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ज्ञानवापी परिसर सर्वे: कोर्ट के बाहर समझौते के सवाल पर हिंदू पक्ष में दो फाड़, जानिए वजह

ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे के बीच में ही कोर्ट के बाहर समझौते की बात को लेकर हिंदू पक्ष में दो फाड़ हो गए हैं. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन सहित वादी महिलाओं ने इस बात का खंडन किया है. इन लोगों ने कहा कि वे किसी भी हाल में कोर्ट के बाहर समझौते के लिए तैयार नहीं हैं.

ज्ञानवापी
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Published : Aug 17, 2023, 6:31 PM IST

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की मीडिया से बातचीत

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे के बीच कुछ दिन पहले विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से मुस्लिम पक्ष को एक खुला पत्र लिखकर कोर्ट के बाहर समझौते की मांग करते हुए बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस पर मस्जिद कमेटी ने भी अपनी बातें कमेटी में रखते हुए इस पर विचार करने की बात कही थी. लेकिन, अब इन सब के बीच हिंदू पक्ष के दूसरे हिस्से यानी हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन सहित वादी महिलाओं ने इस पूरे मामले का खंडन कर दिया है.

राखी सिंह और विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से समझौते के लिए आमंत्रित किए जाने की अपील के बाद गुरुवार को विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट कहा कि हम किसी भी हाल में कोर्ट के बाहर समझौते के लिए तैयार नहीं हैं और हम समझौते की टेबल पर नहीं बैठेंगे.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमारा क्लियर स्टैंड है. मैं, हरिशंकर जैन, हमारे दो वकील और चार वादी महिलाएं राखी सिंह को छोड़कर हम सभी बातचीत की किसी टेबल पर नहीं बैठेंगे और न ही समझौते के मुद्दे पर बात करेंगे. समझौता देवता की संपत्ति के साथ नहीं हो सकता है. समझौते की बात सिर्फ सीगुफा है, इसका लीगल बेस कुछ भी नहीं है. सीपीसी ऑर्डर 23 में समझौता परमीसिबल नहीं है. इसलिए हम समझौते की बात नहीं करेंगे. समझौता तब होता है, जब आप कुछ लेना चाहते हैं और वह कुछ छोड़ना चाहते हैं.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि बैरिकेडिंग के अंदर का जो भी हिस्सा है, 1 इंच भी हम देना नहीं चाहते हैं. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को हम असंवैधानिक मानते हैं. जो अन्य मुकदमे चल रहे हैं, वह चलते रहेंगे. यह समझौते की बात हो ही नहीं सकती है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के समझौते के समय भी वे थे. वहां समझौता फेल हुआ. जो बातें वहां सामने आई थीं, वह किसी सनातनी को मान्य नहीं हो सकती हैं. इसलिए, वे समझौते में न पार्टिसिपेट करेंगे न ही समझौते में शामिल होंगे. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि राजी होने की एक ही शर्त है. वहां की हमें वह पीसफुल पोजीशन देंगे और जो 350 साल तक गलत तरीके से वहां उन्होंने मंदिर की जगह मस्जिद बनाई उसके लिए वह माफी मांगे. अगर वह इस समझौते पर राजी हैं और यह मूल कारण है तो वे उस पर तैयार हैं.

वहीं, आज जिला जज न्यायालय में दो अलग-अलग मामलों में भी सुनवाई हुई. पहला मामला राखी सिंह की तरफ से अंदर मिले साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए मुस्लिम पक्ष के प्रवेश पर रोक और दूसरा मुस्लिम पक्ष की तरफ से सर्वे की कार्यवाही रोकने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की गई थी कि सर्वे के लिए निर्धारित धनराशि हिंदू पक्ष ने जमा नहीं की है. इसलिए, कार्यवाही रोकी जाए. इसके बाद इस प्रकरण में आज हिंदू पक्ष ने अपना जवाब दाखिल किया.

विष्णु शंकर जैन ने बताया कि आज अंजुमन इंतजामिया ने सर्वे की कास्ट जमा करने को लेकर एक एप्लीकेशन दी थी, उस पर जवाब दाखिल कर दिया है. राखी सिंह की तरफ से भी एक एप्लीकेशन दी गई थी, उस पर भी सुनवाई 22 अगस्त को होगी. सभी मुकदमों की सुनवाई 22 अगस्त को कोर्ट में होगी. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जो मस्जिद कमेटी की तरफ से एप्लीकेशन दी गई है, उसे खारिज किया जाना चाहिए. यह बात हाईकोर्ट में व सुप्रीम कोर्ट में कहीं जा चुकी है. जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फाइनल निर्णय दे दिया है, तो इस पर बात होनी ही नहीं चाहिए.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की कार्रवाई जारी, कानपुर आईआईटी की टीम रडार तकनीक से कर रही जांच

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की मीडिया से बातचीत

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे के बीच कुछ दिन पहले विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से मुस्लिम पक्ष को एक खुला पत्र लिखकर कोर्ट के बाहर समझौते की मांग करते हुए बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस पर मस्जिद कमेटी ने भी अपनी बातें कमेटी में रखते हुए इस पर विचार करने की बात कही थी. लेकिन, अब इन सब के बीच हिंदू पक्ष के दूसरे हिस्से यानी हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन सहित वादी महिलाओं ने इस पूरे मामले का खंडन कर दिया है.

राखी सिंह और विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से समझौते के लिए आमंत्रित किए जाने की अपील के बाद गुरुवार को विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट कहा कि हम किसी भी हाल में कोर्ट के बाहर समझौते के लिए तैयार नहीं हैं और हम समझौते की टेबल पर नहीं बैठेंगे.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमारा क्लियर स्टैंड है. मैं, हरिशंकर जैन, हमारे दो वकील और चार वादी महिलाएं राखी सिंह को छोड़कर हम सभी बातचीत की किसी टेबल पर नहीं बैठेंगे और न ही समझौते के मुद्दे पर बात करेंगे. समझौता देवता की संपत्ति के साथ नहीं हो सकता है. समझौते की बात सिर्फ सीगुफा है, इसका लीगल बेस कुछ भी नहीं है. सीपीसी ऑर्डर 23 में समझौता परमीसिबल नहीं है. इसलिए हम समझौते की बात नहीं करेंगे. समझौता तब होता है, जब आप कुछ लेना चाहते हैं और वह कुछ छोड़ना चाहते हैं.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि बैरिकेडिंग के अंदर का जो भी हिस्सा है, 1 इंच भी हम देना नहीं चाहते हैं. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को हम असंवैधानिक मानते हैं. जो अन्य मुकदमे चल रहे हैं, वह चलते रहेंगे. यह समझौते की बात हो ही नहीं सकती है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के समझौते के समय भी वे थे. वहां समझौता फेल हुआ. जो बातें वहां सामने आई थीं, वह किसी सनातनी को मान्य नहीं हो सकती हैं. इसलिए, वे समझौते में न पार्टिसिपेट करेंगे न ही समझौते में शामिल होंगे. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि राजी होने की एक ही शर्त है. वहां की हमें वह पीसफुल पोजीशन देंगे और जो 350 साल तक गलत तरीके से वहां उन्होंने मंदिर की जगह मस्जिद बनाई उसके लिए वह माफी मांगे. अगर वह इस समझौते पर राजी हैं और यह मूल कारण है तो वे उस पर तैयार हैं.

वहीं, आज जिला जज न्यायालय में दो अलग-अलग मामलों में भी सुनवाई हुई. पहला मामला राखी सिंह की तरफ से अंदर मिले साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए मुस्लिम पक्ष के प्रवेश पर रोक और दूसरा मुस्लिम पक्ष की तरफ से सर्वे की कार्यवाही रोकने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की गई थी कि सर्वे के लिए निर्धारित धनराशि हिंदू पक्ष ने जमा नहीं की है. इसलिए, कार्यवाही रोकी जाए. इसके बाद इस प्रकरण में आज हिंदू पक्ष ने अपना जवाब दाखिल किया.

विष्णु शंकर जैन ने बताया कि आज अंजुमन इंतजामिया ने सर्वे की कास्ट जमा करने को लेकर एक एप्लीकेशन दी थी, उस पर जवाब दाखिल कर दिया है. राखी सिंह की तरफ से भी एक एप्लीकेशन दी गई थी, उस पर भी सुनवाई 22 अगस्त को होगी. सभी मुकदमों की सुनवाई 22 अगस्त को कोर्ट में होगी. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जो मस्जिद कमेटी की तरफ से एप्लीकेशन दी गई है, उसे खारिज किया जाना चाहिए. यह बात हाईकोर्ट में व सुप्रीम कोर्ट में कहीं जा चुकी है. जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फाइनल निर्णय दे दिया है, तो इस पर बात होनी ही नहीं चाहिए.

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