नई दिल्ली : एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एएचपी-इंडिया) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से अपील की कि वे स्वैच्छिक आधार पर पात्र आबादी को बूस्टर खुराक देने पर विचार करें.
स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया को भेजे गए एक पत्र में एसोसिएशन ने कहा कि एंटीबॉडी के संभावित रूप से दूर होने के परिणामस्वरूप सुरक्षा की अवधि के बारे में अनिश्चितता है.
इसके अलावा, पत्र में कहा गया कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां जिन लोगों ने कोरोना टीके की दोनों खुराक ले ली हैं, वे कोरोना से दोवार संक्रमित हुए हैं. हम यह भी जानते हैं कि सरकार कम इम्यूनिटी वाले समूहों के लिए बूस्टर खुराक शुरू करने पर विचार कर रही है.
इसमें कहा गया है कि एएचपीआई की वैज्ञानिक समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार स्वैच्छिक आधार पर योग्य आबादी को बूस्टर खुराक देने पर विचार कर सकती है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, एएचपी-इंडिया के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि इसके लिए सरकार निजी क्षेत्र के अस्पतालों के पास उपलब्ध टीकों के स्टॉक का उपयोग कर सकती है.
डॉ ज्ञानी ने कहा, निजी अस्पतालों के पास वैक्सीन का स्टॉक उपलब्ध है और सरकार पात्र आबादी को स्वैच्छिक आधार पर बूस्टर खुराक लेने की अनुमति देना शुरू कर सकती है.
डॉ ज्ञानी ने रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे कई मामले हैं जहां कोविड से ठीक हुए व्यक्ति टीकों की दो खुराक लेने के बाद भी फिर से संक्रमित हो गए.
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बता दें कि कोविड-19 पर राष्ट्रीय कार्य बल भी भारत में बूस्टर डोज की आवश्यकता पर जांच कर रहा है. हालांकि, इस मुद्दे पर एक बहस चल रही है जहां स्वास्थ्य विशेषज्ञों का एक वर्ग यह सुझाव दे रहा है कि भारत में अभी बूस्टर खुराक की आवश्यकता नहीं है.
बूस्टर खुराक महत्वपूर्ण : आईएमए
वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने लोगों को बूस्टर डोज देने का समर्थन किया है. आईएमए महासचिव डॉ जयेश लेले ने कहा, बूस्टर खुराक महत्वपूर्ण है क्योंकि हमने देखा है कि दोनों खुराक के बाद प्रतिरक्षा 60-70 प्रतिशत रहती है, इसके अलावा एक व्यक्ति में प्रतिरक्षा का स्तर 6-7 महीनों के बाद कम हो जाता है ...उसके लिए बूस्टर खुराक विशेष रूप से डॉक्टरों, पैरा मेडिकल और अन्य फील्ड स्तर के कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है.
डॉ लेले ने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एक सामान्य प्रक्रिया है, इस पर जोर देते हुए कई देशों ने बूस्टर खुराक देना शुरू कर दिया है.
वहीं, 12-18 साल की उम्र के बच्चों के टीकाकरण को लेकर डॉ लेले ने कहा कि सरकार जल्द ही 12-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए टीकों को मंजूरी दे सकती है.