अमरेली: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat HC) ने कमजोर सबूतों के कारण एक दशक पहले दुष्कर्म और डकैती के मामले में दोषी ठहराए गए अमरेली क्षेत्र के दो लोगों को रिहा करने का निर्देश दिया है.
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उन मामलों, विशेषकर दुष्कर्म के मामलों की जांच के लिए एक समिति बनाने का भी निर्देश दिया है, जिनमें निचली अदालतों ने कमजोर सबूतों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया है.
जस्टिस एएस सुपैया और एमआर मेंगडे की पीठ ने गोविंदभाई और वीराभाई परमार को रिहा करने का आदेश दिया है. गोविंदभाई को दुष्कर्म और डकैती के मामले में दोषी ठहराया गया था और वह पहले ही 13 साल जेल में बिता चुका है. वहीं, वीराभाई परमार 12 साल से अधिक समय से सलाखों के पीछे है.
दुष्कर्म और डकैती के लिए दोषी ठहराए गए गोविंदभाई परमार की आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए, गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एएस सुपैया और एमआर मेंगडे की खंडपीठ ने कहा कि मामले में सबूत कमजोर थे.
वर्तमान मामले में दोषी 13 वर्ष 01 माह 16 दिन की सजा काट चुका है. कोर्ट ने दोनों दोषियों की रिहाई का आदेश देते हुए फैसले में कहा, 'मामला साल 2009 का है.अमरेली में जब दो लोगों के खिलाफ डकैती और दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया. जिन सबूतों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने दोनों लोगों को सजा सुनाई, वे कमजोर थे और भरोसा करने वाले नहीं थे.'
अदालत ने गुजरात सरकार को ऐसे अपराध मामलों का पता लगाने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया, जिनमें निचली अदालतों ने कमजोर आत्मविश्वास के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया है. हाई कोर्ट के इस कदम को लोगों, विशेषकर आपराधिक मामलों में गलत तरीके से दोषी ठहराए गए व्यक्तियों के बीच विश्वास बहाली के उपाय के रूप में देखा जा रहा है.