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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में राजा भैया के पिता की एंट्री, मुख्य पैरोकार बनने का किया ऐलान - राजा भैया

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के सारे मामलों से नाम वापस लेने के ऐलान के बाद अब कुंडा के बड़े राजा की एंट्री हुई है. राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह ने मुख्य पैरोकार बनने का ऐलान किया है. उन्होंने बिसेन और उनके परिवार से दिल्ली में मुलाकात भी की है.

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Published : Jun 9, 2023, 3:00 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में हिंदूवादी पक्ष में पड़ी फूट के बाद मामला और भी गंभीर होता दिखाई दे रहा है. बीते दिनों विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने सारे मुकदमों से अपना नाम वापस लेने का ऐलान किया तो उनकी भतीजी और मुकदमे की मुख्य वादिनी राखी सिंह ने राष्ट्रपति को खुला खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली. अब एक नया मोड़ इस प्रकरण में आया है. कुंडा प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा उदय प्रताप सिंह की इस मामले में एंट्री हुई है. उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में परिवार से मुलाकात करके ज्ञानवापी प्रकरण में मुख्य पैरोकार बनने की इच्छा जाहिर की है. जिस पर जितेन सिंह बिसेन परिवार की सहमति के बाद अब इस प्रकरण में वह मुख्य पैरोकार की भूमिका में नजर आएंगे.

कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक व प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के आवास पर जाकर उनके परिवार से मुलाकात कर ज्ञानवापी प्रकरण पर विस्तृत चर्चा की है. यह चर्चा लगभग दो घंटे चली है. राजा उदय सिंह ने विसेन परिवार से चर्चा करने के बाद ज्ञानवापी से संबंधित मुकदमों की पैरवी का दायित्व स्वयं उठाने का निर्णय लिया है. उनके इस निर्णय का स्वागत और सम्मान करते हुए, बिसेन परिवार ने ज्ञानवापी के पैरोकार का दायित्व महाराजा उदय प्रताप सिंह को सौंपने का निर्णय लिया है.

महाराजा उदय प्रताप सिंह ने बिसेन परिवार को आश्वस्त करते हुए वचन दिया कि ज्ञानवापी का मुकदमा हिंदुओं के पक्ष में आए इसके लिए हर उचित कदम उठाए जाएंगे. किसी को ज्ञानवापी न तो बेचने दिया जाएगा और न ही सनातनी हिंदुओं की भावना से किसी प्रकार का खिलवाड़ करने दिया जाएगा. जितेंद्र सिंह बिसेन ने एक मैसेज जारी करके ये जानकारी दी है.

बिसेन ने बताया कि यह भी निर्णय लिया गया कि, ज्ञानवापी प्रकरण को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए वाराणसी जिला न्यायालय में बिसेन परिवार की ओर से लगभग 46 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम निश्चित की जाएगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए भी विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित होगी. ज्ञानवापी प्रकरण को सर्वोच्च न्यायालय में मजबूती से रखने के लिए देश के जाने माने तीन वरिष्ठ अधिवक्ता तथा उनके सहयोगी के रूप में एक बड़ी विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित होगी.

कुल मिलाकर लगभग 65 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित की जा रही है. जिसमें कई प्रमुख नाम विद्वान अधिवक्ताओं की सहमति मिलने के बाद उनके नाम सुनिश्चित सुनिश्चित किए जा चुके हैं तथा अन्य नामों का भी चयन हो रहा है. अधिवक्ताओं के नामों की घोषणा जुलाई में न्यायालय खुलने से पूर्व कर दी जाएगी. इसी के साथ उदय प्रताप सिंह ने सनातनी हिन्दू समाज को सतर्क और सजग रहने की बात कही है. आने वाले समय में विश्व वैदिक सनातन संघ के द्वारा चल रहे धर्मयुद्ध को और धार देने की आवश्यकता है, जिससे सनातनी समाज में मुखौटे में छुपे गद्दारों पर अंकुश लगाते हुए इस्लामिक कलंकों से छुटकारा पाया जा सके.

ये भी पढ़ेंः G-20 देशों के मंत्रियों को डिनर में परोसा जाएगा खास बनारसी जायका, देखें मेन्यू में क्या-क्या रहेगा

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में हिंदूवादी पक्ष में पड़ी फूट के बाद मामला और भी गंभीर होता दिखाई दे रहा है. बीते दिनों विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने सारे मुकदमों से अपना नाम वापस लेने का ऐलान किया तो उनकी भतीजी और मुकदमे की मुख्य वादिनी राखी सिंह ने राष्ट्रपति को खुला खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली. अब एक नया मोड़ इस प्रकरण में आया है. कुंडा प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा उदय प्रताप सिंह की इस मामले में एंट्री हुई है. उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में परिवार से मुलाकात करके ज्ञानवापी प्रकरण में मुख्य पैरोकार बनने की इच्छा जाहिर की है. जिस पर जितेन सिंह बिसेन परिवार की सहमति के बाद अब इस प्रकरण में वह मुख्य पैरोकार की भूमिका में नजर आएंगे.

कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक व प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के आवास पर जाकर उनके परिवार से मुलाकात कर ज्ञानवापी प्रकरण पर विस्तृत चर्चा की है. यह चर्चा लगभग दो घंटे चली है. राजा उदय सिंह ने विसेन परिवार से चर्चा करने के बाद ज्ञानवापी से संबंधित मुकदमों की पैरवी का दायित्व स्वयं उठाने का निर्णय लिया है. उनके इस निर्णय का स्वागत और सम्मान करते हुए, बिसेन परिवार ने ज्ञानवापी के पैरोकार का दायित्व महाराजा उदय प्रताप सिंह को सौंपने का निर्णय लिया है.

महाराजा उदय प्रताप सिंह ने बिसेन परिवार को आश्वस्त करते हुए वचन दिया कि ज्ञानवापी का मुकदमा हिंदुओं के पक्ष में आए इसके लिए हर उचित कदम उठाए जाएंगे. किसी को ज्ञानवापी न तो बेचने दिया जाएगा और न ही सनातनी हिंदुओं की भावना से किसी प्रकार का खिलवाड़ करने दिया जाएगा. जितेंद्र सिंह बिसेन ने एक मैसेज जारी करके ये जानकारी दी है.

बिसेन ने बताया कि यह भी निर्णय लिया गया कि, ज्ञानवापी प्रकरण को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए वाराणसी जिला न्यायालय में बिसेन परिवार की ओर से लगभग 46 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम निश्चित की जाएगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए भी विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित होगी. ज्ञानवापी प्रकरण को सर्वोच्च न्यायालय में मजबूती से रखने के लिए देश के जाने माने तीन वरिष्ठ अधिवक्ता तथा उनके सहयोगी के रूप में एक बड़ी विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित होगी.

कुल मिलाकर लगभग 65 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित की जा रही है. जिसमें कई प्रमुख नाम विद्वान अधिवक्ताओं की सहमति मिलने के बाद उनके नाम सुनिश्चित सुनिश्चित किए जा चुके हैं तथा अन्य नामों का भी चयन हो रहा है. अधिवक्ताओं के नामों की घोषणा जुलाई में न्यायालय खुलने से पूर्व कर दी जाएगी. इसी के साथ उदय प्रताप सिंह ने सनातनी हिन्दू समाज को सतर्क और सजग रहने की बात कही है. आने वाले समय में विश्व वैदिक सनातन संघ के द्वारा चल रहे धर्मयुद्ध को और धार देने की आवश्यकता है, जिससे सनातनी समाज में मुखौटे में छुपे गद्दारों पर अंकुश लगाते हुए इस्लामिक कलंकों से छुटकारा पाया जा सके.

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