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करतब और कलाबाजियों के साथ आ रहा है 'सिद्धी धमाल' ग्रुप, शिल्पग्राम महोत्सव में करेंगे परफॉर्म

राजस्थान के उदयपुर में गुरुवार से शिल्पग्राम महोत्सव शुरू होने जा रहा है. इसमें गुजरात का सिद्धी धमाल डांस ग्रुप भी परफॉर्म करने जा रहा है. यह समुदाय अफ्रीकी मूल के लोगों का है. जानिए क्यों खास है ये डांस ग्रुप और क्या है इनका इतिहास...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 20, 2023, 7:04 PM IST

Udaipur Shilpgram Mahotsav
Udaipur Shilpgram Mahotsav

उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से 21 दिसंबर से आयोजित किए जाने वाले विश्व विख्यात शिल्पग्राम महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. 'शिल्पग्राम उत्सव' में गुजरात के धमाकेदार सिद्धि धमाल डांस ग्रुप रोंगटे खड़े कर देने वाले डांस से रोमांचित करने आ चुका है. यह डांस न सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि दुनियाभर के लाखों कला प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है. यह इतना लयबद्ध और कोरियोग्राफिक है कि धूम-धड़ाके में भी दर्शकों को बांधने और ताल के साथ झूमने को मजबूर कर देने वाला. इतना ही नहीं, यह डांस कई टीवी रीएलिटी शो के साथ ही ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भी अपनी छाप छोड़ चुका है. यह नृत्य सिद्धि समुदाय के लोग अपने पूर्वज बाबा हजरत की आराधना में करते हैं. यह समुदाय अफ्रीकी मूल के लोगों का है.

इसलिए प्रसिद्ध : दरअसल, इस डांस फोरम को सिद्धि समुदाय के लोक अफ्रीकी 'गोमा' म्यूजिक पर करते हैं. गोमा शब्द न्गोमा से बना है, जिसका अर्थ 'ड्रम्स' होता है. जाहिर है इस डांस में ड्रम के संगीत का अहम स्थान है. इसकी खासियत है इसका कॉस्टयूम, धमाकेदार संगीत और लयबद्ध नृत्य के साथ पेश किए जाने वाले करतब. डांस के दौरान तेज और धूम-धड़ाके वाला संगीत दर्शकों को लय में थिरकने को मजबूर कर देता है. इस डांस के लिए जो ड्रम बाबा की मजार पर रखा हुआ है, वह इतना बड़ा और भारी है कि उसे चार मजबूत आदमी ही उठा सकते हैं. इसलिए ये लोग कहीं परफोर्मेंस देने जाते हैं, तब मोडिफाइड यानी हल्का ड्रम ले जाते हैं.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
मुंह से आग के गोले निकालता नर्तक

पढे़ं. उदयपुर शिल्पग्राम महोत्सव में शामिल होंगे देश के जाने माने कलाकार, ढोल बजाकर राज्यपाल करेंगे शुभारंभ

सिर से नारियल फोड़ना : जब एक-एक कर डांस ग्रुप के सदस्य नारियल को हवा में कई फीट तक उछाल उसे सिर से फोड़ते हैं, तो दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. साथ ही, कुछ नर्तक मुंह से आग के गोले उगल दर्शकों को स्तब्ध कर देते हैं. फिर, इनका अफ्रीकी आदिवासियों के अंदाज की भाव-भंगिमाएं और अदाकारी दिलों को रोमांच से सराबोर कर देती है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
करतब दिखाता 'सिद्धी धमाल' ग्रुप

ये है इतिहास : माना जाता है कि करीब 1300 साल 628 ईस्वी में अफ्रीकी देशों मोंबासा, सूडान, तंजानिया, युगांडा आदि से विभिन्न कबीलों के लोग पहली बार भरूच पोर्ट पर उतरे थे. कुछ जानकार मानते हैं कि पुर्तगालियों ने अफ्रीकी कबीलों के बाशिंदों को जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब को भेंट में दिया था. बहरहाल, इस समुदाय के अल्ताफ मसूद सिद्धि बताते हैं कि गुजरात में हजरत बाबा गोर ने इन कबीलाइयों को संगठित कर एक कबीला बनाया और समुदाय को 'सिद्धि' घोषित किया. यह वर्तमान में भरूच से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कुछ जानकार 'सिद्धि' का अर्थ 'हब्शी' भी बताते हैं. बाबा हजरत जहां रहे, वह स्थान हजरत बाबा गोर कहलाया. सिद्धि समुदाय बाबा हजरत की अकीदत में हर साल जून या जुलाई महीने में इकट्ठा होकर उनकी आराधना करता है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
इनके चेहरे और शरीर पर वाटर कलर से विभिन्न डिजाइंस बनाई जाती है

भारत में इस समुदाय के करीब 70 हजार लोग हैं. इनमें से लगभग 10 हजार गुजरात में हैं. इस आराधना के दौरान ये जो नृत्य करते हैं, उसे ये 'धमाल' कहते हैं. इस आराधना के दौरान बाबा हजरत के 125 जिक्र गाने के रूप में किए जाते हैं, फिर डांस होता है. मसूद के अनुसार इसमें डांस से ज्यादा ध्यान जिक्र यानी बाबा के जीवन की घटनाओं पर बने गानों पर दिया जाता है. इस मौके पर अफ्रीकी प्रसाद कावा और दूध सभी को दिया जाता है. इसी स्थान पर धमाल नर्तकों को करतब और कलाबाजियों का प्रशिक्षण दिया जाता है. मुख्यतः यह डांस बाबा हजरत की आराधना में होता है, लेकिन अन्य खुशी के मौकों पर भी किया जाता है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
यह नृत्य सिद्धि समुदाय के लोग अपने पूर्वज बाबा हजरत की आराधना में करते हैं

पढ़ें. Shilpgram Festival : भगवान जगन्नाथ को समर्पित है ओडिशा का गोटीपुआ नृत्य, महोत्सव में दर्शक होंगे मंत्रमुग्ध

ये होती है वेशभूषा : धमाल के नर्तक पहले भेड़िए या बाघ खाल का स्कर्ट पहनते थे. अब इस पर रोक होने के कारण नीचे कपडे़ का स्कर्ट रहता है, उसके ऊपर मोरपंख का कमरबंध पहनते हैं. इनके सिर में खपच्चियों की विशेष प्रकार की टोपी, बाजूबंद और गले से कमर तक का खास तरह का बना पट्टा रहता है. इनके चेहरे और शरीर पर वाटर कलर से विभिन्न डिजाइंस बनाई जाती है. यह डिजाइन उसका रूप कबीलाई बना देती है. ऐसी वेशभूषा में इनका हवा में बहुत ऊंचाई तक नारियल को उछाल कर सिर से फोड़ना, मुंह से आग उगलना दर्शकों को जबरदस्त रोमांच से सराबोर कर देता है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
यह समुदाय अफ्रीकी मूल के लोगों का है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है ख्याति : सिद्धि मसूद का कहना है कि इनका 50 सदस्यीय सिद्धि धमाल ग्रुप दिल्ली में जब ओलंपिक मशाल आई तब परफोर्मेंस करने गया था. इसके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन समारोह में भी इस नृत्य का प्रदर्शन खूब वाहवाही लूट चुका है. साथ ही, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, रूस, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में भी इस डांस का प्रदर्शन किया है. इसके अलावा, टीवी के रीएलिटी शो डांस इंडिया डांस और इंडिया गोट टैलेंट में यह डांस ग्रुप शरीक हो चुका है. साथ ही, एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है.

प्रेस नोट

उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से 21 दिसंबर से आयोजित किए जाने वाले विश्व विख्यात शिल्पग्राम महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. 'शिल्पग्राम उत्सव' में गुजरात के धमाकेदार सिद्धि धमाल डांस ग्रुप रोंगटे खड़े कर देने वाले डांस से रोमांचित करने आ चुका है. यह डांस न सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि दुनियाभर के लाखों कला प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है. यह इतना लयबद्ध और कोरियोग्राफिक है कि धूम-धड़ाके में भी दर्शकों को बांधने और ताल के साथ झूमने को मजबूर कर देने वाला. इतना ही नहीं, यह डांस कई टीवी रीएलिटी शो के साथ ही ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भी अपनी छाप छोड़ चुका है. यह नृत्य सिद्धि समुदाय के लोग अपने पूर्वज बाबा हजरत की आराधना में करते हैं. यह समुदाय अफ्रीकी मूल के लोगों का है.

इसलिए प्रसिद्ध : दरअसल, इस डांस फोरम को सिद्धि समुदाय के लोक अफ्रीकी 'गोमा' म्यूजिक पर करते हैं. गोमा शब्द न्गोमा से बना है, जिसका अर्थ 'ड्रम्स' होता है. जाहिर है इस डांस में ड्रम के संगीत का अहम स्थान है. इसकी खासियत है इसका कॉस्टयूम, धमाकेदार संगीत और लयबद्ध नृत्य के साथ पेश किए जाने वाले करतब. डांस के दौरान तेज और धूम-धड़ाके वाला संगीत दर्शकों को लय में थिरकने को मजबूर कर देता है. इस डांस के लिए जो ड्रम बाबा की मजार पर रखा हुआ है, वह इतना बड़ा और भारी है कि उसे चार मजबूत आदमी ही उठा सकते हैं. इसलिए ये लोग कहीं परफोर्मेंस देने जाते हैं, तब मोडिफाइड यानी हल्का ड्रम ले जाते हैं.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
मुंह से आग के गोले निकालता नर्तक

पढे़ं. उदयपुर शिल्पग्राम महोत्सव में शामिल होंगे देश के जाने माने कलाकार, ढोल बजाकर राज्यपाल करेंगे शुभारंभ

सिर से नारियल फोड़ना : जब एक-एक कर डांस ग्रुप के सदस्य नारियल को हवा में कई फीट तक उछाल उसे सिर से फोड़ते हैं, तो दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. साथ ही, कुछ नर्तक मुंह से आग के गोले उगल दर्शकों को स्तब्ध कर देते हैं. फिर, इनका अफ्रीकी आदिवासियों के अंदाज की भाव-भंगिमाएं और अदाकारी दिलों को रोमांच से सराबोर कर देती है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
करतब दिखाता 'सिद्धी धमाल' ग्रुप

ये है इतिहास : माना जाता है कि करीब 1300 साल 628 ईस्वी में अफ्रीकी देशों मोंबासा, सूडान, तंजानिया, युगांडा आदि से विभिन्न कबीलों के लोग पहली बार भरूच पोर्ट पर उतरे थे. कुछ जानकार मानते हैं कि पुर्तगालियों ने अफ्रीकी कबीलों के बाशिंदों को जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब को भेंट में दिया था. बहरहाल, इस समुदाय के अल्ताफ मसूद सिद्धि बताते हैं कि गुजरात में हजरत बाबा गोर ने इन कबीलाइयों को संगठित कर एक कबीला बनाया और समुदाय को 'सिद्धि' घोषित किया. यह वर्तमान में भरूच से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कुछ जानकार 'सिद्धि' का अर्थ 'हब्शी' भी बताते हैं. बाबा हजरत जहां रहे, वह स्थान हजरत बाबा गोर कहलाया. सिद्धि समुदाय बाबा हजरत की अकीदत में हर साल जून या जुलाई महीने में इकट्ठा होकर उनकी आराधना करता है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
इनके चेहरे और शरीर पर वाटर कलर से विभिन्न डिजाइंस बनाई जाती है

भारत में इस समुदाय के करीब 70 हजार लोग हैं. इनमें से लगभग 10 हजार गुजरात में हैं. इस आराधना के दौरान ये जो नृत्य करते हैं, उसे ये 'धमाल' कहते हैं. इस आराधना के दौरान बाबा हजरत के 125 जिक्र गाने के रूप में किए जाते हैं, फिर डांस होता है. मसूद के अनुसार इसमें डांस से ज्यादा ध्यान जिक्र यानी बाबा के जीवन की घटनाओं पर बने गानों पर दिया जाता है. इस मौके पर अफ्रीकी प्रसाद कावा और दूध सभी को दिया जाता है. इसी स्थान पर धमाल नर्तकों को करतब और कलाबाजियों का प्रशिक्षण दिया जाता है. मुख्यतः यह डांस बाबा हजरत की आराधना में होता है, लेकिन अन्य खुशी के मौकों पर भी किया जाता है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
यह नृत्य सिद्धि समुदाय के लोग अपने पूर्वज बाबा हजरत की आराधना में करते हैं

पढ़ें. Shilpgram Festival : भगवान जगन्नाथ को समर्पित है ओडिशा का गोटीपुआ नृत्य, महोत्सव में दर्शक होंगे मंत्रमुग्ध

ये होती है वेशभूषा : धमाल के नर्तक पहले भेड़िए या बाघ खाल का स्कर्ट पहनते थे. अब इस पर रोक होने के कारण नीचे कपडे़ का स्कर्ट रहता है, उसके ऊपर मोरपंख का कमरबंध पहनते हैं. इनके सिर में खपच्चियों की विशेष प्रकार की टोपी, बाजूबंद और गले से कमर तक का खास तरह का बना पट्टा रहता है. इनके चेहरे और शरीर पर वाटर कलर से विभिन्न डिजाइंस बनाई जाती है. यह डिजाइन उसका रूप कबीलाई बना देती है. ऐसी वेशभूषा में इनका हवा में बहुत ऊंचाई तक नारियल को उछाल कर सिर से फोड़ना, मुंह से आग उगलना दर्शकों को जबरदस्त रोमांच से सराबोर कर देता है.

Gujarat Siddhi Dhamaal Dance Group
यह समुदाय अफ्रीकी मूल के लोगों का है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है ख्याति : सिद्धि मसूद का कहना है कि इनका 50 सदस्यीय सिद्धि धमाल ग्रुप दिल्ली में जब ओलंपिक मशाल आई तब परफोर्मेंस करने गया था. इसके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन समारोह में भी इस नृत्य का प्रदर्शन खूब वाहवाही लूट चुका है. साथ ही, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, रूस, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में भी इस डांस का प्रदर्शन किया है. इसके अलावा, टीवी के रीएलिटी शो डांस इंडिया डांस और इंडिया गोट टैलेंट में यह डांस ग्रुप शरीक हो चुका है. साथ ही, एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है.

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