चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) के मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने कहा कि उसने खंड पर वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने का कोई आदेश पारित नहीं किया है. कोर्ट ने इरोड कलेक्टर को 2018-2019 में जारी अपनी अधिसूचनाओं को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया था, जिसे तब लोगों के विरोध के बाद लागू नहीं किया गया था.
पिछले सप्ताह शहर के अधिवक्ता एसपी चोकलिंगम की एक जनहित याचिका पर आदेश पारित करते हुए पीठ ने संबंधित अधिकारियों को 10 फरवरी से इरोड कलेक्टर द्वारा जारी अधिसूचना को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया था. इसने कलेक्टर द्वारा पहले से जारी अधिसूचनाओं को लागू करने में चूक और निष्क्रियता के लिए संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारियों को भी फटकार लगाई.
पिछले सप्ताह जब कलेक्टर ने अपने आदेशों को लागू किया तो जनता और व्यापारियों का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ. दोनों तरफ वाहनों का अंबार लगा रहा और जाम की स्थिति बनी. सत्यमंगलम के पनमपल्ली निवासी पूर्व विधायक पीएल सुंदरम ने प्रतिबंध के खिलाफ याचिका दायर की थी. उन्होंने तर्क दिया कि आवश्यक वस्तुओं को 144 गांवों तक नहीं पहुंचाया जा सकता है, वहीं इन गांवों के छात्रों को अपने स्कूलों तक पहुंचने के लिए 4 किमी पैदल चलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कोई वैकल्पिक रास्ता मुहैया कराए बिना प्रतिबंध को लागू नहीं किया जाना चाहिए.
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दुर्घटनाओं से बचने के लिए नियमित अंतराल पर स्पीड ब्रेकर और रंबलर लगाए जा सकते हैं और वाहनों की गति को चेक किया जा सकता है. उन्होंने इस दावे का भी विरोध किया कि सड़क पर हुए हादसों में बड़ी संख्या में जंगली जानवर मारे गए. वन विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कोर्ट को बताया कि पिछले 10 साल में सिर्फ 24 जानवर मारे गए. यहां तक कि यह भी प्रमाणित नहीं हुआ है कि उनकी मौत वाहनों के कुचलने से हुई है.