौरान इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कहा था कि अन्य मांगों को देखते हुए सरकार के सभी स्तरों पर बढ़ते पेंशन बिलों को भविष्य में वित्त करना मुश्किल होगा. विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसे आवश्यक सामाजिक क्षेत्रों पर हमारे व्यय को बढ़ाने के लिए यह जरूरी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.