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Bengal News : एंबुलेंस के लिए आठ हजार न चुका पाने पर पिता बैग में ले गया पांच माह के बेटे का शव, प्रशासन ने मांगी रिपोर्ट

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Published : May 15, 2023, 6:27 PM IST

बंगाल के सिलीगुड़ी में एंबुलेंस के लिए मांगे गए 8 हजार रुपये न चुका पाने पर एक पिता को बैग में पांच महीने के बेटे का शव ले जाना पड़ा. घटना रविवार को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

North Bengal Medical College
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग (स्वास्थ्य भवन) ने उस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जिसमें एंबुलेंस का खर्च उठाने में असमर्थ होने के कारण एक व्यक्ति को बच्चे के शव को एक बैग में ले जाने के लिए मजबूर किया गया था (man forced to carry childs body in bag). घटना रविवार को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई. यह पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग मामले पर और स्पष्टता के लिए मेडिकल कॉलेज MSVP संजय मलिक से भी पूछताछ करेगा.

इस बीच, सोमवार को राज्य सचिवालय नबन्ना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को दरकिनार कर दिया. ममता ने प्रेस वार्ता में कहा, 'ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कुछ लोग शिशुओं को एम्बुलेंस में नहीं ले जाना चाहते हैं. मुझे जानकारी नहीं है कि क्या हुआ. एंबुलेंस की कोई कमी नहीं है क्योंकि राज्य सरकार और एमपीलैड फंड से हमने 300-400 एम्बुलेंस की व्यवस्था की है.'

हालांकि, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने इस अमानवीय घटना की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने दावा किया कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने की कोई जानकारी नहीं थी. पता होता तो व्यवस्था की जाती.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल इंद्रजीत साहा ने कहा, 'व्यक्ति ने अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी. उन्होंने कोई शिकायत भी नहीं की. शिकायत होती तो जांच होती.'

अधीक्षक संजय मल्लिक ने कहा, 'ऐसी किसी भी शिकायत का त्वरित निस्तारण किया जाता है. हमारे पास न तो शव वाहन है और न ही एंबुलेंस. लेकिन अगर किसी मरीज के परिवार को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो अस्पताल के रोगी कल्याण संघ के कोष से व्यवस्था की जाती है. लेकिन कोई भी समस्या लेकर हमारे पास नहीं आया.'

दिहाड़ी मजदूर और कालियागंज निवासी असीम देवशर्मा (Asim Devasharma) के पांच महीन के बेटे की शनिवार की रात मौत हो गई थी. सेप्टीसीमिया से पीड़ित बच्चे को नहीं बचाया जा सका. बच्चे के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की जरूरत थी. एंबुलेंस के लिए कथित तौर पर 8000 रुपये मांगे गए थे. लेकिन असीम ये रकम देने की स्थिति में नहीं थे. कोई विकल्प न होने पर शोक संतप्त पिता रविवार की सुबह बच्चे के शव को बैग में रखकर घर के लिए रवाना हो गया.

इससे राज्य में एक बड़ा राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. चिकित्सा सुविधा के रोगी कल्याण संघ के अध्यक्ष सिलीगुड़ी के मेयर और राज्य के पूर्व मंत्री गौतम देब हैं. एसोसिएशन के सदस्यों में से एक माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी से भाजपा विधायक आनंदमय बर्मन हैं.

फिर सवाल ये है कि इस तरह की घटना क्यों हुई. चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े कई लोगों का मानना ​​है कि अस्पताल से लेकर जिला प्रशासन तक इस घटना में जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.

उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य के अस्पतालों के आसपास के दलाल अब भी सक्रिय हैं. माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी के विधायक व रोगी कल्याण संघ के सदस्य आनंदमय बर्मन ने घटना पर रोष व्यक्त किया. बर्मन ने कहा, 'इस तरह की घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. यह अस्पताल प्रशासन के लिए शर्म की बात है. लेकिन कई बार सूचना देने के बाद भी पुलिस प्रशासन शव वाहन या एंबुलेंस किराए पर लेने पर लगाम नहीं लगा सका है.'

पढ़ें- एंबुलेंस का किराया नहीं दे पाने पर पिता ने झोले में रखा पांच महीने के शिशु का शव, तय की 200 KM की दूरी

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग (स्वास्थ्य भवन) ने उस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जिसमें एंबुलेंस का खर्च उठाने में असमर्थ होने के कारण एक व्यक्ति को बच्चे के शव को एक बैग में ले जाने के लिए मजबूर किया गया था (man forced to carry childs body in bag). घटना रविवार को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई. यह पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग मामले पर और स्पष्टता के लिए मेडिकल कॉलेज MSVP संजय मलिक से भी पूछताछ करेगा.

इस बीच, सोमवार को राज्य सचिवालय नबन्ना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को दरकिनार कर दिया. ममता ने प्रेस वार्ता में कहा, 'ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कुछ लोग शिशुओं को एम्बुलेंस में नहीं ले जाना चाहते हैं. मुझे जानकारी नहीं है कि क्या हुआ. एंबुलेंस की कोई कमी नहीं है क्योंकि राज्य सरकार और एमपीलैड फंड से हमने 300-400 एम्बुलेंस की व्यवस्था की है.'

हालांकि, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने इस अमानवीय घटना की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने दावा किया कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने की कोई जानकारी नहीं थी. पता होता तो व्यवस्था की जाती.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल इंद्रजीत साहा ने कहा, 'व्यक्ति ने अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी. उन्होंने कोई शिकायत भी नहीं की. शिकायत होती तो जांच होती.'

अधीक्षक संजय मल्लिक ने कहा, 'ऐसी किसी भी शिकायत का त्वरित निस्तारण किया जाता है. हमारे पास न तो शव वाहन है और न ही एंबुलेंस. लेकिन अगर किसी मरीज के परिवार को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो अस्पताल के रोगी कल्याण संघ के कोष से व्यवस्था की जाती है. लेकिन कोई भी समस्या लेकर हमारे पास नहीं आया.'

दिहाड़ी मजदूर और कालियागंज निवासी असीम देवशर्मा (Asim Devasharma) के पांच महीन के बेटे की शनिवार की रात मौत हो गई थी. सेप्टीसीमिया से पीड़ित बच्चे को नहीं बचाया जा सका. बच्चे के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की जरूरत थी. एंबुलेंस के लिए कथित तौर पर 8000 रुपये मांगे गए थे. लेकिन असीम ये रकम देने की स्थिति में नहीं थे. कोई विकल्प न होने पर शोक संतप्त पिता रविवार की सुबह बच्चे के शव को बैग में रखकर घर के लिए रवाना हो गया.

इससे राज्य में एक बड़ा राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. चिकित्सा सुविधा के रोगी कल्याण संघ के अध्यक्ष सिलीगुड़ी के मेयर और राज्य के पूर्व मंत्री गौतम देब हैं. एसोसिएशन के सदस्यों में से एक माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी से भाजपा विधायक आनंदमय बर्मन हैं.

फिर सवाल ये है कि इस तरह की घटना क्यों हुई. चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े कई लोगों का मानना ​​है कि अस्पताल से लेकर जिला प्रशासन तक इस घटना में जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.

उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य के अस्पतालों के आसपास के दलाल अब भी सक्रिय हैं. माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी के विधायक व रोगी कल्याण संघ के सदस्य आनंदमय बर्मन ने घटना पर रोष व्यक्त किया. बर्मन ने कहा, 'इस तरह की घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. यह अस्पताल प्रशासन के लिए शर्म की बात है. लेकिन कई बार सूचना देने के बाद भी पुलिस प्रशासन शव वाहन या एंबुलेंस किराए पर लेने पर लगाम नहीं लगा सका है.'

पढ़ें- एंबुलेंस का किराया नहीं दे पाने पर पिता ने झोले में रखा पांच महीने के शिशु का शव, तय की 200 KM की दूरी

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