देहरादून : उत्तराखंड चारधाम के कपाट खुलने की तिथियां घोषित हो चुकी हैं. तय किए गए तिथि के अनुसार 14 मई को गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम, 17 मई को केदारनाथ धाम और 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे. वहीं, उत्तराखंड में चारधाम के कपाट खुलने से पहले हेमकुंड साहिब के कपाट खोले जाएंगे.
हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने 10 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खोलने का निर्णय लिया है. इस सिलसिले में हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात की और यह जानकारी उपलब्ध कराई. मुख्यमंत्री की अपेक्षानुसार हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट द्वारा इस वर्ष हेमकुंड साहिब के कपाट एक जून की जगह 10 मई को खोले जाएं. ऐसे में 10 मई को कपाट खुलने के साथ ही हेमकुंड साहिब के लिए यात्रा शुरू हो जाएगी.
सीजन में ज्यादा आएंगे श्रद्धालु
हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि पिछले साल वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते हेमकुंड साहिब की यात्रा सही ढंग से नहीं चल पाई. साथ ही पिछले साल यात्रियों की संख्या भी बेहद कम रही. जिसके बाद हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया कि इस सीजन हेमकुंड साहिब के कपाट 10 मई को खोले जाएंगे. ताकि इस सीजन अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालु हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आ सकें.
हेमकुंड में दशम ग्रंथ की रचना
ऐसी मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ को यहां लिखा था. बता दें कि हेमकुंड साहिब चमोली जिले के उच्च हिमालई क्षेत्र में स्थित है. यह तीर्थ स्थल करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. हर साल लाखों की संख्या में सिख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
इस तरह से पहुंचे हेमकुंड साहिब
ऋषिकेश से 280 किमी गोविंदघाट तक वाहन मार्ग से आने के बाद यहां से पुलना तक चार किमी सड़क सुविधा है. पुलना गांव से हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया की दूरी 10 और यहां से हेमकुंड साहिब छह किमी पर स्थित है. पैदल यात्रा के दौरान घोड़े, डंडी, कंडी की सुविधा है. गोविंदघाट और घांघरिया में गुरुद्वारे हैं, जहां पर यात्रियों के लिए लंगर और रहने के लिए कमरे उपलब्ध हैं. इसके अलावा यहां पर होटल, रेस्टोरेंट भी हैं.
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फूलों की घाटी भी घूमें
हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया से फूलों की घाटी के लिए भी रास्ता है. फूलों की घाटी घांघरिया से तीन किमी पैदल चलकर पहुंची जा सकती है. घांघरिया में ही फूलों की घाटी यात्रा का बेस कैंप है. इस घाटी में 530 प्रजाति के फूल खिलते हैं. 2005 में यह घाटी विश्व धरोहर घोषित हुई है.