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तेलंगाना : हर घर तिरंगा अभियान के चलते सिरसिला में राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम जोरों पर - har ghar tiranga

तेलंगाना के सिरसिला में राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है. हर घर तिरंगा अभियान की वजह से भी इस बार राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काफी ऑर्डर मिला है जिसे हजारों लोगों द्वारा मिलकर अंतिम रूप दिया जा रहा है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

National flag making work in full swing in Sircilla
सिरसिला में राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम जोरों पर
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Published : Aug 3, 2022, 4:46 PM IST

Updated : Aug 3, 2022, 10:08 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना के सिरसिला में इन दिनों हर घर तिरंगा अभियान और स्वतंत्रता दिवस के नजदीक आने के साथ ही राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम जोरों पर है. सिरसिला में तीन सप्ताह में करीब एक लाख मीटर कपड़े का राष्ट्रीय ध्वज बनाया जा चुका है. काम में तेजी के चलते सिलाई मशीन के साथ ही कटिंग व पैकिंग का काम करने वालों को फुर्सत नहीं है.सिरसिला में पार्टी के झंडे और स्कार्फ बनाने के भी ऑर्डर लिए जाते हैं. इस काम में क्षेत्र के एक हजार से अधिक पुरुष और महिलाएं जुटी हुई हैं. इतना ही नहीं यहां पर देश के अन्य राज्यों से मिले ऑर्डर पर भी झंडा बनाया जाता है.

इसीक्रम में झंडा के लिए पालिस्टर के साथ रेशमी कपड़े को महाराष्ट्र और गुजरात से मंगाया जाता है. वहीं ऑर्डर के आधार पर रंग और सांचे को हैदराबाद भेजा जाता है फिर इससे कपड़े को निश्चित आकार प्रदान करने का काम होता है.हालांकि नाप के अनुसार एक झंडा बनाने में 5 रुपये से 8 रुपये और दुपट्टा बनाने में 4 रुपये का खर्च आता है. वहीं झंडे, स्कार्फ और सिलाई करके प्रतिदिन प्रत्येक महिला औसतम 300 रुपये कमा लेती है.

देखें वीडियो

सिरसिला में 30 लाख मीटर पॉलिस्टर सफेद कपड़े का नियमित उत्पादन होता है. यह पार्टी के झंडे और स्कार्फ बनाने के लिए आदर्श माना जाता है. वहीं झंडे बनाने के लिए पहले से ही रोजाना 1 लाख मीटर कपड़े का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा यहां पर रेशमी कपड़े का आयात किया जाता है और झंडे बनाए जाते हैं. झंडे बनाने के लिए उपयुक्त 39 और 45 पिक्स वाले कपड़े का उपयोग किया जाता है. वर्तमान में, पॉलिस्टर कपड़ों का उत्पादन कुछ हद तक कम हो गया है क्योंकि कपड़ा उद्योग द्वारा वर्दी और बथुकम्मा साड़ियों को बनाने का काम किया जा रहा है. हालांकि चुनाव के दौरान पालिस्टर कपड़े की मांग अधिक होती है, क्योंकि उस दौरान झंडों के निर्माण के ऑर्डर आते ही अचानक मांग बढ़ जाती है.

स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए सरकार ने हर घर में राष्ट्रीय ध्वज वितरित करने का निर्णय लिया है. इसके लिए टेस्को को फैब्रिक कलेक्शन और झंडा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. फलस्वरूप सिरसिला टेक्सटाइल उद्योग से पालिस्टर कपड़ा खरीदने का निर्णय लिया गया. फिलहाल टेस्को ने पालिस्टर का दाम 11 रुपये प्रति मीटर तय किया है, जबकि पालिस्टर गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन 13 रुपये के भुगतान की मांग कर रहा है. हालांकि कीमतें अभी भी तय नहीं हैं. बुधवार तक, हथकरघा और कपड़ा विभाग ने पाया है कि उद्योग के पास 70 लाख मीटर कपड़े का भंडार है. कपड़े को हैदराबाद की मिलों में ले जाया जाता है जहां इसे झंडे के रंगों में रंगा जाता है और विभिन्न आकारों में तैयार किया जाता है. वहां से इसकी आपूर्ति सीधे जिला व मंडल केंद्रों पर की जाएगी.

इस बारे में एक इकाई के मालिक श्रीनिवास ने बताया कि हमें 10 लाख झंडे के ऑर्डर मिले हैं. सिरसिला में हमारे जैसी 4, 5 यूनिट हैं. इससे करीब 5 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है. हमें यूपी, दिल्ली जैसे अन्य राज्यों से भी ऑर्डर मिले हैं. ऑर्डर के काम को 5 अगस्त तक पूरा किया जाना है. वहीं एक ध्वज निर्माता रंगैया का कहना था कि हम प्रतिदिन 1500 से 2000 झंडे बना रहे हैं. इससे प्रतिदिन 400 रुपये तक की आय होगी. उन्होंने कहा कि यह ठेका मिलने से हमें काम मिला है, हमारे पास रोजगार तभी है जब हमें साल भर इसी तरह का काम मिले.

ये भी पढ़ें - सरकार ने झंडा संहिता में किया बदलाव, अब दिन-रात फहराया जा सकता है तिरंगा

हैदराबाद : तेलंगाना के सिरसिला में इन दिनों हर घर तिरंगा अभियान और स्वतंत्रता दिवस के नजदीक आने के साथ ही राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम जोरों पर है. सिरसिला में तीन सप्ताह में करीब एक लाख मीटर कपड़े का राष्ट्रीय ध्वज बनाया जा चुका है. काम में तेजी के चलते सिलाई मशीन के साथ ही कटिंग व पैकिंग का काम करने वालों को फुर्सत नहीं है.सिरसिला में पार्टी के झंडे और स्कार्फ बनाने के भी ऑर्डर लिए जाते हैं. इस काम में क्षेत्र के एक हजार से अधिक पुरुष और महिलाएं जुटी हुई हैं. इतना ही नहीं यहां पर देश के अन्य राज्यों से मिले ऑर्डर पर भी झंडा बनाया जाता है.

इसीक्रम में झंडा के लिए पालिस्टर के साथ रेशमी कपड़े को महाराष्ट्र और गुजरात से मंगाया जाता है. वहीं ऑर्डर के आधार पर रंग और सांचे को हैदराबाद भेजा जाता है फिर इससे कपड़े को निश्चित आकार प्रदान करने का काम होता है.हालांकि नाप के अनुसार एक झंडा बनाने में 5 रुपये से 8 रुपये और दुपट्टा बनाने में 4 रुपये का खर्च आता है. वहीं झंडे, स्कार्फ और सिलाई करके प्रतिदिन प्रत्येक महिला औसतम 300 रुपये कमा लेती है.

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सिरसिला में 30 लाख मीटर पॉलिस्टर सफेद कपड़े का नियमित उत्पादन होता है. यह पार्टी के झंडे और स्कार्फ बनाने के लिए आदर्श माना जाता है. वहीं झंडे बनाने के लिए पहले से ही रोजाना 1 लाख मीटर कपड़े का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा यहां पर रेशमी कपड़े का आयात किया जाता है और झंडे बनाए जाते हैं. झंडे बनाने के लिए उपयुक्त 39 और 45 पिक्स वाले कपड़े का उपयोग किया जाता है. वर्तमान में, पॉलिस्टर कपड़ों का उत्पादन कुछ हद तक कम हो गया है क्योंकि कपड़ा उद्योग द्वारा वर्दी और बथुकम्मा साड़ियों को बनाने का काम किया जा रहा है. हालांकि चुनाव के दौरान पालिस्टर कपड़े की मांग अधिक होती है, क्योंकि उस दौरान झंडों के निर्माण के ऑर्डर आते ही अचानक मांग बढ़ जाती है.

स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए सरकार ने हर घर में राष्ट्रीय ध्वज वितरित करने का निर्णय लिया है. इसके लिए टेस्को को फैब्रिक कलेक्शन और झंडा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. फलस्वरूप सिरसिला टेक्सटाइल उद्योग से पालिस्टर कपड़ा खरीदने का निर्णय लिया गया. फिलहाल टेस्को ने पालिस्टर का दाम 11 रुपये प्रति मीटर तय किया है, जबकि पालिस्टर गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन 13 रुपये के भुगतान की मांग कर रहा है. हालांकि कीमतें अभी भी तय नहीं हैं. बुधवार तक, हथकरघा और कपड़ा विभाग ने पाया है कि उद्योग के पास 70 लाख मीटर कपड़े का भंडार है. कपड़े को हैदराबाद की मिलों में ले जाया जाता है जहां इसे झंडे के रंगों में रंगा जाता है और विभिन्न आकारों में तैयार किया जाता है. वहां से इसकी आपूर्ति सीधे जिला व मंडल केंद्रों पर की जाएगी.

इस बारे में एक इकाई के मालिक श्रीनिवास ने बताया कि हमें 10 लाख झंडे के ऑर्डर मिले हैं. सिरसिला में हमारे जैसी 4, 5 यूनिट हैं. इससे करीब 5 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है. हमें यूपी, दिल्ली जैसे अन्य राज्यों से भी ऑर्डर मिले हैं. ऑर्डर के काम को 5 अगस्त तक पूरा किया जाना है. वहीं एक ध्वज निर्माता रंगैया का कहना था कि हम प्रतिदिन 1500 से 2000 झंडे बना रहे हैं. इससे प्रतिदिन 400 रुपये तक की आय होगी. उन्होंने कहा कि यह ठेका मिलने से हमें काम मिला है, हमारे पास रोजगार तभी है जब हमें साल भर इसी तरह का काम मिले.

ये भी पढ़ें - सरकार ने झंडा संहिता में किया बदलाव, अब दिन-रात फहराया जा सकता है तिरंगा

Last Updated : Aug 3, 2022, 10:08 PM IST
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