अहमदाबाद : अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के कुछ फैसलों पर आपत्ति जताते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि स्थानीय निकाय कोविड-19 महामारी से निपटने में उसकी नीतियों के अनुरूप काम करें.
गौरतलब है कि नगर निगम ने हाल ही में कहा था कि उसने यह नियम वापस ले लिया है कि सिर्फ 108 एम्बुलेंस से आए मरीजों को ही नगर निगम के अस्पतालों या निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के कॉरपोरेशन के कोटे के तहत भर्ती होने को मिलेगा. निगम के इसी फैसले पर अदालत ने उक्त निर्देश दिया है.
महामारी से सरकार के निपटने के मुद्दे पर स्वत संज्ञान लेते हुए, एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा राज्य यह सुनिश्चित करे कि कोई भी नगर निगम अपनी मनमानी नहीं करें. नगर निकायों को राज्य सरकार की नीतियों के अनुरूप काम करना है और वे अपनी मनमानी नहीं कर सकते हैं. अदालत ने पिछले सप्ताह निर्देश दिया था कि मरीज निजी वाहन या 108 एम्बुलेंस किसी भी तरीके से अस्पताल पहुंचें, उनका इलाज करना अनिवार्य होगा. एएमसी ने मंगलवार को कहा कि उसका आदेश वापस ले लिया गया है लेकिन वह आदेश न तो मनमाना था और न ही राज्य के आदेश के विपरीत था.
महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि सिर्फ 108 एम्बुलेंस नीति 15 अप्रैल तक थी, लेकिन उसके बाद कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अदालत ने सवाल किया, क्या वह स्वीकार करते हैं कि राज्य हालात की निगरानी करने में असफल हो रहा है और अहमदाबाद नगर निगम बिगड़ैल बच्चे की तरह व्यवहार कर रहा है. एएमसी के वकील मिहिर जोशी ने कहा कि निगम राज्य सरकार की नीतियों के अनुरूप काम कर रहा है और वह अभी भी मानता है कि केन्द्रीयकृत प्रणाली ज्यादा प्रभावी है और वह अदालत के फैसले को मानता है.
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उन्होंने कहा उसका इरादा राज्य के खिलाफ जाने का नहीं है, यह जनता के हित में जरूरी लगा और यह प्रभावी प्रशासनिक प्रक्रिया थी. इससे पहले के अपने आदेश में अदालत ने कहा था कि 108 एम्बुलेंस सेवा राज्य सरकार की है और नगर निगम को इस संबंध में राज्य द्वारा तय की गई किसी भी नीति का पालन करना होगा.