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अवैध आव्रजन रैकेट : पैसे वसूलने के लिए दलालों ने दुधमुंही बच्ची को मां से अलग किया

अमेरिका पहुंचाने का वादा कर दलालों ने एक परिवार से खूब पैसे ऐंठे. आरोप है कि दलालों ने पैसों के लिए उस परिवार की एक दुधमुंही बच्ची को उसकी मां से अलग कर दिया था. यह चौंकाने वाला मामला गुजरात से आया है. पढ़िए पूरी खबर.

immigration office
आव्रजन कार्यालय
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Published : Feb 14, 2022, 6:23 PM IST

अहमदाबाद : अमेरिका भेजने का झांसा देकर गुजरात के 15 नागरिकों का अपहरण करने वाले अवैध आव्रजन गिरोह के दलालों की क्रूरता के शिकार पीडि़तों का कहना है कि दलालों ने हथियार दिखा कर डराया और पैसों के लिए एक दुधमुंही बच्ची को उसकी मां से अलग कर दिया. मेहसाणा जिले के वसई डभला गांव की निवासी शीतल पटेल, उनके पति और उनकी छह महीने की बेटी उन पीड़ितों में शामिल हैं, जिन्हें पुलिस गिरोह से मुक्त कराने के बाद दिल्ली से रविवार को अहमदाबाद लाई.

अपनी आपबीती सुनाते हुए पटेल ने कहा, 'दलालों द्वारा अमेरिका भेजने का वादा किए जाने पर हम पिछले साल 12 नवंबर को कोलकाता के लिए रवाना हुए. लेकिन दलालों ने कोलकाता में हमारा अपहरण कर लिया. वे मेरी बेटी को ले गए और मुझसे कहा कि उसे बचाने के लिए पैसे की व्यवस्था करो.'

गुजरात पहुंचने के बाद गांधीनगर में पत्रकारों को महिला ने बताया कि दलालों ने उन्हें तीन महीने तक कब्जे में रखा. उन्होंने बताया कि उन्होंने मकान और खेत बेचकर पैसे एजेंटों को दिए थे, लेकिन उन्होंने उन्हें अमेरिका नहीं भेजा. महिला ने बताया कि जब दलालों को पता चला कि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, तब वे उन्हें दिल्ली ले गए, जहां से उन्हें गुजरात पुलिस ने बचा लिया.

गांधीनगर पुलिस ने कहा कि दलालों के एक गिरोह ने पैसों के लिए डेढ़ साल की बच्ची सहित 15 लोगों को कथित तौर पर अगवा किया और तीन महीने से अधिक समय तक बंधक बनाकर प्रताड़ित किया. पुलिस के मुताबिक, सभी पीड़ितों को दिल्ली से छुड़ाकर गुजरात लाया गया और एक एजेंट को अब तक गिरफ्तार किया है.

गांधीनगर के खरना गांव की एक अन्य पीड़िता निशा पटेल ने कहा, 'एजेटों ने वादा किया था कि मैं और मेरे पति केवल दो सप्ताह में अमेरिका पहुंच जाएंगे. पिछले साल दिसंबर में वे हमें कोलकाता ले गए और कहा कि पहले हमें कनाडा ले जाया जाएगा. लेकिन गुजरात स्थित हमारे परिवार से जबरन वसूली के लिए उन्होंने हमारा अपहरण कर लिया और एक कमरे में बंद कर दिया.'

महिला ने आरोप लगाया कि एजेंट ने उनके पति को बंदूक दिखा कर उन्हें अपने पिता को यह कहने के लिए मजबूर किया कि वे कनाडा पहुंच गए हैं और सब ठीक है. इस महिला ने आगे कहा कि कुछ दिनों के बाद एजेंट ने मेरे पति को पिता से यह कहने के लिए दोबारा मजबूर किया कि हम अमेरिका पहुंच गए हैं और दलालों को वादा किए गए पैसे का भुगतान कर दिया जाए. यह पैसे वसूलने की उनकी रणनीति थी.'

तेजस पटेल के पिता प्रवीण पटेल ने मानसा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि दलालों ने उनके बेटे-बहू को अमेरिका भेजने के लिए फीस के तौर पर 1.65 करोड़ रुपये की मांग की थी. थाने में दर्ज शिकायत के मुताबिक, कोलकाता में दंपति को बंधक बनाए रखने के दौरान दलालों ने बंदूक दिखा कर उनके सोने के आभूषण और 10,000 अमेरिकी डॉलर सहित 8.09 लाख रुपये की नकदी लूट ली.

अहमदाबाद के न्यू रानिप इलाके के आकाश पटेल ने कहा कि दलालों ने उन्हें और उनकी पत्नी को अमेरिका भेजने का झांसा देकर 5.35 लाख रुपये अग्रिम भुगतान के रूप में ले लिए. हालांकि आकाश बंधक बनाए गए समूह में शामिल नहीं था. आकाश ने कहा कि बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों की कमी के कारण वह अमेरिका जाना चाहता था. आकाश ने कहा कि मैंने कई भर्ती परीक्षाओं की तैयारी की लेकिन वे रद्द हो गईं. पत्नी ने एक परीक्षा पास की लेकिन वह भी सरकार ने रद्द कर दी. मैं पहले बच्चों को स्कूल लाता ले जाता था. लेकिन कोविड महामारी के कारण स्कूल ही बंद हो गए. मेरे पास कोई काम नहीं था.

ये भी पढे़ं : ज्यादा ठंड के चलते हुई अमेरिका-कनाडा में भारतीय परिवार की मौत : एमईए

अहमदाबाद : अमेरिका भेजने का झांसा देकर गुजरात के 15 नागरिकों का अपहरण करने वाले अवैध आव्रजन गिरोह के दलालों की क्रूरता के शिकार पीडि़तों का कहना है कि दलालों ने हथियार दिखा कर डराया और पैसों के लिए एक दुधमुंही बच्ची को उसकी मां से अलग कर दिया. मेहसाणा जिले के वसई डभला गांव की निवासी शीतल पटेल, उनके पति और उनकी छह महीने की बेटी उन पीड़ितों में शामिल हैं, जिन्हें पुलिस गिरोह से मुक्त कराने के बाद दिल्ली से रविवार को अहमदाबाद लाई.

अपनी आपबीती सुनाते हुए पटेल ने कहा, 'दलालों द्वारा अमेरिका भेजने का वादा किए जाने पर हम पिछले साल 12 नवंबर को कोलकाता के लिए रवाना हुए. लेकिन दलालों ने कोलकाता में हमारा अपहरण कर लिया. वे मेरी बेटी को ले गए और मुझसे कहा कि उसे बचाने के लिए पैसे की व्यवस्था करो.'

गुजरात पहुंचने के बाद गांधीनगर में पत्रकारों को महिला ने बताया कि दलालों ने उन्हें तीन महीने तक कब्जे में रखा. उन्होंने बताया कि उन्होंने मकान और खेत बेचकर पैसे एजेंटों को दिए थे, लेकिन उन्होंने उन्हें अमेरिका नहीं भेजा. महिला ने बताया कि जब दलालों को पता चला कि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, तब वे उन्हें दिल्ली ले गए, जहां से उन्हें गुजरात पुलिस ने बचा लिया.

गांधीनगर पुलिस ने कहा कि दलालों के एक गिरोह ने पैसों के लिए डेढ़ साल की बच्ची सहित 15 लोगों को कथित तौर पर अगवा किया और तीन महीने से अधिक समय तक बंधक बनाकर प्रताड़ित किया. पुलिस के मुताबिक, सभी पीड़ितों को दिल्ली से छुड़ाकर गुजरात लाया गया और एक एजेंट को अब तक गिरफ्तार किया है.

गांधीनगर के खरना गांव की एक अन्य पीड़िता निशा पटेल ने कहा, 'एजेटों ने वादा किया था कि मैं और मेरे पति केवल दो सप्ताह में अमेरिका पहुंच जाएंगे. पिछले साल दिसंबर में वे हमें कोलकाता ले गए और कहा कि पहले हमें कनाडा ले जाया जाएगा. लेकिन गुजरात स्थित हमारे परिवार से जबरन वसूली के लिए उन्होंने हमारा अपहरण कर लिया और एक कमरे में बंद कर दिया.'

महिला ने आरोप लगाया कि एजेंट ने उनके पति को बंदूक दिखा कर उन्हें अपने पिता को यह कहने के लिए मजबूर किया कि वे कनाडा पहुंच गए हैं और सब ठीक है. इस महिला ने आगे कहा कि कुछ दिनों के बाद एजेंट ने मेरे पति को पिता से यह कहने के लिए दोबारा मजबूर किया कि हम अमेरिका पहुंच गए हैं और दलालों को वादा किए गए पैसे का भुगतान कर दिया जाए. यह पैसे वसूलने की उनकी रणनीति थी.'

तेजस पटेल के पिता प्रवीण पटेल ने मानसा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि दलालों ने उनके बेटे-बहू को अमेरिका भेजने के लिए फीस के तौर पर 1.65 करोड़ रुपये की मांग की थी. थाने में दर्ज शिकायत के मुताबिक, कोलकाता में दंपति को बंधक बनाए रखने के दौरान दलालों ने बंदूक दिखा कर उनके सोने के आभूषण और 10,000 अमेरिकी डॉलर सहित 8.09 लाख रुपये की नकदी लूट ली.

अहमदाबाद के न्यू रानिप इलाके के आकाश पटेल ने कहा कि दलालों ने उन्हें और उनकी पत्नी को अमेरिका भेजने का झांसा देकर 5.35 लाख रुपये अग्रिम भुगतान के रूप में ले लिए. हालांकि आकाश बंधक बनाए गए समूह में शामिल नहीं था. आकाश ने कहा कि बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों की कमी के कारण वह अमेरिका जाना चाहता था. आकाश ने कहा कि मैंने कई भर्ती परीक्षाओं की तैयारी की लेकिन वे रद्द हो गईं. पत्नी ने एक परीक्षा पास की लेकिन वह भी सरकार ने रद्द कर दी. मैं पहले बच्चों को स्कूल लाता ले जाता था. लेकिन कोविड महामारी के कारण स्कूल ही बंद हो गए. मेरे पास कोई काम नहीं था.

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