ETV Bharat / bharat

Umar Khalid Case : UAPA मामले में उमर खालिद की सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई टली - UAPA मामले में उमर खालिद की जमानत

इससे पहले पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था क्योंकि उमर खालिद के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कुछ कारणों से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाये थे. पढ़ें पूरी खबर...

Umar Khalid Case
उमर खालिद की फाइल फोटो
author img

By PTI

Published : Sep 12, 2023, 12:09 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई मंगलवार को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. खालिद पर फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है. मंगलवार को इसी मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी गई. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

इस मामले में खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल बेंच के समक्ष पेश हुए. उन्होंने खालिद का पक्ष रखते हुए बेंच के समक्ष कहा कि इस मामले में, हमें दस्तावेज-दर-दस्तावेज देखना होगा. आरोपों के संबंध में क्या सबूत उपलब्ध हैं, इस पर आप कुछ दाखिल करें. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने 9 अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

उमर खालिद ने 18 अक्टूबर, 2022 दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. पहले उनकी याचिका न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी. उच्च न्यायालय ने खालिद की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में थे और उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही थे.

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरोपियों की हरकतें प्रथम दृष्टया गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत 'आतंकवादी कृत्य' के रूप में मामले के योग्य हैं. खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के 'मास्टरमाइंड' होने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है. फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे. पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक इन दंगों में 700 से अधिक लोग घायल हो गए.

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खालिद ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही मामले में किसी अन्य आरोपी के साथ कोई 'षड्यंत्रकारी संबंध' था.

ये भी पढ़ें

दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय में खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके द्वारा दिया गया भाषण 'बहुत ही सोच समझ' कर दिया गया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि उन्होंने अपने भाषण में बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कश्मीर, मुसलमानों के कथित दमन और सीएए और एनआरसी जैसे विवादास्पद मुद्दों को उठाया था.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई मंगलवार को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. खालिद पर फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है. मंगलवार को इसी मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी गई. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

इस मामले में खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल बेंच के समक्ष पेश हुए. उन्होंने खालिद का पक्ष रखते हुए बेंच के समक्ष कहा कि इस मामले में, हमें दस्तावेज-दर-दस्तावेज देखना होगा. आरोपों के संबंध में क्या सबूत उपलब्ध हैं, इस पर आप कुछ दाखिल करें. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने 9 अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

उमर खालिद ने 18 अक्टूबर, 2022 दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. पहले उनकी याचिका न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी. उच्च न्यायालय ने खालिद की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में थे और उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही थे.

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरोपियों की हरकतें प्रथम दृष्टया गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत 'आतंकवादी कृत्य' के रूप में मामले के योग्य हैं. खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के 'मास्टरमाइंड' होने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है. फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे. पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक इन दंगों में 700 से अधिक लोग घायल हो गए.

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खालिद ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही मामले में किसी अन्य आरोपी के साथ कोई 'षड्यंत्रकारी संबंध' था.

ये भी पढ़ें

दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय में खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके द्वारा दिया गया भाषण 'बहुत ही सोच समझ' कर दिया गया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि उन्होंने अपने भाषण में बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कश्मीर, मुसलमानों के कथित दमन और सीएए और एनआरसी जैसे विवादास्पद मुद्दों को उठाया था.

(पीटीआई)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.