नई दिल्ली : किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 6 बैठक होने के बाद भी कृषि कानूनों पर कोई आम राय नहीं बन पाई है. किसान संगठन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वही केंद्र सरकार कानूनों में संशोधन के लिए राजी है. गृह मंत्री अमित शाह की बैठक के बाद केंद्र सरकार और किसान संगठनों में बातचीत का सिलसिला फिलहाल रुक गया है और किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है.
प्रदर्शन में देश विरोधी ताकतों का आगमन
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने इस मामले में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों की सभी मांगों को सुना गया है और सुधार की बात भी सरकार में मान गई है. इसका प्रपोजल किसानों को भेजा गया है. रोष प्रदर्शन लोकतंत्र में हर नागरिक का अधिकार है लेकिन अब इस प्रदर्शन में देश विरोधी ताकतों का आगमन होने लगा है.
नक्सलवादियों का कब्जा
ग्रेवाल ने प्रदर्शन पर सवाल उठाते कहा कि जो टिकरी बॉर्डर पर टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थकों की रिहाई की मांग कर रहे हैं, क्या वह किसान हैं? यह धरना प्रदर्शन किसानों द्वारा शांतिपूर्वक किया जा रहा था लेकिन अब इसमें नक्सलवादियों ने कब्जा करने की कोशिश की है और किसानों को उनसे सावधान रहना चाहिए.
नुकसान राज्य को ही भुगतना पड़ेगा
किसानों द्वारा कुछ कंपनियां और कुछ मोबाइल सिम के बहिष्कार के सवाल पर हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी कंपनी का सिम ले सकता है लेकिन इस तरह के बहिष्कार से केवल राज्य को ही नुकसान होगा. इससे कोई भी उद्योगपति आगे से निवेश करने से संकोच करेगा और इसका नुकसान राज्य को ही भुगतना पड़ेगा.
कमेटी के लिए सरकार तैयार
भाजपा द्वारा पूरे देश में कृषि कानूनों के लिए जगह जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस पर हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा की पंजाब में इसकी तैयारी अभी होनी है और इसके बारे में जानकारी दे दी जाएगी. केंद्र सरकार और किसान संगठनों में बातचीत कराने की कोशिश अभी भी जारी है. हरजीत सिंह ग्रेवाल ने बताया कि उन्होंने किसान नेताओं से बात की है और कहा है कि यदि कोई कमेटी वह बनाना चाहते हैं तो इसके लिए भी सरकार तैयार है.