चंडीगढ़: कुश्ती खिलाड़ी लगातार कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी कड़ी में पहलवान हरिद्वार जाकर गंगा में अपने मेडल को प्रवाहित करने के लिए पहुंचे. एक तरफ जहां पहलवान अपने मेडल को गंगा में प्रवाहित करना चाह रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर हरियाणा में भी इसको लेकर राजनीति तेज हो गई है.
'संघर्ष जारी रखें पहलवान': पहलवानों के इस फैसले पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि यह मेडल पहलवानों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ के बल पर अर्जित किए हैं. पहलवानों को मेडल गंगा में नहीं बहाने चाहिए. पहलवानों को न्याय पाने के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए और देश की पुलिस और न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए. ओमप्रकाश धनखड़ ने खिलाड़ियों को मेडल विसर्जित कर देने वाले भाव को अनुचित ठहराया है.
'न्याय प्रणाली पर रखें भरोसा': ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि कई बार हमारे जीवन में ऐसी परिस्थिति आ जाती हैं, लेकिन हमें ऐसे ही सब कुछ व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए. ओमप्रकाश धनखड़ ने खिलाड़ियों को न्याय पाने के लिए संघर्ष करते रहने की भी सलाह दी है. उनका कहना है कि वह संघर्ष करने वालों के हमेशा पैरोकार रहे हैं. खिलाड़ियों को देश की पुलिस और न्याय प्रणाली पर विश्वास करना चाहिए. हमारे देश की न्याय प्रणाली और कानून व्यवस्था बहुत अच्छी है. हमें उस पर ही पूरा भरोसा करना चाहिए. न्याय पाने के लिए खिलाड़ियों को भी पुलिस, कानून और न्याय प्रणाली के जरिए ही न्याय मांगना चाहिए.
'केंद्र सरकार के अंतर्गत में आता है मामला': इधर पहलवानों के गंगा में मेडल बहाने के सवाल से हरियाणा के राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव बचते नजर आए. ओम प्रकाश यादव ने कहा कि खिलाड़ियों का मामला हरियाणा सरकार से नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है. खिलाड़ियों के मेडल गंगा में बहाने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. खिलाड़ियों का पूरा मामला दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार से संबंधित है. उनका कहना है कि खिलाड़ियों के साथ उनकी पूरी हमदर्दी है और वे चाहते हैं, कि उनके साथ कोई अन्याय न हो.
'देश की धरोहर सड़क पर बैठी अच्छी नहीं लगती': पहलवानों के मामले पर जननायक जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ी हमारी धरोहर है. वे कहते हैं कि उनका मानना है जो संघर्ष चल रहा है. वह बातचीत के जरिए हल होना चाहिए. वे कहते हैं कि गेंद केंद्र के पाले में है और केंद्र सरकार को इन लोगों से बैठ कर बात करनी चाहिए. उनकी जो भी नाराजगी है, उसको दूर करना चाहिए. उनका कहना है कि जो हमारी धरोहर है, वह सड़कों पर बैठा हुआ अच्छा नहीं लगता.
'न्यायपालिका पर भरोसा नहीं, पानी में मेडल बहाना उनका अधिकार': इसी मामले में हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा कहते हैं, कि यह उन खिलाड़ियों की इच्छा है कि वह अपने मेडल को बहाना चाहते हैं, या क्या करना चाहते हैं. उनका कहना है कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा रखना चाहिए. वे कहते हैं कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं, न्यायपालिका पर भरोसा नहीं, कानून पर भरोसा नहीं. मेडल पानी में बहाना उनका अधिकार है. उन्हें कौन रोक सकता है. रोका तो उसे जा सकता है जब कोई सुनने वाला हो. वे कहते हैं कि कुछ ऐसे मित्र हैं जो उनको उकसाने वाले हैं. वे उन को उकसा कर खिलाड़ियों की पीठ पर राजनीति करना चाह रहे हैं. वे कहते हैं कि वे हरियाणा के गौरव हैं. देश का सम्मान है. इन बेटियों को भी मैं कहूंगा ऐसा नहीं करना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का सरकार पर निशाना: वहीं, हरियाणा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने पहलवानों के मेडल को लेकर ट्वीट किया है सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि 'पहलवान बेटियों! आपके जीते हुए मेडल देश के माथे का ताज हैं. ये किसी सरकार या व्यक्ति की मेहरबानी नहीं है. आपकी जीत पर जश्न मनाने वाला देश आज भी आपके साथ खड़ा है. निराश मत होइये! आप से हमारी अपील है, लौट आईये! गंगा जी में मेडल प्रवाहित करने का फैसला बदल दीजिए!'
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पहलवान बेटियों! आपके जीते हुए मेडल देश के माथे का ताज हैं। ये किसी सरकार या व्यक्ति की मेहरबानी नहीं है। आपकी जीत पर जश्न मनाने वाला देश आज भी आपके साथ खड़ा है। निराश मत होईये! आप से हमारी अपील है, लौट आईये! गंगा जी में मेडल प्रवाहित करने का फैसला बदल दीजिए!
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— Bhupinder S Hooda (@BhupinderShooda) May 30, 2023
'मामले की जांच हो तेज': इसी मामले में कांग्रेस पार्टी के विधायक जगबीर मलिक कहते हैं, कि खिलाड़ियों की बात कर रहे हैं कि उन्हें न्याय दे दो. उसकी जांच की जानी चाहिए. उसकी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज या सीबीआई से जांच करवाई जानी चाहिए. वे कहते हैं कि एक औरत, एक लड़की इस तरह के आरोप तब लगाती है. जब उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है. वे अपनी इज्जत को दाव पर लगाकर आ रहे हैं. क्या उन्हें न्याय की जरूरत नहीं.
'खिलाड़ियों को तोड़ने की कोशिश': वे कहते हैं कि जैसे किसानों के आंदोलन को तोड़ने की कोशिश हुई. वैसे ही इसको भी तोड़ने की कोशिश हो रही है. वे कहते हैं कि जब यह मेडल जीतकर आए थे. तब प्रधानमंत्री ने क्या कहा था और अब क्या हो गया. जब वे जीत कर आते हैं, तब वे उनके अपने हो जाते हैं. जब वे अपने साथ हुए अन्याय के लिए खड़े होते हैं, तो उनकी कोई नहीं सुन रहा. उन्होंने कहा कि सरकार की यह नीति सही नहीं है.
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