ETV Bharat / bharat

कनॉट प्लेस फर्जी शूटआउट मामले के पीड़ित को 15 लाख मुआवजा देने का आदेश

author img

By

Published : Apr 30, 2022, 6:59 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने मार्च 1997 में कनॉट प्लेस में हुई फर्जी मुठभेड़ (connaught place fake shootout case) के पीड़ित को 15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

HC
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने मार्च 1997 में कनॉट प्लेस में हुए फर्जी मुठभेड़ के पीड़ित को 15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने पीड़ित तरुणप्रीत सिंह को घटना के दिन से आठ फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है. मामला 31 मार्च 1997 का है. दिल्ली पुलिस ने मुठभेड़ में दो बदमाशों को मार गिराने का दावा किया था, लेकिन मुठभेड़ के कुछ घंटों के बाद ही पता चला कि पुलिस जिन लोगों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा कर रही है वो कारोबारी थे.

इस मामले में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सत्यवीर सिंह राठी समेत 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था. सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता तरुणप्रीत सिंह शरीर में छर्रे के साथ जीवन गुजार रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को मुआवजा न केवल उसकी वर्तमान स्थिति बल्कि भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी भी जटिलता को ध्यान में रखकर दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के दो बच्चे हैं. जिनकी शिक्षा की जिम्मेदारी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

कोर्ट ने इन बातों पर गौर करते हुए दिल्ली सरकार को आठ फीसदी ब्याज के साथ 15 लाख रुपए देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आठ महीने के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने तरुणप्रीत सिंह को मुकदमे के खर्च के रूप में दो लाख रुपए देने का निर्देश दिया.

पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा, 'क्या पीएम के खिलाफ जुमला शब्द का इस्तेमाल उचित है'

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने मार्च 1997 में कनॉट प्लेस में हुए फर्जी मुठभेड़ के पीड़ित को 15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने पीड़ित तरुणप्रीत सिंह को घटना के दिन से आठ फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है. मामला 31 मार्च 1997 का है. दिल्ली पुलिस ने मुठभेड़ में दो बदमाशों को मार गिराने का दावा किया था, लेकिन मुठभेड़ के कुछ घंटों के बाद ही पता चला कि पुलिस जिन लोगों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा कर रही है वो कारोबारी थे.

इस मामले में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सत्यवीर सिंह राठी समेत 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था. सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता तरुणप्रीत सिंह शरीर में छर्रे के साथ जीवन गुजार रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को मुआवजा न केवल उसकी वर्तमान स्थिति बल्कि भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी भी जटिलता को ध्यान में रखकर दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के दो बच्चे हैं. जिनकी शिक्षा की जिम्मेदारी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

कोर्ट ने इन बातों पर गौर करते हुए दिल्ली सरकार को आठ फीसदी ब्याज के साथ 15 लाख रुपए देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आठ महीने के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने तरुणप्रीत सिंह को मुकदमे के खर्च के रूप में दो लाख रुपए देने का निर्देश दिया.

पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा, 'क्या पीएम के खिलाफ जुमला शब्द का इस्तेमाल उचित है'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.