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ऋषभ पंत के सामने मसीहा बनकर आए हरियाणा रोडवेज के चालक और परिचालक, ईटीवी भारत से बातचीत में बताया पूरा घनाक्रम - क्रिकेटर ऋषभ पंत का एक्सीडेंट

क्रिकेटर ऋषभ पंत को एक्सीडेंट (rishabh pant road accident) के बाद बचाने में मदद करने वाले हरियाणा रोडवेज के बस ड्राइवर सुशील और परिचालक परमजीत ने ईटीवी भारत हरियाणा से खास बातचीत की. जिसमें उन्हें पूरी घटना को विस्तार से बताया.

haryana roadways bus driver and conductor exclusive interview etv bharat
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Published : Dec 30, 2022, 10:25 PM IST

ऋषभ पंत के सामने मसीहा बनकर आए हरियाणा रोडवेज के चालक और परिचालक, ईटीवी भारत से बातचीत में बताया पूरा घनाक्रम

पानीपत: शुक्रवार को भारत के स्टार क्रिकेटर ऋषभ पंत का एक्सीडेंट (rishabh pant road accident) हो गया. इस हादसे में वो गंभीर रूप से घायल हो गए. फिलहाल उनकी तबीयत स्थिर बताई जा रही है. हरियाणा रोडवेज पानीपत डिपो के बस चालक और परिचालक उनके सामने महीसा बनकर पहुंचे. बस ड्राइवर और कंडक्टर ने ही ऋषभ पंत को कार से खींचकर बाहर निकाला था. उसके बाद पुलिस और एंबुलेंस को फोन पर इस हादसे की सूचना मिली.

हरियाणा रोडवेज के बस चालक और परिचालक दोनों की इस बहादुरी भरे काम के लिए पानीपत रोडवेज डिपो के जीएम ने उन्हें प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया. रोडवेज बस चालक सुशील करनाल के बल्ला गांव के रहने वाले हैं. वो हरियाणा रोडवेज मैं बतौर परिचालक कार्यरत हैं. फिलहाल उनकी पानीपत डिपो में ड्यूटी है. वो करीब 1 महीने से डिपो की बस नंबर HR67A8824 पानीपत से हरिद्वार और हरिद्वार से पानीपत रूट पर बस चला रहे हैं.

उसके साथ उसके ही गांव के परिचालक परमजीत हैं. रोजाना की तरह सुबह 4:25 पर वो हरिद्वार से पानीपत के लिए चले थे. सुबह करीब 5:20 बजे जब वो नारसन गुरुकुल के नजदीक पहुंचे, तो सुशील ने देखा कि दूसरी तरफ सामने से एक तेज रफ्तार कार का एक्सीडेंट हो गया. कार डिवाइडर को तोड़ते हुए बस के आगे आ गई थी. गनीमत रही कि कार और बस की सीधी टक्कर नहीं हुई. तभी बस ड्राइवर सुशील और कंडक्टर परमजीत ने बस को रोककर ऋषभ पंत की मदद की. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बस चालक और परिचालक ने पूरी घटना को विस्तार से बताया.

मैं रोजाना की तरह सुबह 4:25 पर हरिद्वार से पानीपत के लिए चला था. सुबह करीब 5:20 बजे जब हम नारसन गुरुकुल के नजदीक पहुंचे तो देखा कि दिल्ली की तरफ से आ रही कार डिवाइडर से टकरा गई. टकराने के बाद कार हरिद्वार वाली लाइन पर आ गई. मुझे लगा कि कार बस से टकरा जाएगी. जब मैंने कार को कंडक्टर साइड जाते देखा तो मैंने बस को ड्राइवर साइड कर दिया. जिसके बाद मैंने ब्रेक लगाया और कार ड्राइवर की मदद के लिए नीचे उतरा. मैंने देखा कि कार कई बार पलटकर चकनाचूर हो चुकी थी. उसमें पीछे की तरफ (डिग्गी) आग लग गई थी. एक आदमी कार के आधा बाहर था. मुझे लगा कि कार चालक की मौत हो चुकी है. जिसे मैंने और परिचालक ने खींचकर बाहर निकाला. तब तक हमें नहीं पता था कि वो आम नहीं खास (ऋषभ पंत) हैं. क्योंकि हम क्रिकेट नहीं देखते. जैसे ही हमने कार चालक (ऋषभ पंत) को कार से अलग करके डिवाइडर पर लेटाया तो कार में आग लग चुकी थी. इतने में उस आदमी को होश आया और उसने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं भारतीय क्रिकेटर. इसके बाद मैंने पूछा कि कोई और कार के अंदर है. वो बोला मैं अकेला ही हूं. उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे, तब हमने अपनी चादर में उसे लपेट दिया और इसकी सूचना पुलिस और एंबुलेंस को दी.-सुशील, बस ड्राइवर

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान परिचालक परमजीत ने बताया कि जब एक्सीडेंट हुआ तो मैंने मर्सिडीज सवार चालक को तेज आवाज में कहा कि कौन है तू? क्या देखकर ड्राइविंग नहीं कर सकता था? लेकन कार चालक की गंभीर हालत को देखते हुए उन्होंने हादसे की सूचना एंबुलेंस को दी. उन्होंने बताया कि ऋषभ पंत ने कहा कि उनकी मां को फोन करें. परिचालक का नंबर एंबुलेंस कंट्रोल नंबर पर लगातार जारी था. जिस वजह उन्होंने एक सवारी को फोन करने को कहा. जब ऋषभ पंत की मां को कॉल की गई, तो उनका नंबर स्विच ऑफ था. जिस पर ऋषभ पंत ने कहा कि शायद मां सो रही होंगी, इसलिए उनका नंबर बंद है.

इसके बाद उन्होंने पानी मांगकर पिया. एक तरफ बस चालक ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया तो दूसरी तरफ परिचालक ने एंबुलेंस कंट्रोल रूम पर कॉल कर इसकी जानकारी दी. करीब 12 से 15 मिनट के भीतर मौके पर एंबुलेंस पहुंची. इसके बाद ऋषभ पंत समेत मौके से बचाया गया सामान और पैसे एंबुलेंस में रखे. इसके बाद परिचालक ने एंबुलेंस चालक को बताया गया कि ये भारतीय क्रिकेटर है. इनको किसी अच्छे अस्पताल में ले जाया जाए. जब ऋषभ पंत को वहां से अस्पताल के लिए ले जाया गया. तब दोनों अपनी बस और सवारियों को लेकर पानीपत की ओर रवाना हुए.

ये भी पढ़ें- ऋषभ पंत का रेस्क्यू करने वाले हरियाणा रोडवेज के चालक और परिचालक सम्मानित, उन्हीं से सुनें कैसे की मदद

परिचालक ने बताया कि जब वो हरिद्वार से चले थे, तो उनकी बस में महज एक महिला सवारी थी. इसके बाद पतंजलि के बाहर से एक सवारी मिली. रुड़की से 13 सवारियां मिली. इस तरह घटनास्थल तक पहुंचने तक उनकी बस में करीब 35 सवारियां थी. हादसे के बाद UP की सवारियां भाग गई थी, उन्होंने किसी प्रकार की मदद नहीं की. मगर बस में सवार हरियाणा की सवारियां मदद के लिए आगे आई. उन्होंने हर तरह से मदद की. यहां तक की सड़क पर बिखरे ऋषभ पंत के करीब 5 से 7 हजार की नकदी भी इकट्ठा की. इस बारे में पानीपत रोडवेज डिपो GM कुलदीप जांगड़ा ने बताया कि उनके पास परिवहन मंत्री कार्यालय से फोन आया है, जिन्होंने चालक और परिचालक का राज्य स्तरीय सम्मान करने की बात कही है. वहीं इन्हें मानवता की मिसाल पेश करने पर पानीपत डिपो की तरफ से प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया है.

ऋषभ पंत के सामने मसीहा बनकर आए हरियाणा रोडवेज के चालक और परिचालक, ईटीवी भारत से बातचीत में बताया पूरा घनाक्रम

पानीपत: शुक्रवार को भारत के स्टार क्रिकेटर ऋषभ पंत का एक्सीडेंट (rishabh pant road accident) हो गया. इस हादसे में वो गंभीर रूप से घायल हो गए. फिलहाल उनकी तबीयत स्थिर बताई जा रही है. हरियाणा रोडवेज पानीपत डिपो के बस चालक और परिचालक उनके सामने महीसा बनकर पहुंचे. बस ड्राइवर और कंडक्टर ने ही ऋषभ पंत को कार से खींचकर बाहर निकाला था. उसके बाद पुलिस और एंबुलेंस को फोन पर इस हादसे की सूचना मिली.

हरियाणा रोडवेज के बस चालक और परिचालक दोनों की इस बहादुरी भरे काम के लिए पानीपत रोडवेज डिपो के जीएम ने उन्हें प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया. रोडवेज बस चालक सुशील करनाल के बल्ला गांव के रहने वाले हैं. वो हरियाणा रोडवेज मैं बतौर परिचालक कार्यरत हैं. फिलहाल उनकी पानीपत डिपो में ड्यूटी है. वो करीब 1 महीने से डिपो की बस नंबर HR67A8824 पानीपत से हरिद्वार और हरिद्वार से पानीपत रूट पर बस चला रहे हैं.

उसके साथ उसके ही गांव के परिचालक परमजीत हैं. रोजाना की तरह सुबह 4:25 पर वो हरिद्वार से पानीपत के लिए चले थे. सुबह करीब 5:20 बजे जब वो नारसन गुरुकुल के नजदीक पहुंचे, तो सुशील ने देखा कि दूसरी तरफ सामने से एक तेज रफ्तार कार का एक्सीडेंट हो गया. कार डिवाइडर को तोड़ते हुए बस के आगे आ गई थी. गनीमत रही कि कार और बस की सीधी टक्कर नहीं हुई. तभी बस ड्राइवर सुशील और कंडक्टर परमजीत ने बस को रोककर ऋषभ पंत की मदद की. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बस चालक और परिचालक ने पूरी घटना को विस्तार से बताया.

मैं रोजाना की तरह सुबह 4:25 पर हरिद्वार से पानीपत के लिए चला था. सुबह करीब 5:20 बजे जब हम नारसन गुरुकुल के नजदीक पहुंचे तो देखा कि दिल्ली की तरफ से आ रही कार डिवाइडर से टकरा गई. टकराने के बाद कार हरिद्वार वाली लाइन पर आ गई. मुझे लगा कि कार बस से टकरा जाएगी. जब मैंने कार को कंडक्टर साइड जाते देखा तो मैंने बस को ड्राइवर साइड कर दिया. जिसके बाद मैंने ब्रेक लगाया और कार ड्राइवर की मदद के लिए नीचे उतरा. मैंने देखा कि कार कई बार पलटकर चकनाचूर हो चुकी थी. उसमें पीछे की तरफ (डिग्गी) आग लग गई थी. एक आदमी कार के आधा बाहर था. मुझे लगा कि कार चालक की मौत हो चुकी है. जिसे मैंने और परिचालक ने खींचकर बाहर निकाला. तब तक हमें नहीं पता था कि वो आम नहीं खास (ऋषभ पंत) हैं. क्योंकि हम क्रिकेट नहीं देखते. जैसे ही हमने कार चालक (ऋषभ पंत) को कार से अलग करके डिवाइडर पर लेटाया तो कार में आग लग चुकी थी. इतने में उस आदमी को होश आया और उसने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं भारतीय क्रिकेटर. इसके बाद मैंने पूछा कि कोई और कार के अंदर है. वो बोला मैं अकेला ही हूं. उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे, तब हमने अपनी चादर में उसे लपेट दिया और इसकी सूचना पुलिस और एंबुलेंस को दी.-सुशील, बस ड्राइवर

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान परिचालक परमजीत ने बताया कि जब एक्सीडेंट हुआ तो मैंने मर्सिडीज सवार चालक को तेज आवाज में कहा कि कौन है तू? क्या देखकर ड्राइविंग नहीं कर सकता था? लेकन कार चालक की गंभीर हालत को देखते हुए उन्होंने हादसे की सूचना एंबुलेंस को दी. उन्होंने बताया कि ऋषभ पंत ने कहा कि उनकी मां को फोन करें. परिचालक का नंबर एंबुलेंस कंट्रोल नंबर पर लगातार जारी था. जिस वजह उन्होंने एक सवारी को फोन करने को कहा. जब ऋषभ पंत की मां को कॉल की गई, तो उनका नंबर स्विच ऑफ था. जिस पर ऋषभ पंत ने कहा कि शायद मां सो रही होंगी, इसलिए उनका नंबर बंद है.

इसके बाद उन्होंने पानी मांगकर पिया. एक तरफ बस चालक ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया तो दूसरी तरफ परिचालक ने एंबुलेंस कंट्रोल रूम पर कॉल कर इसकी जानकारी दी. करीब 12 से 15 मिनट के भीतर मौके पर एंबुलेंस पहुंची. इसके बाद ऋषभ पंत समेत मौके से बचाया गया सामान और पैसे एंबुलेंस में रखे. इसके बाद परिचालक ने एंबुलेंस चालक को बताया गया कि ये भारतीय क्रिकेटर है. इनको किसी अच्छे अस्पताल में ले जाया जाए. जब ऋषभ पंत को वहां से अस्पताल के लिए ले जाया गया. तब दोनों अपनी बस और सवारियों को लेकर पानीपत की ओर रवाना हुए.

ये भी पढ़ें- ऋषभ पंत का रेस्क्यू करने वाले हरियाणा रोडवेज के चालक और परिचालक सम्मानित, उन्हीं से सुनें कैसे की मदद

परिचालक ने बताया कि जब वो हरिद्वार से चले थे, तो उनकी बस में महज एक महिला सवारी थी. इसके बाद पतंजलि के बाहर से एक सवारी मिली. रुड़की से 13 सवारियां मिली. इस तरह घटनास्थल तक पहुंचने तक उनकी बस में करीब 35 सवारियां थी. हादसे के बाद UP की सवारियां भाग गई थी, उन्होंने किसी प्रकार की मदद नहीं की. मगर बस में सवार हरियाणा की सवारियां मदद के लिए आगे आई. उन्होंने हर तरह से मदद की. यहां तक की सड़क पर बिखरे ऋषभ पंत के करीब 5 से 7 हजार की नकदी भी इकट्ठा की. इस बारे में पानीपत रोडवेज डिपो GM कुलदीप जांगड़ा ने बताया कि उनके पास परिवहन मंत्री कार्यालय से फोन आया है, जिन्होंने चालक और परिचालक का राज्य स्तरीय सम्मान करने की बात कही है. वहीं इन्हें मानवता की मिसाल पेश करने पर पानीपत डिपो की तरफ से प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया है.

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