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हल्द्वानी में जापान के सहयोग से लगाई गई बायोडायवर्सिटी गैलरी, ये है खासियत

हल्द्वानी में जापान के सहयोग से उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में प्रदेश की पहली बायोडायवर्सिटी गैलरी (First Biodiversity Gallery) लगाई गई है.

Biodiversity Gallery
बायोडायवर्सिटी गैलरी
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Published : Dec 19, 2021, 7:40 PM IST

हल्द्वानी : जापान के सहयोग से उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में प्रदेश की पहली बायोडायवर्सिटी गैलरी (First Biodiversity Gallery) तैयार की गई है. जिसका आज उद्घाटन किया गया. इस गैलरी में उत्तराखंड की जैव विविधता के पहलुओं को प्रदर्शित किया गया है. इस जैव विविधता गैलरी की मुख्य विशेषता उत्तराखंड जैव विविधता के 101 प्रतीकों का चित्रण है, जो राज्य की मूल वनस्पतियों और जीवों की लगभग 101 अजीबो-गरीब प्रजातियों का निवास स्थान और पारिस्थितिक भूमिका, उपयोग के बारे में जानकारी देना है.

बायोडायवर्सिटी गैलरी

हल्द्वानी में स्थापित उत्तराखंड की पहली जैव विविधता गैलरी, जापानी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JAICA) के सहयोग से लगाई गई है. इसमें राज्य में पाई जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी लिली (विशालकाय हिमालयी लिली), दुनिया में रोडोडेंड्रोन की सबसे बड़ी प्रजाति (रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम), दुनिया का सबसे बड़ा विषैला सांप किंग कोबरा, हिमालयन पिट वाइपर, दुनिया का सबसे बड़ा मधुमक्खी (जाइंट हिमालयन हनी बी) को भी शामिल किया गया है.

वहीं, दुनिया का सबसे बड़ा कीट (एटलस मोथ), दुनिया का सबसे बड़ा मार्टन (येलो थ्रोटेड मार्टन), भारत का सबसे बड़ा ग्रेट हिमालयन लीफ नोज्ड बैट के साथ-साथ अन्य दिलचस्प प्रजातियां, जो प्राकृतिक रूप से राज्य में पाई जाती हैं, स्लेटी सिर वाला तोता (Slaty-headed parakeet) (केवल तोता परिवार की प्रजाति जो सर्दियों में प्रवास करता है), हिमालयी लंगूर (केवल हिमालय में पाई जाने वाली प्राइमेट प्रजातियां) और देशी कीटभक्षी पौधों की दिलचस्प प्रजातियां, फर्न, मॉस, लिवरवॉर्ट, घास की प्रजातियां और हिमालयन मर्मोट जैसे अजीबोगरीब जीव (उच्चतम दुनिया का ऊंचाई पर रहने वाला स्तनपायी-तिब्बत सीमा पर पाया जाता है), हिमालयन पिका (Himalayan pika), उड़ने वाली गिलहरी (Flying squirrels) और पीले सिर वाला कछुआ (Yellow-headed temple turtle) सभी को इस प्रदर्शनी के जरिये दिखाया जाएगा.

पढ़ें :- क्यों जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक नुकसान को जोड़ा जाना चाहिए

यहां 101 जैव विविधता चिह्नों के अलावा, 8 अन्य खंड हैं. एक खंड में विभिन्न प्रजातियों जैसे वीवर पक्षी, किंग कोबरा (केवल सरीसृप प्रजाति जो घोंसला बनाती है) के परित्यक्त घोंसलों को प्रदर्शित करता है. एक अन्य खंड राज्य के अद्वितीय जैव विविधता उत्पादों को प्रदर्शित करता है. एक अन्य खंड राज्य की मिट्टी की विविधता को प्रदर्शित करता है. जिसमें राज्य में तराई/भावर क्षेत्र से लेकर अल्पाइन क्षेत्रों तक पाई जाने वाली सभी आठ प्रकार की मिट्टी को दर्शाया गया है. एक अन्य खंड अष्टवर्ग और दशमूल प्रजातियों के अर्क सहित औषधीय जड़ी बूटियों की जैव विविधता को प्रदर्शित करता है.

वहीं, इस प्रदर्शनी में अन्य खंड राज्य की आर्किड, काई और लाइकेन जैव-विविधता को प्रदर्शित करते हैं. एक अन्य खंड राज्य की कृषि जैव-विविधता को स्थानीय फसलों के बीजों के साथ प्रदर्शित करता है, जो अब दुर्लभ हो गए हैं. वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड वन संधान केंद्र जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में देश-विदेश में कई उपलब्धियां हासिल कर चुका है. अनुसंधान केंद्र द्वारा कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों के संरक्षण संवर्धन का कार्य पिछले कई सालों से करता आ रहा है. इसी के तहत और अनुसंधान केंद्र ने बायोडायवर्सिटी गैलरी का उद्घाटन किया है ताकि इस गैलरी के माध्यम से लोग जैव विविधता की जानकारी हासिल कर सके.

हल्द्वानी : जापान के सहयोग से उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में प्रदेश की पहली बायोडायवर्सिटी गैलरी (First Biodiversity Gallery) तैयार की गई है. जिसका आज उद्घाटन किया गया. इस गैलरी में उत्तराखंड की जैव विविधता के पहलुओं को प्रदर्शित किया गया है. इस जैव विविधता गैलरी की मुख्य विशेषता उत्तराखंड जैव विविधता के 101 प्रतीकों का चित्रण है, जो राज्य की मूल वनस्पतियों और जीवों की लगभग 101 अजीबो-गरीब प्रजातियों का निवास स्थान और पारिस्थितिक भूमिका, उपयोग के बारे में जानकारी देना है.

बायोडायवर्सिटी गैलरी

हल्द्वानी में स्थापित उत्तराखंड की पहली जैव विविधता गैलरी, जापानी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JAICA) के सहयोग से लगाई गई है. इसमें राज्य में पाई जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी लिली (विशालकाय हिमालयी लिली), दुनिया में रोडोडेंड्रोन की सबसे बड़ी प्रजाति (रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम), दुनिया का सबसे बड़ा विषैला सांप किंग कोबरा, हिमालयन पिट वाइपर, दुनिया का सबसे बड़ा मधुमक्खी (जाइंट हिमालयन हनी बी) को भी शामिल किया गया है.

वहीं, दुनिया का सबसे बड़ा कीट (एटलस मोथ), दुनिया का सबसे बड़ा मार्टन (येलो थ्रोटेड मार्टन), भारत का सबसे बड़ा ग्रेट हिमालयन लीफ नोज्ड बैट के साथ-साथ अन्य दिलचस्प प्रजातियां, जो प्राकृतिक रूप से राज्य में पाई जाती हैं, स्लेटी सिर वाला तोता (Slaty-headed parakeet) (केवल तोता परिवार की प्रजाति जो सर्दियों में प्रवास करता है), हिमालयी लंगूर (केवल हिमालय में पाई जाने वाली प्राइमेट प्रजातियां) और देशी कीटभक्षी पौधों की दिलचस्प प्रजातियां, फर्न, मॉस, लिवरवॉर्ट, घास की प्रजातियां और हिमालयन मर्मोट जैसे अजीबोगरीब जीव (उच्चतम दुनिया का ऊंचाई पर रहने वाला स्तनपायी-तिब्बत सीमा पर पाया जाता है), हिमालयन पिका (Himalayan pika), उड़ने वाली गिलहरी (Flying squirrels) और पीले सिर वाला कछुआ (Yellow-headed temple turtle) सभी को इस प्रदर्शनी के जरिये दिखाया जाएगा.

पढ़ें :- क्यों जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक नुकसान को जोड़ा जाना चाहिए

यहां 101 जैव विविधता चिह्नों के अलावा, 8 अन्य खंड हैं. एक खंड में विभिन्न प्रजातियों जैसे वीवर पक्षी, किंग कोबरा (केवल सरीसृप प्रजाति जो घोंसला बनाती है) के परित्यक्त घोंसलों को प्रदर्शित करता है. एक अन्य खंड राज्य के अद्वितीय जैव विविधता उत्पादों को प्रदर्शित करता है. एक अन्य खंड राज्य की मिट्टी की विविधता को प्रदर्शित करता है. जिसमें राज्य में तराई/भावर क्षेत्र से लेकर अल्पाइन क्षेत्रों तक पाई जाने वाली सभी आठ प्रकार की मिट्टी को दर्शाया गया है. एक अन्य खंड अष्टवर्ग और दशमूल प्रजातियों के अर्क सहित औषधीय जड़ी बूटियों की जैव विविधता को प्रदर्शित करता है.

वहीं, इस प्रदर्शनी में अन्य खंड राज्य की आर्किड, काई और लाइकेन जैव-विविधता को प्रदर्शित करते हैं. एक अन्य खंड राज्य की कृषि जैव-विविधता को स्थानीय फसलों के बीजों के साथ प्रदर्शित करता है, जो अब दुर्लभ हो गए हैं. वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड वन संधान केंद्र जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में देश-विदेश में कई उपलब्धियां हासिल कर चुका है. अनुसंधान केंद्र द्वारा कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों के संरक्षण संवर्धन का कार्य पिछले कई सालों से करता आ रहा है. इसी के तहत और अनुसंधान केंद्र ने बायोडायवर्सिटी गैलरी का उद्घाटन किया है ताकि इस गैलरी के माध्यम से लोग जैव विविधता की जानकारी हासिल कर सके.

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