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Gyanvapi Mosque Case: जिला जज को ट्रांसफर हुआ केस, सील रहेगा 'शिवलिंग' वाला एरिया

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Published : May 20, 2022, 3:35 PM IST

Updated : May 20, 2022, 6:54 PM IST

उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque Case) में हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दायर दिवानी वाद की सुनवाई वाराणसी के दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) के पास से जिला न्यायाधीश (वाराणसी) को स्थानांतरित कर दिया. न्यायालय ने कहा कि मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए बेहतर होगा कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी इसे देखें.

Supreme court Gyanvapi case hearing , ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई
Supreme court Gyanvapi case hearing , ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्ह की पीठ ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला जिला न्यायालय वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया और 17 मई को जारी अंतरिम आदेश को 8 हफ्ते तक के लिए बढ़ा दिया गया. जिसमें मस्जिद परिसर में पाए गए 'शिवलिंग' की सुरक्षा और मुस्लिम समुदाय को 'नमाज' करने की अनुमति दी गई है. कोर्ट ने सोमवार के आदेश में कहा कि 'वुजू' करने की वैकल्फिक व्यवस्था की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) पर कोई आक्षेप नहीं लगा रही है, जो पहले से मुकदमे पर सुनवाई कर रहे थे. सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि संसद के एक कानून के अनुसार निषेध संबंधी वाद पर दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की तरफ से कागजात के हस्तांतरण के बाद फैसला किया जाना चाहिये.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या है: शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 मई के उसके पिछले अंतरिम आदेश में उस क्षेत्र की सुरक्षा का निर्देश दिया गया हैं जहां 'शिवलिंग' पाया गया है. अदालत ने कहा कि मुसलमानों को मस्जिद परिसर में 'नमाज' अदा करने की अनुमति तब तक लागू रहेगी जब तक कि जिला न्यायाधीश वाद पर कोई फैसला नहीं ले लेते. इसके बाद संबंधित पक्षों को उच्च न्यायालय का रुख करने के लिये आठ सप्ताह का समय दिया जाएगा. पीठ ने जिला मजिस्ट्रेट को विवाद में शामिल पक्षों के साथ परामर्श कर मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए आने वाले मुसलमानों के लिए 'वजू' की पर्याप्त व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिये सुझाव: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा सुझाव है कि अगर हमारे अंतरिम आदेश को जारी रखा जाता है और डिस्ट्रिक्ट जज को मामले की सुनवाई की अनुमति दी जाती है, तो यह सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा. वकील वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की दलील का कोई मतलब नहीं है. आयोग की रिपोर्ट पर न्यायालय विचार करे तो उचित होगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक जिला जज मामले को सुने हमारा पहले का अंतरिम आदेश जारी रह सकता है, जिसमें हमने शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज पढ़ने को न रोकने को कहा था. ये सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा.

जिला न्यायाधीश करेंगे सुनवाई: जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसलिए हम सोच रहे थे कि जिला जज मामले की सुनवाई कर सकते हैं. वे जिला न्यायपालिका में सीनियर जज हैं. वे जानते हैं कि आयोग की रिपोर्ट जैसे मुद्दों को कैसे संभालना है. हम यह निर्देश नहीं देना चाहते कि उन्हें क्या करना चाहिए. वकीलों से मुलाकात के बाद ऑर्डर 7 के नियम 11 के बारे में जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए. जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं. उनका सुनना सभी पक्षकारों के हित में होगा. वहीं वैद्यनाथन ने कहा कि धार्मिक स्थिति और कैरेक्टर को लेकर जो रिपोर्ट आई है, जिला अदालत को पहले उस पर विचार करने को कहा जाए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उनको निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे सुनवाई करनी है. उनको अपने हिसाब से करने दिया जाए.

ट्रायल कोर्ट के आदेश से माहौल खराब: मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वे माहौल खराब कर सकते हैं. कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं, उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं. स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखी जा सकती है. अहमदी ने कहा कि 500 साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए. अहमदी ने कोर्ट से पहले कमीशन की सूचनाएं लीक होने की बात भी कही जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि यह नहीं होना चाहिए.

यह भी पढ़ें- श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामला: पुराने वादी सोहनलाल आर्य ने इन पांच बिंदुओं पर किया मंदिर होने का दावा

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्ह की पीठ ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला जिला न्यायालय वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया और 17 मई को जारी अंतरिम आदेश को 8 हफ्ते तक के लिए बढ़ा दिया गया. जिसमें मस्जिद परिसर में पाए गए 'शिवलिंग' की सुरक्षा और मुस्लिम समुदाय को 'नमाज' करने की अनुमति दी गई है. कोर्ट ने सोमवार के आदेश में कहा कि 'वुजू' करने की वैकल्फिक व्यवस्था की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) पर कोई आक्षेप नहीं लगा रही है, जो पहले से मुकदमे पर सुनवाई कर रहे थे. सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि संसद के एक कानून के अनुसार निषेध संबंधी वाद पर दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की तरफ से कागजात के हस्तांतरण के बाद फैसला किया जाना चाहिये.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या है: शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 मई के उसके पिछले अंतरिम आदेश में उस क्षेत्र की सुरक्षा का निर्देश दिया गया हैं जहां 'शिवलिंग' पाया गया है. अदालत ने कहा कि मुसलमानों को मस्जिद परिसर में 'नमाज' अदा करने की अनुमति तब तक लागू रहेगी जब तक कि जिला न्यायाधीश वाद पर कोई फैसला नहीं ले लेते. इसके बाद संबंधित पक्षों को उच्च न्यायालय का रुख करने के लिये आठ सप्ताह का समय दिया जाएगा. पीठ ने जिला मजिस्ट्रेट को विवाद में शामिल पक्षों के साथ परामर्श कर मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए आने वाले मुसलमानों के लिए 'वजू' की पर्याप्त व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिये सुझाव: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा सुझाव है कि अगर हमारे अंतरिम आदेश को जारी रखा जाता है और डिस्ट्रिक्ट जज को मामले की सुनवाई की अनुमति दी जाती है, तो यह सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा. वकील वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की दलील का कोई मतलब नहीं है. आयोग की रिपोर्ट पर न्यायालय विचार करे तो उचित होगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक जिला जज मामले को सुने हमारा पहले का अंतरिम आदेश जारी रह सकता है, जिसमें हमने शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज पढ़ने को न रोकने को कहा था. ये सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा.

जिला न्यायाधीश करेंगे सुनवाई: जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसलिए हम सोच रहे थे कि जिला जज मामले की सुनवाई कर सकते हैं. वे जिला न्यायपालिका में सीनियर जज हैं. वे जानते हैं कि आयोग की रिपोर्ट जैसे मुद्दों को कैसे संभालना है. हम यह निर्देश नहीं देना चाहते कि उन्हें क्या करना चाहिए. वकीलों से मुलाकात के बाद ऑर्डर 7 के नियम 11 के बारे में जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए. जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं. उनका सुनना सभी पक्षकारों के हित में होगा. वहीं वैद्यनाथन ने कहा कि धार्मिक स्थिति और कैरेक्टर को लेकर जो रिपोर्ट आई है, जिला अदालत को पहले उस पर विचार करने को कहा जाए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उनको निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे सुनवाई करनी है. उनको अपने हिसाब से करने दिया जाए.

ट्रायल कोर्ट के आदेश से माहौल खराब: मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वे माहौल खराब कर सकते हैं. कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं, उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं. स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखी जा सकती है. अहमदी ने कहा कि 500 साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए. अहमदी ने कोर्ट से पहले कमीशन की सूचनाएं लीक होने की बात भी कही जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि यह नहीं होना चाहिए.

यह भी पढ़ें- श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामला: पुराने वादी सोहनलाल आर्य ने इन पांच बिंदुओं पर किया मंदिर होने का दावा

Last Updated : May 20, 2022, 6:54 PM IST
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