कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने पशु जन्म नियंत्रण (ABC) उपाय के लिए कुदुम्बश्री को धन के किसी भी प्रस्तावित हस्तांतरण पर तब तक रोक लगाने का सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया, जब तक कि यह पता नहीं चल जाता है कि क्या उसके सदस्य भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) में पंजीकृत हैं और उनके पास ऐसी गतिविधियों को करने की विशेषज्ञता है या नहीं.
न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति पी गोपीनाथ की पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रस्तावित धन हस्तांतरण को अदालत के आदेश के बिना प्रभावी नहीं किया जाएगा. कुदुम्बश्री राज्य सरकार का गरीबी उन्मूलन एवं महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम है.
पीठ ने यह भी कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत कुत्तों को पकड़ने का मौजूदा 'क्रूर तरीका' जारी नहीं रह सकता है. साथ में अदालत ने पशु कल्याण समूहों को इस मुद्दे पर राज्य को सुझाव देने को कहा.
अदालत ने इस मामले में नियुक्त न्याय मित्र को राज्य पशु कल्याण बोर्ड के पुनर्गठन के संबंध में सभी हितधारकों से सुझाव लेने और इसे दो अगस्त को पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया.
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तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाके में आदिमलाथुरा समुद्र तट पर ब्रूनो नाम के एक कुत्ते को कुछ लोगों ने बांध कर बुरी तरह से पीटा था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी, जिस पर यह निर्देश दिए गए हैं.
इस बीच राज्य सरकार ने पीठ से कहा कि पालतू जानवरों के पंजीकरण के संबंध में प्रक्रिया चल रही है. सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि वह राज्य भर में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने के लिए कुदुम्बश्री को धन हस्तांतरित करने का प्रस्ताव कर रही है.
इस पर, अदालत ने राज्य सरकार को कोष के किसी भी तरह के हस्तांतरण को अस्थायी रूप से रोकने और पहले यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या कुदुम्बश्री या उसके सदस्य एडब्ल्यूबीआई में पंजीकृत हैं और क्या उनके पास पशु जन्म नियंत्रण उपायों को लागू करने की जरूरी विशेषज्ञता है.
(भाषा)