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देश में मंकीपॉक्स के वेरिएंट को लेकर केंद्र ने जारी किया अलर्ट

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जुलाई से अगस्त 2022 के दौरान केरल और दिल्ली में पाए गए मंकीपॉक्स के मामलों के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम का विश्लेषण किया है. इसी आधार पर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलर्ट जारी किया है.

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मंकीपॉक्स के वेरिएंट को लेकर केंद्र ने जारी किया अलर्ट
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Published : Sep 17, 2022, 7:42 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और एनआईवी, पुणे द्वारा किए गए एक अध्ययन के बाद पूरे भारत में अलर्ट जारी किया है. अध्ययन के अनुसार भारत में मंकीपॉक्स (एमपीएक्सवी) के संचरण की उच्च संभावना वाले उभरते हुए संस्करण का पता चला है.

भारत में मंकीपॉक्स के अब तक 11 मामले सामने आ चुके हैं. अध्ययन में गैर-स्थानिक देशों में एमपीएक्सवी के प्रकोप ने चिंता जताई और इसके संबंध को समझने के लिए निदान और अनुक्रमण की तैयारी पर जोर दिया है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'मंकीपॉक्स के मामलों से निपटने के लिए हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है. स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर पर पूरी तरह से तैयार रहने को निर्देशित किया गया है.'

आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया है कि भारत ने जुलाई 2022 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात से लौटने वालों के बीच मंकीपॉक्स के पहले दो मामलों की पहचान की थी. जीनोम अनुक्रम के विश्लेषण से इन मामलों के संक्रमण का पता उप-वर्ग IIb के वंश A.2 से हुआ. वंश में B.1 की तुलना में 80 न्यूक्लियोटाइड परिवर्तन हैं. B.1 वंश जो 2022 का प्रमुख वंश रहा है, यह सुझाव देता है कि एक स्वतंत्र वायरस तनाव उभरता है. अध्ययन में भारत में 10 मंकीपॉक्स मामलों के जीनोमिक और फ़ाइलोजेनेटिक विश्लेषण डेटा की जांच की गई है. अध्ययन से पता चला, 'इन मामलों से प्राप्त सभी एमपीएक्सवी जीनोम अनुक्रम वंश A.2 के थे, जो आगे तीन उप समूहों में बदल गए.'

इसमें कहा गया है कि भारत से A.2 वंश वाला MPXV अनुक्रम जर्मनी, इटली पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड और फ्रांस (वंश B.1) से रिपोर्ट किए गए MPXV अनुक्रम और नाइजीरिया, इज़राइल और सिंगापुर 2017/18 (वंश) से पहले के प्रकोप अनुक्रमों ए.1 से भिन्न है.

आईसीएमआर ने अपने अध्ययन में कहा, हालांकि यह जानना मददगार है कि उत्परिवर्तनीय परिवर्तन किस कारण से हो रहे हैं, यह समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि आनुवंशिक परिवर्तन मानव से मानव संचरण को कैसे सुगम बना रहे हैं.

अध्ययन में कहा गया है, 'हमारे डेटा ने मौजूदा MPXV प्रकोप 2022 से सभी उपलब्ध अनुक्रमों में अतिरिक्त 13 APOBEC3 उत्परिवर्तन और 16 SNPs का खुलासा किया, जो A.2 वंश में परिवर्तन को परिभाषित करने वाले वंश के रूप में योगदान दे सकता है.' इसमें कहा गया है कि एमपीएक्सवी जैसे ऑर्थोपॉक्सविरस के जीनोमिक विकास से उच्च संचरण और मेजबान रेंज की संभावना बढ़ सकती है जो बड़ी आबादी को प्रभावित कर सकती है.

'सतर्क रहना होगा' : आईसीएमआर के निष्कर्षों पर बात करते हुए एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत को बताया कि यह अध्ययन वास्तव में चिकित्सकों और समुदाय के लिए खतरे की घंटी है. कोले ने कहा, 'अध्ययन के मुताबिक एमपीएक्सवी के जीनोमिक विकास से उच्च संचरण और मेजबान रेंज की संभावना बढ़ सकती है जो बड़ी आबादी को प्रभावित कर सकती है.'

डॉ. कोले ने कहा, 'हमें ऐसे स्थानों पर बेहद सतर्क रहना चाहिए जहां से इस रोग को बढ़ावा मिल सकता है. उन जगहों की पहचान करना बेहद जरूरी है.' उन्होंने कहा कि कोविड-19 के अनुभव से सीखते हुए, भारत ने एमपीएक्सवी के लिए निदान क्षमता बढ़ाने के लिए अपने वायरस अनुसंधान निदान और प्रयोगशाला नेटवर्क तैयार करना शुरू कर दिया है.

पढ़ें- ICMR ने केरल में मंकीपॉक्स से मौत के भारत के पहले मामले का अध्ययन किया

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और एनआईवी, पुणे द्वारा किए गए एक अध्ययन के बाद पूरे भारत में अलर्ट जारी किया है. अध्ययन के अनुसार भारत में मंकीपॉक्स (एमपीएक्सवी) के संचरण की उच्च संभावना वाले उभरते हुए संस्करण का पता चला है.

भारत में मंकीपॉक्स के अब तक 11 मामले सामने आ चुके हैं. अध्ययन में गैर-स्थानिक देशों में एमपीएक्सवी के प्रकोप ने चिंता जताई और इसके संबंध को समझने के लिए निदान और अनुक्रमण की तैयारी पर जोर दिया है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'मंकीपॉक्स के मामलों से निपटने के लिए हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है. स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर पर पूरी तरह से तैयार रहने को निर्देशित किया गया है.'

आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया है कि भारत ने जुलाई 2022 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात से लौटने वालों के बीच मंकीपॉक्स के पहले दो मामलों की पहचान की थी. जीनोम अनुक्रम के विश्लेषण से इन मामलों के संक्रमण का पता उप-वर्ग IIb के वंश A.2 से हुआ. वंश में B.1 की तुलना में 80 न्यूक्लियोटाइड परिवर्तन हैं. B.1 वंश जो 2022 का प्रमुख वंश रहा है, यह सुझाव देता है कि एक स्वतंत्र वायरस तनाव उभरता है. अध्ययन में भारत में 10 मंकीपॉक्स मामलों के जीनोमिक और फ़ाइलोजेनेटिक विश्लेषण डेटा की जांच की गई है. अध्ययन से पता चला, 'इन मामलों से प्राप्त सभी एमपीएक्सवी जीनोम अनुक्रम वंश A.2 के थे, जो आगे तीन उप समूहों में बदल गए.'

इसमें कहा गया है कि भारत से A.2 वंश वाला MPXV अनुक्रम जर्मनी, इटली पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड और फ्रांस (वंश B.1) से रिपोर्ट किए गए MPXV अनुक्रम और नाइजीरिया, इज़राइल और सिंगापुर 2017/18 (वंश) से पहले के प्रकोप अनुक्रमों ए.1 से भिन्न है.

आईसीएमआर ने अपने अध्ययन में कहा, हालांकि यह जानना मददगार है कि उत्परिवर्तनीय परिवर्तन किस कारण से हो रहे हैं, यह समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि आनुवंशिक परिवर्तन मानव से मानव संचरण को कैसे सुगम बना रहे हैं.

अध्ययन में कहा गया है, 'हमारे डेटा ने मौजूदा MPXV प्रकोप 2022 से सभी उपलब्ध अनुक्रमों में अतिरिक्त 13 APOBEC3 उत्परिवर्तन और 16 SNPs का खुलासा किया, जो A.2 वंश में परिवर्तन को परिभाषित करने वाले वंश के रूप में योगदान दे सकता है.' इसमें कहा गया है कि एमपीएक्सवी जैसे ऑर्थोपॉक्सविरस के जीनोमिक विकास से उच्च संचरण और मेजबान रेंज की संभावना बढ़ सकती है जो बड़ी आबादी को प्रभावित कर सकती है.

'सतर्क रहना होगा' : आईसीएमआर के निष्कर्षों पर बात करते हुए एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत को बताया कि यह अध्ययन वास्तव में चिकित्सकों और समुदाय के लिए खतरे की घंटी है. कोले ने कहा, 'अध्ययन के मुताबिक एमपीएक्सवी के जीनोमिक विकास से उच्च संचरण और मेजबान रेंज की संभावना बढ़ सकती है जो बड़ी आबादी को प्रभावित कर सकती है.'

डॉ. कोले ने कहा, 'हमें ऐसे स्थानों पर बेहद सतर्क रहना चाहिए जहां से इस रोग को बढ़ावा मिल सकता है. उन जगहों की पहचान करना बेहद जरूरी है.' उन्होंने कहा कि कोविड-19 के अनुभव से सीखते हुए, भारत ने एमपीएक्सवी के लिए निदान क्षमता बढ़ाने के लिए अपने वायरस अनुसंधान निदान और प्रयोगशाला नेटवर्क तैयार करना शुरू कर दिया है.

पढ़ें- ICMR ने केरल में मंकीपॉक्स से मौत के भारत के पहले मामले का अध्ययन किया

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