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ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग पर अखिलेश-ओवैसी के विवादित बयान पर सुनवाई, कोर्ट ने कहा- अब ये अंतिम मौका - ज्ञानवापी कथित शिवलिंग पर बयान

वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग पर दिए अखिलेश-ओवैसी के विवादित बयान पर (Akhilesh-Owaisi controversial statement on Gyanvapi) सुनवाई करते हुए प्रतिवादियों की ओर से आपत्ति दाखिल करने का आंतिम अवसर दिया है.

Etv BharatAkhilesh-Owaisi controversial statement on Gyanvap
Etv BAkhilesh-Owaisi controversial statement on Gyanvapharat
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2023, 10:29 PM IST

वाराणसी : अपर जिला जज नवम की अदालत में शुक्रवार को ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाना में गंदगी व शिवलिंग की आकृति पर दिए गए बयान मामले में दाखिल निगरानी अर्जी पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने प्रतिवादियों की ओर से आपत्ति दाखिल करने का आंतिम अवसर दिया. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तिथि नियत की है. ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग को लेकर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्तिजनक बयान दिया था. इस पर आपत्ति जताते हुए सीनियर एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में वाद दाखिल किया था. इसे कोर्ट ने पिछले दिनों निरस्त कर दिया था. इस पर निगरानी आज दायर की गई है, जिस पर फिर से सुनवाई हो रही है.

ज्ञानवापी कथित शिवलिंग
ज्ञानवापी कथित शिवलिंग

हिंदुओं की भावनाओं को पहुंची ठेंस : प्रकरण के अनुसार वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने बतौर वादी लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ निगरानी अर्जी दाखिल की है. इसमें कहा है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने में नमाजियों द्वारा गंदगी फैलाई जा रही है. उनका दावा है वह स्थान हमारे आराध्य देव शिव का है. यह भी कहा है कि शिवलिंग की आकृति को लेकर AIMIM के अध्यक्ष असुदद्दीन ओवैसी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ नेताओं ने गलत बयानबाजी कर हिंदुओं की भावनाओं को ठेंस पहुंचाया था. इसलिए अखिलेश, ओवैसी व अंजुमन इंतजामिया कमेटी के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. लोअर कोर्ट में खारिज होने के बाद वादी ने सत्र न्यायालय में निगरानी याचिका दाखिल की.

ज्ञानवापी कथित शिवलिंग पर अखिलेश-ओवैसी के विवादित बयान
ज्ञानवापी कथित शिवलिंग पर अखिलेश-ओवैसी के विवादित बयान

कोर्ट ने अपनाया कड़ा रूख : एडवोकेट हरिशंकर पांडेय का कहना है की इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस पर जल्द सुनवाई करते हुए निर्णय दिया जाए. क्योंकि प्रतिवादी पक्ष के द्वारा इस प्रकरण में कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई आपत्ति दाखिल नहीं की जा रही है. जिस पर कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है और अंतिम मौका दिया है.

यह भी पढ़ें: Gyanvapi Case : एएसआई को ज्ञानवापी सर्वे के लिए चार सप्ताह का समय और मिला, मुस्लिम पक्ष ने किया विरोध

यह भी पढे़ं: Gyanvapi Case: केस स्थानांतरित करने के मामले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को किया खारिज

वाराणसी : अपर जिला जज नवम की अदालत में शुक्रवार को ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाना में गंदगी व शिवलिंग की आकृति पर दिए गए बयान मामले में दाखिल निगरानी अर्जी पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने प्रतिवादियों की ओर से आपत्ति दाखिल करने का आंतिम अवसर दिया. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तिथि नियत की है. ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग को लेकर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्तिजनक बयान दिया था. इस पर आपत्ति जताते हुए सीनियर एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में वाद दाखिल किया था. इसे कोर्ट ने पिछले दिनों निरस्त कर दिया था. इस पर निगरानी आज दायर की गई है, जिस पर फिर से सुनवाई हो रही है.

ज्ञानवापी कथित शिवलिंग
ज्ञानवापी कथित शिवलिंग

हिंदुओं की भावनाओं को पहुंची ठेंस : प्रकरण के अनुसार वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने बतौर वादी लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ निगरानी अर्जी दाखिल की है. इसमें कहा है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने में नमाजियों द्वारा गंदगी फैलाई जा रही है. उनका दावा है वह स्थान हमारे आराध्य देव शिव का है. यह भी कहा है कि शिवलिंग की आकृति को लेकर AIMIM के अध्यक्ष असुदद्दीन ओवैसी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ नेताओं ने गलत बयानबाजी कर हिंदुओं की भावनाओं को ठेंस पहुंचाया था. इसलिए अखिलेश, ओवैसी व अंजुमन इंतजामिया कमेटी के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. लोअर कोर्ट में खारिज होने के बाद वादी ने सत्र न्यायालय में निगरानी याचिका दाखिल की.

ज्ञानवापी कथित शिवलिंग पर अखिलेश-ओवैसी के विवादित बयान
ज्ञानवापी कथित शिवलिंग पर अखिलेश-ओवैसी के विवादित बयान

कोर्ट ने अपनाया कड़ा रूख : एडवोकेट हरिशंकर पांडेय का कहना है की इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस पर जल्द सुनवाई करते हुए निर्णय दिया जाए. क्योंकि प्रतिवादी पक्ष के द्वारा इस प्रकरण में कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई आपत्ति दाखिल नहीं की जा रही है. जिस पर कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है और अंतिम मौका दिया है.

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