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देश के बड़े शहरों में क्या है बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की उपलब्धता का हाल

देश में कोरोना के मरीजों की तादाद में रोज औसतन 3 लाख का इजाफा हो रहा है. कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ने का सीधा असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ा है. अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर तक की कमी सामने आ रही है. देश के 7 बड़े शहरों में कोरोना मरीजों और उनसे जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल जानने के लिए पढ़े ये पूरी ख़बर

कोरोना काल में सुविधाओं का 'टोटा'
कोरोना काल में सुविधाओं का 'टोटा'
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Published : Apr 23, 2021, 5:01 AM IST

हैदराबाद: कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक बार फिर देशभर में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है. कोरोना संक्रमण और मौत के आंकड़ों में लगातार इजाफे के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन से लेकर वेंटिलेटर और बेड की भारी कमी उजागर हो रही है. गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पहली बार एक दिन में कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा 3.14 लाख के पार पहुंच गया. रोजाना नया रिकॉर्ड बनाते ये आंकड़े हर पल देश के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ा रहे हैं. ईटीवी भारत एक स्पेशल रिपोर्ट के जरिये आपको देश के सात बड़े शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बता रहा है. ये वो सुविधाएं हैं जो कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बहुत जरूरी हैं.

1. कोविड मरीजों के लिए बेड की सुविधा

देश के ज्यादातर अस्पतालों में कोविड मरीजों को बेड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद दूसरी लहर में भी देशभर के कई अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाया गया था. जहां सिर्फ और सिर्फ कोविड मरीजों का इलाज हो रहा है. लेकिन जिस तरह से रोजाना लाखों नए मरीज सामने आ रहे हैं उसने अस्पताल और मरीज दोनों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. ध्यान रखने वाली बात ये ही कि अस्पतालों में कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीज भी भर्ती हो रहे हैं जिससे अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में आपको बताते हैं कि देश के 7 बड़े शहरों में कोविड मरीजों के लिए बेड की उपलब्धता का आंकड़ा क्या है.

कोरोना मरीजों के लिए बेड की सुविधा
कोरोना मरीजों के लिए बेड की सुविधा

2. ऑक्सीजन युक्त बेड और वेंटिलेटर्स

पहले तो कोरोना मरीजों को अस्पताल में बेड नसीब नहीं हो रहे और अगर बेड मिल रहे हैं तो अस्पतालों में ऑक्सीजन का टोटा मरीजों की मुश्किल बढ़ा रहा है. दिल्ली से लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें सामने आ रही हैं. लगातार बढ़ती कोरोना मरीजों की तादाद से ऑक्सीजन की खपत में इजाफा हो रहा है. दरअसल कई कोविड मरीजों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और कोविड के अलावा कई अन्य रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऐसे में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो रही है.

ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड.
ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड.

कई बार स्थिति ज्यादा खराब होने पर मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है. कोरोना की पहली लहर में भी वेंटिलेटर्स की मांग बढ़ी थी और इस बार जब कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है तो वेंटिलेटर की पूछ एक बार फिर बढ़ गई है. अब आपको देश के सात बड़े शहरों में ऑक्सीजन युक्त बेड और वेंटिलेटर्स की संख्या के बारे में बताते हैं.

3. अस्पताल में मरीजों की तादाद

कोरोना के मरीजों की संख्या में रोजाना औसतन 3 लाख का इजाफा हो रहा है. जिसके बाद अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए कई मरीजों को अस्पताल में भर्ती तक नहीं किया जा रहा. दिल्ली, मुंबई, भोपाल और रायपुर उन शहरों में शुमार हैं जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. जिसके चलते इन शहरों के अस्पतालों में भर्ती होने मरीजों की तादाद भी बढ़ गई है लेकिन अस्पतालों के पास सुविधाएं सीमित हैं.

अस्पतालों में कितने कोरोना मरीज हो रहे हैं भर्ती
अस्पतालों में कितने कोरोना मरीज हो रहे हैं भर्ती

4. नए बेड बनाने की जरूरत

हर 24 घंटे में औसतन 3 लाख नए मरीज सामने आने से अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है. अस्पतालों पर दबाव भी बढ़ रहा है. ऐसे में सरकारों को नए रास्ते तलाशने होंगे. दिल्ली सरकार ने भी कॉमनवेल्थ खेल गांव में नए बेड लगाने का फैसला लिया, इसी तरह असम में भी एक स्टेडियम को कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया. पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान भी कई राज्य सरकारों होटल से लेकर स्टेडियम और अन्य संस्थानों को कोविड केयर सेंटर बनाकर वहां मरीजों के लिए बेड और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाई थी.

अस्पताल के अलावा तैयार किए गए बेड.
अस्पताल के अलावा तैयार किए गए बेड.

कुल मिलाकर कोरोना की दूसरी लहर में देशभर में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा है. सरकार की तरफ से वेंटिलेटर से लेकर ऑक्सीजन और बेड की सुविधा मुहैया तो करवाई जा रही है लेकिन कोरोना के नए मरीजों की बढ़ती रफ्तार के सामने सरकारों की हर कोशिश नाकाम है. ऐसे में विशेषज्ञों की शुरू से ही ये राय है कि बाद में इलाज से बेहतर है कि पहले ही सुरक्षित रहने के उपाय कर लें यानि कोविड-19 से जुड़ी सावधानियां बरतें और मास्क से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें.

ये भी पढ़ें: कोरोना पर छह उच्च न्यायालयों की सुनवाई से हो रहा भ्रम : सुप्रीम कोर्ट

हैदराबाद: कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक बार फिर देशभर में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है. कोरोना संक्रमण और मौत के आंकड़ों में लगातार इजाफे के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन से लेकर वेंटिलेटर और बेड की भारी कमी उजागर हो रही है. गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पहली बार एक दिन में कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा 3.14 लाख के पार पहुंच गया. रोजाना नया रिकॉर्ड बनाते ये आंकड़े हर पल देश के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ा रहे हैं. ईटीवी भारत एक स्पेशल रिपोर्ट के जरिये आपको देश के सात बड़े शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बता रहा है. ये वो सुविधाएं हैं जो कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बहुत जरूरी हैं.

1. कोविड मरीजों के लिए बेड की सुविधा

देश के ज्यादातर अस्पतालों में कोविड मरीजों को बेड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद दूसरी लहर में भी देशभर के कई अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाया गया था. जहां सिर्फ और सिर्फ कोविड मरीजों का इलाज हो रहा है. लेकिन जिस तरह से रोजाना लाखों नए मरीज सामने आ रहे हैं उसने अस्पताल और मरीज दोनों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. ध्यान रखने वाली बात ये ही कि अस्पतालों में कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीज भी भर्ती हो रहे हैं जिससे अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में आपको बताते हैं कि देश के 7 बड़े शहरों में कोविड मरीजों के लिए बेड की उपलब्धता का आंकड़ा क्या है.

कोरोना मरीजों के लिए बेड की सुविधा
कोरोना मरीजों के लिए बेड की सुविधा

2. ऑक्सीजन युक्त बेड और वेंटिलेटर्स

पहले तो कोरोना मरीजों को अस्पताल में बेड नसीब नहीं हो रहे और अगर बेड मिल रहे हैं तो अस्पतालों में ऑक्सीजन का टोटा मरीजों की मुश्किल बढ़ा रहा है. दिल्ली से लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें सामने आ रही हैं. लगातार बढ़ती कोरोना मरीजों की तादाद से ऑक्सीजन की खपत में इजाफा हो रहा है. दरअसल कई कोविड मरीजों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और कोविड के अलावा कई अन्य रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऐसे में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो रही है.

ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड.
ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड.

कई बार स्थिति ज्यादा खराब होने पर मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है. कोरोना की पहली लहर में भी वेंटिलेटर्स की मांग बढ़ी थी और इस बार जब कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है तो वेंटिलेटर की पूछ एक बार फिर बढ़ गई है. अब आपको देश के सात बड़े शहरों में ऑक्सीजन युक्त बेड और वेंटिलेटर्स की संख्या के बारे में बताते हैं.

3. अस्पताल में मरीजों की तादाद

कोरोना के मरीजों की संख्या में रोजाना औसतन 3 लाख का इजाफा हो रहा है. जिसके बाद अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए कई मरीजों को अस्पताल में भर्ती तक नहीं किया जा रहा. दिल्ली, मुंबई, भोपाल और रायपुर उन शहरों में शुमार हैं जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. जिसके चलते इन शहरों के अस्पतालों में भर्ती होने मरीजों की तादाद भी बढ़ गई है लेकिन अस्पतालों के पास सुविधाएं सीमित हैं.

अस्पतालों में कितने कोरोना मरीज हो रहे हैं भर्ती
अस्पतालों में कितने कोरोना मरीज हो रहे हैं भर्ती

4. नए बेड बनाने की जरूरत

हर 24 घंटे में औसतन 3 लाख नए मरीज सामने आने से अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है. अस्पतालों पर दबाव भी बढ़ रहा है. ऐसे में सरकारों को नए रास्ते तलाशने होंगे. दिल्ली सरकार ने भी कॉमनवेल्थ खेल गांव में नए बेड लगाने का फैसला लिया, इसी तरह असम में भी एक स्टेडियम को कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया. पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान भी कई राज्य सरकारों होटल से लेकर स्टेडियम और अन्य संस्थानों को कोविड केयर सेंटर बनाकर वहां मरीजों के लिए बेड और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाई थी.

अस्पताल के अलावा तैयार किए गए बेड.
अस्पताल के अलावा तैयार किए गए बेड.

कुल मिलाकर कोरोना की दूसरी लहर में देशभर में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा है. सरकार की तरफ से वेंटिलेटर से लेकर ऑक्सीजन और बेड की सुविधा मुहैया तो करवाई जा रही है लेकिन कोरोना के नए मरीजों की बढ़ती रफ्तार के सामने सरकारों की हर कोशिश नाकाम है. ऐसे में विशेषज्ञों की शुरू से ही ये राय है कि बाद में इलाज से बेहतर है कि पहले ही सुरक्षित रहने के उपाय कर लें यानि कोविड-19 से जुड़ी सावधानियां बरतें और मास्क से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें.

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