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'हील इन इंडिया': सरकार ने विदेशी मरीजों की आसानी के लिए 10 हवाई अड्डों पर दुभाषियों की योजना बनाई - airports

सरकार दस हवाई अड्डों पर विदेशी मरीजों की सुगमता के लिए दुभाषियों को तैनात करने की योजना बना रही है. हील इन इंडिया पहल की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 15 अगस्त को कर सकते हैं.

Prime Minister Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : Aug 7, 2022, 7:50 PM IST

नई दिल्ली : दस हवाई अड्डों पर दुभाषिए और विशेष डेस्क, एक बहुभाषी पोर्टल और सरलीकृत वीजा मानदंड चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के वास्ते सरकार की 'हील इन इंडिया' पहल का मुख्य आकर्षण होने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 15 अगस्त को इस पहल की घोषणा कर सकते हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय विदेशी मरीजों की सुगमता के लिए इसके विभिन्न पहलुओं और उपायों को अंतिम रूप दे रहा है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने 44 देशों की पहचान की है जहां से बड़ी संख्या में लोग चिकित्सा उद्देश्यों के लिए भारत आते हैं, इन देशों में इलाज की लागत और गुणवत्ता को भी ध्यान में रखा गया है. उन्होंने बताया कि ये मुख्य रूप से अफ्रीकी, लातिन अमेरिकी, सार्क और खाड़ी देश हैं. सूत्रों ने कहा कि 10 चिन्हित हवाई अड्डों- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, विशाखापत्तनम, कोच्चि, अहमदाबाद, हैदराबाद और गुवाहाटी में इन 44 देशों के मरीजों की संख्या ज्यादा है.

सूत्रों में से एक ने बताया, 'चिकित्सा यात्रा को बढ़ावा देने और मरीज यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए, सरकार भाषा दुभाषियों को तैनात करेगी और चिकित्सा यात्रा, परिवहन, बोर्डिंग आदि से संबंधित प्रश्नों के लिए 10 चिन्हित हवाई अड्डों पर स्वास्थ्य डेस्क स्थापित करेगी.' एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि अनुमानों के अनुसार, चिकित्सा पर्यटन बाजार, जिसका मूल्य 2020 के वित्तीय वर्ष में छह अरब अमेरिकी डॉलर था, के दोगुने से अधिक और 2026 तक 13 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से एक बहुभाषी पोर्टल विकसित किया है जो विदेशी मरीजों के लिए विभिन्न सेवाओं के लिए 'वन-स्टॉप शॉप' होगी. पोर्टल की 15 अगस्त को शुरुआत होने की भी संभावना है. मंत्रालय ने 12 राज्यों-दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और असम के 17 शहरों में 37 अस्पतालों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की योजना भी तैयार की है.

सरकार चिन्हित किए गए 44 देशों के मरीजों और उनके साथियों के लिए मेडिकल वीजा नियमों को आसान बनाने पर भी काम कर रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय पर्यटन, आयुष, नागरिक उड्डयन मंत्रालयों, विदेश मंत्रालय, अस्पतालों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग कर रहा है ताकि चिकित्सा यात्रा को बढ़ावा देने के लिए भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ विदेशी मरीजों को जोड़ने के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सके.

स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए भारत की क्षमता को रेखांकित करते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारत में इलाज की लागत ज्यादातर देशों की तुलना में दो से तीन गुना कम है. भारत में इलाज अमेरिका के मुकाबले 65 से 90 फीसदी सस्ता है. इसके अलावा, भारत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सा प्रदान करता है. बांग्लादेश, इराक, मालदीव, अफगानिस्तान, ओमान, यमन, सूडान, केन्या, नाइजीरिया और तंजानिया से भारत आने वाले कुल अंतरराष्ट्रीय रोगियों का लगभग 88 प्रतिशत हिस्सा है. अकेले बांग्लादेश में कुल चिकित्सा पर्यटकों का 54 प्रतिशत हिस्सा है. भारत में विदेशी मरीजों द्वारा हृदय रोगों, मधुमेह और गुर्दे की बीमारियों के उपचार की सबसे अधिक मांग रहती है.

ये भी पढ़ें - पक्षी टकराने से वाराणसी एयर पोर्ट पर हुई विमान की इमरजेंसी लैंडिंग, यात्री सुरक्षित

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दस हवाई अड्डों पर दुभाषिए और विशेष डेस्क, एक बहुभाषी पोर्टल और सरलीकृत वीजा मानदंड चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के वास्ते सरकार की 'हील इन इंडिया' पहल का मुख्य आकर्षण होने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 15 अगस्त को इस पहल की घोषणा कर सकते हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय विदेशी मरीजों की सुगमता के लिए इसके विभिन्न पहलुओं और उपायों को अंतिम रूप दे रहा है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने 44 देशों की पहचान की है जहां से बड़ी संख्या में लोग चिकित्सा उद्देश्यों के लिए भारत आते हैं, इन देशों में इलाज की लागत और गुणवत्ता को भी ध्यान में रखा गया है. उन्होंने बताया कि ये मुख्य रूप से अफ्रीकी, लातिन अमेरिकी, सार्क और खाड़ी देश हैं. सूत्रों ने कहा कि 10 चिन्हित हवाई अड्डों- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, विशाखापत्तनम, कोच्चि, अहमदाबाद, हैदराबाद और गुवाहाटी में इन 44 देशों के मरीजों की संख्या ज्यादा है.

सूत्रों में से एक ने बताया, 'चिकित्सा यात्रा को बढ़ावा देने और मरीज यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए, सरकार भाषा दुभाषियों को तैनात करेगी और चिकित्सा यात्रा, परिवहन, बोर्डिंग आदि से संबंधित प्रश्नों के लिए 10 चिन्हित हवाई अड्डों पर स्वास्थ्य डेस्क स्थापित करेगी.' एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि अनुमानों के अनुसार, चिकित्सा पर्यटन बाजार, जिसका मूल्य 2020 के वित्तीय वर्ष में छह अरब अमेरिकी डॉलर था, के दोगुने से अधिक और 2026 तक 13 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से एक बहुभाषी पोर्टल विकसित किया है जो विदेशी मरीजों के लिए विभिन्न सेवाओं के लिए 'वन-स्टॉप शॉप' होगी. पोर्टल की 15 अगस्त को शुरुआत होने की भी संभावना है. मंत्रालय ने 12 राज्यों-दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और असम के 17 शहरों में 37 अस्पतालों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की योजना भी तैयार की है.

सरकार चिन्हित किए गए 44 देशों के मरीजों और उनके साथियों के लिए मेडिकल वीजा नियमों को आसान बनाने पर भी काम कर रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय पर्यटन, आयुष, नागरिक उड्डयन मंत्रालयों, विदेश मंत्रालय, अस्पतालों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग कर रहा है ताकि चिकित्सा यात्रा को बढ़ावा देने के लिए भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ विदेशी मरीजों को जोड़ने के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सके.

स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए भारत की क्षमता को रेखांकित करते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारत में इलाज की लागत ज्यादातर देशों की तुलना में दो से तीन गुना कम है. भारत में इलाज अमेरिका के मुकाबले 65 से 90 फीसदी सस्ता है. इसके अलावा, भारत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सा प्रदान करता है. बांग्लादेश, इराक, मालदीव, अफगानिस्तान, ओमान, यमन, सूडान, केन्या, नाइजीरिया और तंजानिया से भारत आने वाले कुल अंतरराष्ट्रीय रोगियों का लगभग 88 प्रतिशत हिस्सा है. अकेले बांग्लादेश में कुल चिकित्सा पर्यटकों का 54 प्रतिशत हिस्सा है. भारत में विदेशी मरीजों द्वारा हृदय रोगों, मधुमेह और गुर्दे की बीमारियों के उपचार की सबसे अधिक मांग रहती है.

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(पीटीआई-भाषा)

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