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महाराष्ट्र में नाव से नदी पार कर स्कूल जाती हैं बच्चियां, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - girls reach school by boat crossing the dam maharashtra

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने ने महाराष्ट्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें स्कूल की बच्चियों को नाव से बांध पार करने व पैदल जंगल पार कर स्कूल पहुंचने की बात कही गई है. हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और सरकार से जवाब मांगा है.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Feb 18, 2022, 7:11 PM IST

Updated : Feb 18, 2022, 8:05 PM IST

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay high court) ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह स्वत: संज्ञान की गई याचिका पर जवाब दें. क्योंकि एक गांव में लड़कियों की हालत ऐसी है कि उन्हें स्कूल तक पहुंचने के लिए नाव का इस्तेमाल करना पड़ता है और जंगल से होकर जाना पड़ता है.

न्यायमूर्ति पीबी वराले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछले महीने एक समाचार का संज्ञान लिया था कि कैसे खिरवंडी गांव के बच्चों को राज्य के सतारा जिले की कोयना बांध को पार करने के लिए नाव से यात्रा करनी पड़ती है. इसके बाद फिर अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है. हाईकोर्ट ने वकील संजीव कदम को एमिकस (अदालत की सहायता के लिए) नियुक्त किया और उन्हें एक इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही इस मुद्दे पर राज्य सरकार से अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

यह भी पढ़ें- Karnataka Hijab Row: विवाद के बीच कर्नाटक में एक लेक्चरर ने दिया इस्तीफा

अदालत ने कहा कि वह इस मामले पर तीन सप्ताह बाद आगे की सुनवाई करेगी. पीठ ने पिछले महीने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए कहा था कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के आदर्श वाक्य को केवल लड़कियों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करके ही हासिल किया जा सकता है. अदालत ने तब नोट किया था कि छात्राएं अपनी नाव को कोयना बांध के एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाती हैं और वहां से अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए घने जंगल के एक हिस्से से गुजरती हैं.

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay high court) ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह स्वत: संज्ञान की गई याचिका पर जवाब दें. क्योंकि एक गांव में लड़कियों की हालत ऐसी है कि उन्हें स्कूल तक पहुंचने के लिए नाव का इस्तेमाल करना पड़ता है और जंगल से होकर जाना पड़ता है.

न्यायमूर्ति पीबी वराले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछले महीने एक समाचार का संज्ञान लिया था कि कैसे खिरवंडी गांव के बच्चों को राज्य के सतारा जिले की कोयना बांध को पार करने के लिए नाव से यात्रा करनी पड़ती है. इसके बाद फिर अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है. हाईकोर्ट ने वकील संजीव कदम को एमिकस (अदालत की सहायता के लिए) नियुक्त किया और उन्हें एक इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही इस मुद्दे पर राज्य सरकार से अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

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अदालत ने कहा कि वह इस मामले पर तीन सप्ताह बाद आगे की सुनवाई करेगी. पीठ ने पिछले महीने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए कहा था कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के आदर्श वाक्य को केवल लड़कियों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करके ही हासिल किया जा सकता है. अदालत ने तब नोट किया था कि छात्राएं अपनी नाव को कोयना बांध के एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाती हैं और वहां से अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए घने जंगल के एक हिस्से से गुजरती हैं.

Last Updated : Feb 18, 2022, 8:05 PM IST
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