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अशोक गहलोत के खिलाफ गजेंद्र सिंह शेखावत की मानहानि याचिका पर सुनवाई टली, अगली सुनवाई 15 दिसंबर को

Sekhawat defamation case: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने अशोक गहलोत के खिलाफ गजेंद्र सिंह शेखावत की मानहानि याचिका पर सुनवाई टाल दी. कोर्ट ने इस मामले पर 15 दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 5, 2023, 4:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में आरोपी तय करने के मामले पर सुनवाई टाल दिया. एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को करने का आदेश दिया है. आज कोर्ट को बताया गया कि अशोक गहलोत को समन जारी करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में दायर अर्जी पर 7 दिसंबर को फैसला आना है. उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए कहा कि सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद सुनवाई होगी.

21 नवंबर को एडिशनल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोप तय करने में दोनों पक्षों की आंशिक दलीलें सुनी थी. सुनवाई के दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने कहा था कि अशोक गहलोत के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त तथ्य हैं. 16 अक्टूबर को अशोक गहलोत की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने हाईकोर्ट में लंबित केस से जुड़े दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने की मांग की थी.

रमेश गुप्ता ने कहा था कि गहलोत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जो भी बोला है वो सत्य बोला है. उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत से एफआईआर नंबर 32/19 में पूछताछ की गई थी. उन्होंने कहा था कि जो तथ्य हैं उससे साफ है कि गजेंद्र सिंह शेखावत आरोपी हैं. उसकी जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) कर रही है. उन्होंने कहा था कि आरोपी राज्य के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने राज्य के हित में सत्य बोला है. ऐसे में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है.

19 सितंबर को कोर्ट ने अशोक गहलोत की बरी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया था. गहलोत की ओर से बरी करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने 6 जुलाई को बतौर आरोपी अशोक गहलोत को समन जारी किया था. दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट दाखिल किया था. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं. शेखावत ने कहा था कि गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं.

यह है पूरा मामला: शेखावत की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है. मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली.

घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को, एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की.

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में आरोपी तय करने के मामले पर सुनवाई टाल दिया. एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को करने का आदेश दिया है. आज कोर्ट को बताया गया कि अशोक गहलोत को समन जारी करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में दायर अर्जी पर 7 दिसंबर को फैसला आना है. उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए कहा कि सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद सुनवाई होगी.

21 नवंबर को एडिशनल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोप तय करने में दोनों पक्षों की आंशिक दलीलें सुनी थी. सुनवाई के दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने कहा था कि अशोक गहलोत के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त तथ्य हैं. 16 अक्टूबर को अशोक गहलोत की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने हाईकोर्ट में लंबित केस से जुड़े दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने की मांग की थी.

रमेश गुप्ता ने कहा था कि गहलोत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जो भी बोला है वो सत्य बोला है. उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत से एफआईआर नंबर 32/19 में पूछताछ की गई थी. उन्होंने कहा था कि जो तथ्य हैं उससे साफ है कि गजेंद्र सिंह शेखावत आरोपी हैं. उसकी जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) कर रही है. उन्होंने कहा था कि आरोपी राज्य के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने राज्य के हित में सत्य बोला है. ऐसे में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है.

19 सितंबर को कोर्ट ने अशोक गहलोत की बरी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया था. गहलोत की ओर से बरी करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने 6 जुलाई को बतौर आरोपी अशोक गहलोत को समन जारी किया था. दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट दाखिल किया था. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं. शेखावत ने कहा था कि गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं.

यह है पूरा मामला: शेखावत की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है. मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली.

घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को, एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की.

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