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DAMEPL को दिए गए ₹678 करोड़ वापस करने की DMRC की अर्जी खारिज

दिल्ली होईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को एयरपोर्ट मेट्रो से जुड़ी रही कंपनी डीएएमईपीएल के कर्जदाताओं को दिए गए 678 करोड़ रुपये वापस लौटाने की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी है.

दिल्ली होईकोर्ट
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Published : Dec 4, 2021, 12:47 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ( Delhi High Court) ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम ( Delhi Metro Rail Corporation ) (डीएमआरसी) को एयरपोर्ट मेट्रो से जुड़ी रही कंपनी डीएएमईपीएल के कर्जदाताओं को दिए गए 678 करोड़ रुपये वापस लौटाने की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी है.

डीएमआरसी ने यह रकम एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (Delhi Airport Metro Express Private Limited ) (डीएएमईपीएल) को न्यायालय की एकल पीठ के आदेश के बाद दी थी. एकल पीठ ने डीएएमईपीएल के पक्ष में आए मध्यस्थता न्यायाधिकरण के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें डीएमआरसी को करीब 4600 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया था.

अब उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी इस आदेश के 678 करोड़ रुपये वापस करने की डीएमआरसी की मांग ठुकरा दी है. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराने वाले अपने फैसले पर उच्चतम न्यायालय ने भी पुनर्विचार करने से जब मना कर दिया है, तो डीएमआरसी की यह अर्जी भी अहमियत नहीं रखती है.

उच्च न्यायालय की पीठ ने एक दिसंबर को दिए इस आदेश में कहा कि ऐसी स्थिति में डीएमआरसी की अर्जी को खारिज किया जा रहा है. इसमें दिल्ली मेट्रो ने 678 करोड़ रुपये के अलावा ब्याज के तौर पर 65.72 करोड़ रुपये की भी मांग रखी थी.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गत 23 नवंबर को डीएमआरसी की तरफ से दायर उस पुनर्विचार याचिका को भी निरस्त कर दिया था, जिसमें मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराने वाले नौ सितंबर 2021 के निर्णय की समीक्षा करने का आग्रह किया गया था.

यह भी पढ़ें- ओडिशा, आंध्र प्रदेश और बंगाल चक्रवात 'जवाद' को लेकर अलर्ट, NDRF ने तैनात की टीम

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) की अनुषंगी कंपनी डीएएमईपीएल एयरपोर्ट मेट्रो लाइन परियोजना से यह कहते हुए अलग हो गई थी कि तकनीकी खामियों की वजह से इसका परिचालन व्यावहारिक नहीं है.

दोनों पक्षों के बीच विवाद होने के बाद मामला मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चला गया जहां पर फैसला डीएएमईपीएल के पक्ष में आया था. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि डीएएमईपीएल के कर्जदाताओं को वह 678 करोड़ रुपये का भुगतान करे.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ( Delhi High Court) ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम ( Delhi Metro Rail Corporation ) (डीएमआरसी) को एयरपोर्ट मेट्रो से जुड़ी रही कंपनी डीएएमईपीएल के कर्जदाताओं को दिए गए 678 करोड़ रुपये वापस लौटाने की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी है.

डीएमआरसी ने यह रकम एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (Delhi Airport Metro Express Private Limited ) (डीएएमईपीएल) को न्यायालय की एकल पीठ के आदेश के बाद दी थी. एकल पीठ ने डीएएमईपीएल के पक्ष में आए मध्यस्थता न्यायाधिकरण के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें डीएमआरसी को करीब 4600 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया था.

अब उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी इस आदेश के 678 करोड़ रुपये वापस करने की डीएमआरसी की मांग ठुकरा दी है. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराने वाले अपने फैसले पर उच्चतम न्यायालय ने भी पुनर्विचार करने से जब मना कर दिया है, तो डीएमआरसी की यह अर्जी भी अहमियत नहीं रखती है.

उच्च न्यायालय की पीठ ने एक दिसंबर को दिए इस आदेश में कहा कि ऐसी स्थिति में डीएमआरसी की अर्जी को खारिज किया जा रहा है. इसमें दिल्ली मेट्रो ने 678 करोड़ रुपये के अलावा ब्याज के तौर पर 65.72 करोड़ रुपये की भी मांग रखी थी.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गत 23 नवंबर को डीएमआरसी की तरफ से दायर उस पुनर्विचार याचिका को भी निरस्त कर दिया था, जिसमें मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराने वाले नौ सितंबर 2021 के निर्णय की समीक्षा करने का आग्रह किया गया था.

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रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) की अनुषंगी कंपनी डीएएमईपीएल एयरपोर्ट मेट्रो लाइन परियोजना से यह कहते हुए अलग हो गई थी कि तकनीकी खामियों की वजह से इसका परिचालन व्यावहारिक नहीं है.

दोनों पक्षों के बीच विवाद होने के बाद मामला मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चला गया जहां पर फैसला डीएएमईपीएल के पक्ष में आया था. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि डीएएमईपीएल के कर्जदाताओं को वह 678 करोड़ रुपये का भुगतान करे.

(एजेंसी इनपुट)

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