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आदर्श आचार संहिता मामले में लालू यादव बरी.. सबूतों के अभाव में कोर्ट ने दी बड़ी राहत - Lalu Released In Code of Conduct Violation Case

व्यवहार न्यायालय हाजीपुर ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आचार संहिता उल्लंघन के 7 साल पुराने मामले में बरी कर दिया गया है. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बड़ी राहत दी है. पढ़ें पूरी खबर..

Lalu Yadav  Etv Bharat
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Published : Aug 24, 2022, 6:02 PM IST

वैशालीः राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आचार संहिता उल्लंधन के 7 साल पुराने मामले में हाजीपुर व्यवहार न्यायालय की विशेष अदालत ने बरी कर दिया है. दोपहर में वे केस के सिलसिले में पेशी (Hearing Of Lalu Prasad Yadav ) के लिए हाजीपुर व्यवहार न्यायालय (Civil Court Hajipur) पहुंचे हैं. लालू प्रसाद के कोर्ट में पेशी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. एसीजेएम-1 सह विशेष न्यायाधीश स्मिता राज की अदालत में मामले की सुनवाई हुई.

पढ़ें -बिहार की राजनीति में छाया लालू यादव के 'भूत' का खतरा

राजद सुप्रीमो के वकील श्याम बाबू राय ने बताया कि गंगाब्रिज थाना क्षेत्र के तेरसिया में 27 सितंबर 2015 को विधान सभा चुनाव के सभा के दौरान लालू प्रसाद यादव पर जाति सूचक शब्द के प्रयोग करने का आरोप था. साक्ष्यों के आभाव में कोर्ट ने लालू प्रसाद को बरी (Lalu Released In Code of Conduct Violation Case) कर दिया. विशेष न्यायाधीश स्मिता राज की अदालत की ओर से बरी किए जाने के फैसवे के बाद उन्होंने अदालत का शुक्रिया अदा किया.

"अदालत की ओर से लालू प्रसाद यादव को साक्ष्यों के अभाव में बरी किए जाने के बाद उन्होंने अदालत का शुक्रिया अदा किया. मामले में चार्जशीट के आधार पर कोंगलिजेन्स हुआ था. इसके बाद लालू प्रसाद यादव उपस्थित हुए थे. प्रॉसीक्यूशन की ओर से पांच गवाही कराई गई थी. इस मामले में सारे लोगों की गवाही हुई. क्रॉस एग्जामिनेशन के बाद स्टेटमेंट और अन्य प्रक्रिया हुआ और फिर आज जजमेंट हुआ जिसमें न्यायालय ने पाया कि लालू प्रसाद के खिलाफ पर्याप्त सबूत प्रॉसीक्यूशन की ओर से नहीं लाया गया है. सबूतों के अभाव में लालू प्रसाद यादव को बाइज्जत बरी कर दिया गया. अरगुमेंट पहले ही हो चुकी थी. आज केवल न्यायालय को जजमेंट डिलीवर करना था और न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव को कहा कि सबूतों के अभाव में आपको इस केस से बाइज्जत बरी किया जाता है." - श्याम बाबू राव, लालू प्रसाद के वकील


यह था मामलाः बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान 27 सितंबर 2015 को लालू प्रसाद यादव की ओर से राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के दौरान तेरसिया में जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप था. इस पर लालू प्रसाद यादव पर गंगाब्रिज थाना में मामला दर्ज कराया गया था. सभा का वीडियो सामने आने के बाद तत्कालीन सर्किल इंस्पेक्टर निरंजन कुमार ने 29 सितंबर 2015 को लालू प्रसाद यादव पर गंगाब्रिज थाना में मामला दर्ज कराया था. मामले में मुख्य रूप से तीन धाराओं के तहत लालू प्रसाद पर चार्ज फ्रेम किया गया था. मामले में लालू प्रसाद यादव की ओर से केस की पैरवी एडवोकेट श्याम बाबू राय ने की.

मामले में अप्रैल में ही मिल गया था बेलः 23 अप्रैल 2022 को एसीजेएम प्रथम सह विशेष न्यायाधीश स्मिता राज की अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के बाद लालू प्रसाद यादव को इस मामले में जमानत दे दी थी. वहीं 16 जून 2022 को लालू प्रसाद सशरीर अदालत में पेश हुए थे. इस दौरान लालू यदाव ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया था. लालू प्रसाद यादव की ओर से केस की पैरवी एडवोकेट श्याम बाबू राय कर रहे थे.

पढ़ें-विवादों में घिरे कानून मंत्री कार्तिक सिंह ने की लालू से मुलाकात, कहा.. मेरे ऊपर कोई मामला नहीं

वैशालीः राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आचार संहिता उल्लंधन के 7 साल पुराने मामले में हाजीपुर व्यवहार न्यायालय की विशेष अदालत ने बरी कर दिया है. दोपहर में वे केस के सिलसिले में पेशी (Hearing Of Lalu Prasad Yadav ) के लिए हाजीपुर व्यवहार न्यायालय (Civil Court Hajipur) पहुंचे हैं. लालू प्रसाद के कोर्ट में पेशी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. एसीजेएम-1 सह विशेष न्यायाधीश स्मिता राज की अदालत में मामले की सुनवाई हुई.

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राजद सुप्रीमो के वकील श्याम बाबू राय ने बताया कि गंगाब्रिज थाना क्षेत्र के तेरसिया में 27 सितंबर 2015 को विधान सभा चुनाव के सभा के दौरान लालू प्रसाद यादव पर जाति सूचक शब्द के प्रयोग करने का आरोप था. साक्ष्यों के आभाव में कोर्ट ने लालू प्रसाद को बरी (Lalu Released In Code of Conduct Violation Case) कर दिया. विशेष न्यायाधीश स्मिता राज की अदालत की ओर से बरी किए जाने के फैसवे के बाद उन्होंने अदालत का शुक्रिया अदा किया.

"अदालत की ओर से लालू प्रसाद यादव को साक्ष्यों के अभाव में बरी किए जाने के बाद उन्होंने अदालत का शुक्रिया अदा किया. मामले में चार्जशीट के आधार पर कोंगलिजेन्स हुआ था. इसके बाद लालू प्रसाद यादव उपस्थित हुए थे. प्रॉसीक्यूशन की ओर से पांच गवाही कराई गई थी. इस मामले में सारे लोगों की गवाही हुई. क्रॉस एग्जामिनेशन के बाद स्टेटमेंट और अन्य प्रक्रिया हुआ और फिर आज जजमेंट हुआ जिसमें न्यायालय ने पाया कि लालू प्रसाद के खिलाफ पर्याप्त सबूत प्रॉसीक्यूशन की ओर से नहीं लाया गया है. सबूतों के अभाव में लालू प्रसाद यादव को बाइज्जत बरी कर दिया गया. अरगुमेंट पहले ही हो चुकी थी. आज केवल न्यायालय को जजमेंट डिलीवर करना था और न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव को कहा कि सबूतों के अभाव में आपको इस केस से बाइज्जत बरी किया जाता है." - श्याम बाबू राव, लालू प्रसाद के वकील


यह था मामलाः बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान 27 सितंबर 2015 को लालू प्रसाद यादव की ओर से राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के दौरान तेरसिया में जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप था. इस पर लालू प्रसाद यादव पर गंगाब्रिज थाना में मामला दर्ज कराया गया था. सभा का वीडियो सामने आने के बाद तत्कालीन सर्किल इंस्पेक्टर निरंजन कुमार ने 29 सितंबर 2015 को लालू प्रसाद यादव पर गंगाब्रिज थाना में मामला दर्ज कराया था. मामले में मुख्य रूप से तीन धाराओं के तहत लालू प्रसाद पर चार्ज फ्रेम किया गया था. मामले में लालू प्रसाद यादव की ओर से केस की पैरवी एडवोकेट श्याम बाबू राय ने की.

मामले में अप्रैल में ही मिल गया था बेलः 23 अप्रैल 2022 को एसीजेएम प्रथम सह विशेष न्यायाधीश स्मिता राज की अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के बाद लालू प्रसाद यादव को इस मामले में जमानत दे दी थी. वहीं 16 जून 2022 को लालू प्रसाद सशरीर अदालत में पेश हुए थे. इस दौरान लालू यदाव ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया था. लालू प्रसाद यादव की ओर से केस की पैरवी एडवोकेट श्याम बाबू राय कर रहे थे.

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