लखनऊ : एम्बुलेंस हड़ताल का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. राजधानी के वृंदावन योजना ट्रामा-टू के पास चार दिन से एम्बुलेंस कर्मियों का प्रदर्शन चल रहा है. इस दौरान उनकी कुछ समस्या का तो निराकरण हुआ मगर, सभी मसलों पर सहमति नहीं बनीं.
लापरवाही से हुई एक भी मरीज की मौत तो होगी कार्रवाई : सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल को लेकर कहा है कि प्रदेश में यदि किसी की लापरवाही की वजह से एक भी मृत्यु हुई तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. सीएम योगी ने मंगलवार को टीम 9 की बैठक के दौरान ये बात कही थी.
आपकाे बता दें कि हड़ताल को लेकर एस्मा लागू होने की नोटिस थमाने के बावजूद कर्मी नहीं माने. ऐसे में जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108-102 एंबुलेंस संघ के प्रदेश अध्यक्ष हनुमान, महामंत्री सत्येंद्र आदि 13 कर्मी को नौकरी से बर्खास्त कर मुकदमा दर्ज किया गया है.
मीडिया प्रभारी शादाब के मुताबिक मंगलवार रात दो बजे अधिकारियों ने धरना स्थल पर छापेमारी की. बारिश की वजह से सभी कर्मी एम्बुलेंस में ही बैठे थे. इस दौरान प्रशासन ने सभी को बाहर निकालकर वाहनों की चाबी ले ली. अफसरों के काफी दबाव के बावजूद कर्मी बारिश में धरने पर डटे रहे. उधर, बुधवार को भी प्रदेश भर में सेवा ठप होने का दावा किया. मगर, कुछ जिलों में अफसरों-कर्मियों में सहमति बनने का दावा कर सेवा बहाली का एलान भी किया.
मानदेय बढ़ोतरी की मांग, समायोजन पर सहमति
एएलएस एम्बुलेन्स सेवा का संचालन पहले जीवीकेईएमआरआई (JVKEMRI) कंपनी करती थी. यह अब जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी के पास है. मीडिया प्रभारी शादाब ने कहा कि एएलएस के सभी कर्मियों का नई कंपनी में समायोजन किया जाए. इस पर सहमति बन गयी. मगर 108-102 कर्मियों का मानदेय बढ़ाया जाए. इसके लिए धरना जारी है.
मरीजों पर आफत
दरअसल, राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं. इसमें 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं. इससे रोज औसतन 9500 मरीज अस्पताल पहुंचाए जाते हैं. वहीं गर्भवती, प्रसूता, नवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा है. इसके राज्यभर में 2270 वाहन संचालित हैं.
इस एम्बुलेन्स से रोज औसतन 9500 मरीज जाते हैं. गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस 75 जनपदों में 250 तैनात की गई हैं. इससे 500 के करीब मरीजों की मदद की जाती है. इन सभी एंबुलेंस के संचालन की बागडोर निजी कंपनी के पास है. हर रोज मरीज कॉल सेंटर फोन कर रहे हैं. सैकड़ों मरीज इससे परेशान हैं. उन्नाव समेत कई जनपदों में एम्बुलेंस न मिलने से मरीज की मौत के भी मामले सामने आए हैं.