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कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर राज्य कर लें तैयारी : स्वास्थ्य मंत्रालय

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Published : Nov 24, 2020, 6:44 PM IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड -19 टीकाकरण के बाद होने वाले साइड इफेक्ट से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड -19 टीकाकरण के बाद एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्मूनेशन (AEFI) के साइड इफेक्ट से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशकों को पत्र लिखकर कहा है कि कुछ प्राथमिकता समूहों के साथ सभी राज्यों और जिलों में कोविड-19 टीकाकरण आयोजित करने की तैयारी चल रही है.

इस संबंध में अधिकारी का कहना है कि टीकों की सुरक्षा में बनाए रखने के लिए कोविड -19 टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं (Adverse Events Following Immunisation) की निगरानी को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन पहलुओं की पहचान की है, जो भारत की मौजूदा AEFI निगरानी प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है. इनसे कोविड -19 टीकाकरण के लिए समय पर और पूर्ण AEFI रिपोर्टिंग संभव हो सकेगी.

मंत्रालय चाहता है कि कोविड वैक्सीन को राज्य और जिले में पेश करने से पहले ही यह कदम उठा लिए जाएं, ताकि किसी भी बदलाव की आवश्यकता को समय पर पूरा किया जा सके.

इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य और जिला AEFI समितियों में बाल रोग विशेषज्ञों के अलावा चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए भी कहा है.

कोविड -19 टीकाकरण वयस्कों को दिया जाएगा, जिनमें से कई में कोमोर्बिडिटीज (स्ट्रोक, दिल के दौरे आदि) हो सकती हैं. पहले से मौजूद कोमोर्बिडिटीज के कारण होने वाली घटनाओं को कोविड -19 टीकाकरण के बाद AEFI द्वारा रिपोर्ट किया जा सकता है.

पत्र में कहा गया है कि राज्य AEFI समितियों में न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए संशोधित कर सकते हैं, जो इस तरह की घटनाओं को पहचान सकते हैं और उन्हें टीका / टीकाकरण से संबंधित घटनाओं से अलग कर सकते हैं.

इसी तरह जिलों को निर्देश जारी किए जा सकते हैं कि वे जिला AEFI समितियों में चिकित्सा विशेषज्ञों (न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट) को शामिल करें.

हर राज्य को कार्य करने के लिए एक मेडिकल कॉलेज का चयन करना होगा, ताकि AEFI को कुछ मामलों में प्रयोगशाला जांच, प्रयोगशाला परीक्षण कर सके.

इसके अलावा, राज्य AEFI समितियों और AEFI के तकनीकी सहयोग केंद्र और जांच के आकलन के लिए विशेषज्ञों का प्रशिक्षण होना चाहिए.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे बताया कि देशभर में लगभग 300 मेडिकल कॉलेज और इसके तीन गुना केयर्स अस्पताल हैं, जिनमें प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया निगरानी केंद्र हैं, जो अन्य प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं के साथ-साथ टीका प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं.

मंत्रालय ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट इम्यूनेशन ऑफिसर को AMC से संपर्क करना चाहिए और उनसे गंभीर और प्रतिकूल AEFI को सीधे रिपोर्ट करने का अनुरोध करना चाहिए.

इसके अलावा सरकार ने राज्यों को जिलों में जांच में ड्रग इंस्पेक्टरों की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.

पत्र में कहा गया है कि जिले के ड्रग इंस्पेक्टर को जिला AEFI समिति का सदस्य होना चाहिए और जब भी आवश्यकता हो उसे AEFI जांच में शामिल होना चाहिए.

पढ़ें - रूस का दावा, 95 प्रतिशत कारगर है स्पूतनिक वी

साथ ही केंद्र सरकार ने कहा है कि जिले को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाले महीनों में एनाफिलेक्सिस बच्चों और AEFI मैनेजमेंट किट में उपयोग होने इंजेक्शन एड्रेनालाइन का पर्याप्त स्टॉक है या नहीं.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एड्रेनालाइन की एक्सपायरी डेट काफी कम है. इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि नियमित टीकाकरण के लिए टीके को उच्च तापमान में रखा जाए. कोविड-19 टीकाकरण करने वालों को एनाफिलेक्सिस किट के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाए.

पत्र में कहा गया है, सैनिटाइजिंग पर ध्यान देने के लिए वयस्क टीकाकरण के बाद AEFI शामिल होना चाहिए.

जिलों को टीका सुरक्षा और संकट की स्थिति को लेकर उड़ने वाली अफवाहों और मिथकों से निपटने के लिए संचार योजना तैयार करनी चाहिए. इसके लिए संकट की स्थिति, मिथकों और अफवाहों से निपटने के लिए मुख्य संदेश अग्रिम में तैयार किया जा सकता है.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड -19 टीकाकरण के बाद एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्मूनेशन (AEFI) के साइड इफेक्ट से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशकों को पत्र लिखकर कहा है कि कुछ प्राथमिकता समूहों के साथ सभी राज्यों और जिलों में कोविड-19 टीकाकरण आयोजित करने की तैयारी चल रही है.

इस संबंध में अधिकारी का कहना है कि टीकों की सुरक्षा में बनाए रखने के लिए कोविड -19 टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं (Adverse Events Following Immunisation) की निगरानी को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन पहलुओं की पहचान की है, जो भारत की मौजूदा AEFI निगरानी प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है. इनसे कोविड -19 टीकाकरण के लिए समय पर और पूर्ण AEFI रिपोर्टिंग संभव हो सकेगी.

मंत्रालय चाहता है कि कोविड वैक्सीन को राज्य और जिले में पेश करने से पहले ही यह कदम उठा लिए जाएं, ताकि किसी भी बदलाव की आवश्यकता को समय पर पूरा किया जा सके.

इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य और जिला AEFI समितियों में बाल रोग विशेषज्ञों के अलावा चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए भी कहा है.

कोविड -19 टीकाकरण वयस्कों को दिया जाएगा, जिनमें से कई में कोमोर्बिडिटीज (स्ट्रोक, दिल के दौरे आदि) हो सकती हैं. पहले से मौजूद कोमोर्बिडिटीज के कारण होने वाली घटनाओं को कोविड -19 टीकाकरण के बाद AEFI द्वारा रिपोर्ट किया जा सकता है.

पत्र में कहा गया है कि राज्य AEFI समितियों में न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए संशोधित कर सकते हैं, जो इस तरह की घटनाओं को पहचान सकते हैं और उन्हें टीका / टीकाकरण से संबंधित घटनाओं से अलग कर सकते हैं.

इसी तरह जिलों को निर्देश जारी किए जा सकते हैं कि वे जिला AEFI समितियों में चिकित्सा विशेषज्ञों (न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट) को शामिल करें.

हर राज्य को कार्य करने के लिए एक मेडिकल कॉलेज का चयन करना होगा, ताकि AEFI को कुछ मामलों में प्रयोगशाला जांच, प्रयोगशाला परीक्षण कर सके.

इसके अलावा, राज्य AEFI समितियों और AEFI के तकनीकी सहयोग केंद्र और जांच के आकलन के लिए विशेषज्ञों का प्रशिक्षण होना चाहिए.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे बताया कि देशभर में लगभग 300 मेडिकल कॉलेज और इसके तीन गुना केयर्स अस्पताल हैं, जिनमें प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया निगरानी केंद्र हैं, जो अन्य प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं के साथ-साथ टीका प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं.

मंत्रालय ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट इम्यूनेशन ऑफिसर को AMC से संपर्क करना चाहिए और उनसे गंभीर और प्रतिकूल AEFI को सीधे रिपोर्ट करने का अनुरोध करना चाहिए.

इसके अलावा सरकार ने राज्यों को जिलों में जांच में ड्रग इंस्पेक्टरों की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.

पत्र में कहा गया है कि जिले के ड्रग इंस्पेक्टर को जिला AEFI समिति का सदस्य होना चाहिए और जब भी आवश्यकता हो उसे AEFI जांच में शामिल होना चाहिए.

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साथ ही केंद्र सरकार ने कहा है कि जिले को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाले महीनों में एनाफिलेक्सिस बच्चों और AEFI मैनेजमेंट किट में उपयोग होने इंजेक्शन एड्रेनालाइन का पर्याप्त स्टॉक है या नहीं.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एड्रेनालाइन की एक्सपायरी डेट काफी कम है. इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि नियमित टीकाकरण के लिए टीके को उच्च तापमान में रखा जाए. कोविड-19 टीकाकरण करने वालों को एनाफिलेक्सिस किट के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाए.

पत्र में कहा गया है, सैनिटाइजिंग पर ध्यान देने के लिए वयस्क टीकाकरण के बाद AEFI शामिल होना चाहिए.

जिलों को टीका सुरक्षा और संकट की स्थिति को लेकर उड़ने वाली अफवाहों और मिथकों से निपटने के लिए संचार योजना तैयार करनी चाहिए. इसके लिए संकट की स्थिति, मिथकों और अफवाहों से निपटने के लिए मुख्य संदेश अग्रिम में तैयार किया जा सकता है.

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