मुंबई/अहमदाबाद : गुजरात एटीएस ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के मुंबई स्थित घर पर रेड की. ATS ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिया है. उन्हें मुंबई के सांताक्रूज पुलिस स्टेशन ले जाया गया फिर पूछताछ के लिए एटीएस सामाजिक कार्यकर्ता को अहमदाबाद ले गई है. उससे पहले सीतलवाड़ ने अपनी ओर से मुंबई के सांताक्रूज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और दावा किया कि 'गिरफ्तारी' अवैध है. उन्होंने अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई है.
-
#WATCH Mumbai: Gujarat ATS leaves Santacruz police station after detaining Teesta Setalvad pic.twitter.com/7qmyfIeyj5
— ANI (@ANI) June 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">#WATCH Mumbai: Gujarat ATS leaves Santacruz police station after detaining Teesta Setalvad pic.twitter.com/7qmyfIeyj5
— ANI (@ANI) June 25, 2022#WATCH Mumbai: Gujarat ATS leaves Santacruz police station after detaining Teesta Setalvad pic.twitter.com/7qmyfIeyj5
— ANI (@ANI) June 25, 2022
दरअसल उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों को लेकर एनजीओ प्रबंधक सीतलवाड़ की भूमिका की जांच की भी जरूरत बताई थी.
तीन के खिलाफ एफआईआर : अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट पर गुजरात दंगा मामले में झूठी जानकारी देने, कागजात गढ़ने और आपराधिक साजिश में शामिल होने का मामला दर्ज किया है. पुलिस अपराध शाखा के इंस्पेक्टर दर्शन सिंह बी बराड की शिकायत पर तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इसी के बाद ये कार्रवाई की गई है. संजीव भट्ट इस समय जेल में बंद हैं. जामनगर में हिरासत में हत्या के एक मामले में गुजरात कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा मिली है.
गुजरात एटीएस के एक सूत्र ने कहा, 'अहमदाबाद अपराध शाखा द्वारा दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने मुंबई से हिरासत में लिया है.' वहीं, मुंबई में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अहमदाबाद पुलिस ने सीतलवाड़ को सांताक्रूज स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया और स्थानीय पुलिस को सूचित करने के बाद उन्हें अपने साथ ले गई. अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने सांताक्रूज पुलिस स्टेशन को एक लिखित शिकायत भी दी (जब उन्हें वहां ले जाया गया) और वे उस पर कार्रवाई कर रहे हैं.'
सीतलवाड़ की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि गुजरात पुलिस ने उनके परिसर में 'जबरदस्ती' प्रवेश किया, उन्हें उनके खिलाफ प्राथमिकी या वारंट की प्रति नहीं दिखाई. उनके बाएं हाथ पर चोट आई है. तीस्ता सीतलवाड़ एक पत्रकार और एक कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं. जिन्होंने राजनेताओं के खिलाफ गोधरा में मुकदमे के लिए आवेदन किया था.
पूर्व आईपीएस गिरफ्तार : गोधरा दंगों को लेकर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व अतिरिक्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार को तलब किया. गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर याचिका खारिज होने के बाद पूर्व अतिरिक्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार को समन किया. वे अहमदाबाद क्राइम ब्रांच पहुंचे, जहां पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. डीसीपी चैतन्य मांडलिक के मुताबिक इस मामले में धारा 120बी के तहत झूठे सबूत पेश करने में आरबी श्रीकुमार की भूमिका दिख रही है. 2002 में जब गुजरात में दंगे शुरू हुए तब वह गुजरात के डीजीपी थे. पुलिस महानिदेशक के पद पर सेवानिवृत्ति के बाद की पदोन्नति एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को दी गई, जिन्होंने 2002 के दंगों के दौरान पुलिस पर अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहने का आरोप लगाकर गुजरात प्रशासन को चौंका दिया था. इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद करीब सात महीने का फैसला आया. जब आरबी श्रीकुमार के लिए एक पदोन्नति अस्वीकार कर दी गई थी. उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया. घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अब फिर से कोर्ट में चुनौती दी गई है. श्रीकुमार का मूल राज्य केरल है. 1972 में वह गुजरात पुलिस में शामिल हुए थे.
गुजरात दंगों में हुई थी एहसान जाफरी की मौत : कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में 1044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे. इस संबंध में विवरण देते हुए, केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा को सूचित किया था कि गोधरा कांड के बाद के दंगों में 254 हिंदू और 790 मुस्लिम मारे गए थे.
'सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए डाली गई याचिका, झूठी है गवाही' : सुप्रीम कोर्ट (SC) ने शुक्रवार को कहा था कि गुजरात में 2002 के दंगों पर झूठे खुलासे कर सनसनी पैदा करने के लिए राज्य सरकार के असंतुष्ट अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किए जाने और उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उसे राज्य सरकार की इस दलील में दम नजर आता है कि संजीव भट्ट (तत्कालीन आईपीएस अधिकारी), हरेन पांड्या (गुजरात के पूर्व गृह मंत्री) और आरबी श्रीकुमार (अब सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी) की गवाही मामले को केवल सनसनीखेज बनाने और इसके राजनीतिकरण के लिए थी, जबकि यह झूठ से भरा हुआ था.
पढ़ें- 'मैंने पीएम मोदी के दर्द को नजदीक से देखा', गुजरात दंगों पर अमित शाह का खास इंटरव्यू