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गांव छोड़कर जाना चाहता है हाथरस पीड़िता का परिवार

हाथरस में 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित लड़की से चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान 29 सितंबर को लड़की की मौत हो गई थी. प्रशासन ने लड़की के अभिभावकों की सहमति के बिना ही रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी.

हाथरस पीड़िता का परिवार
हाथरस पीड़िता का परिवार
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Published : Dec 20, 2020, 11:41 AM IST

लखनऊ : सीबीआई द्वारा हाथरस मामले में दुष्कर्म और हत्या के चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के दो दिन बाद 19 वर्षीय पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने कहा है कि वे गांव छोड़कर जाना चाहते हैं. पीड़िता के भाईयों में से एक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा चारों आरोपियों के परिवार गांव के प्रभावशाली लोग हैं और गांव के चार-पांच दलित परिवार 'परेशानी' से दूर रहना चाहते हैं और हमारा सहयोग नहीं करेंगे. 63 से अधिक उच्च जाति के परिवार हैं जो बात भी नहीं करते हैं. शुक्रवार को चार्जशीट दायर होने के बाद हालात और भी अधिक प्रतिकूल हो गया है.

पीड़िता ने मरने के पहले दिए बयान में कहा था कि आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुष्कर्म की बात को नकार दिया था. 14 सितंबर को वह दुष्कर्म का शिकार होने के बाद 30 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत के बाद राष्ट्रीय आक्रोश पैदा हो गया था. परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई है, लेकिन परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमेशा सुरक्षाकर्मी नहीं रहेंगे.

पढ़ें : CBI ने दाखिल की चार्जशीट, चार आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप

भाई ने कहा हम चाहते हैं कि सरकार हमें दिल्ली में एक घर दे ताकि हम यहां से दूर जा सकें और शांति से अपना जीवन जी सकें. पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने भी एक समाचार चैनल से कहा कि वह मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करेंगी. उन्होंने कहा यूपी के अधिकारियों पर भी मामले में लापरवाही का आरोप है. हम चार्जशीट में उनको शामिल करने की मांग करेंगे. यह निश्चित रूप से गांव में रह रहे पीड़िता के परिवार के लिए सुरक्षित नहीं है.

लखनऊ : सीबीआई द्वारा हाथरस मामले में दुष्कर्म और हत्या के चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के दो दिन बाद 19 वर्षीय पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने कहा है कि वे गांव छोड़कर जाना चाहते हैं. पीड़िता के भाईयों में से एक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा चारों आरोपियों के परिवार गांव के प्रभावशाली लोग हैं और गांव के चार-पांच दलित परिवार 'परेशानी' से दूर रहना चाहते हैं और हमारा सहयोग नहीं करेंगे. 63 से अधिक उच्च जाति के परिवार हैं जो बात भी नहीं करते हैं. शुक्रवार को चार्जशीट दायर होने के बाद हालात और भी अधिक प्रतिकूल हो गया है.

पीड़िता ने मरने के पहले दिए बयान में कहा था कि आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुष्कर्म की बात को नकार दिया था. 14 सितंबर को वह दुष्कर्म का शिकार होने के बाद 30 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत के बाद राष्ट्रीय आक्रोश पैदा हो गया था. परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई है, लेकिन परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमेशा सुरक्षाकर्मी नहीं रहेंगे.

पढ़ें : CBI ने दाखिल की चार्जशीट, चार आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप

भाई ने कहा हम चाहते हैं कि सरकार हमें दिल्ली में एक घर दे ताकि हम यहां से दूर जा सकें और शांति से अपना जीवन जी सकें. पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने भी एक समाचार चैनल से कहा कि वह मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करेंगी. उन्होंने कहा यूपी के अधिकारियों पर भी मामले में लापरवाही का आरोप है. हम चार्जशीट में उनको शामिल करने की मांग करेंगे. यह निश्चित रूप से गांव में रह रहे पीड़िता के परिवार के लिए सुरक्षित नहीं है.

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