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गुजरात सरकार का बड़ा ऐलान, UCC के लिए कमेटी बनायी जाएगी

गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर बड़ा फैसला किया है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए राज्य सरकार कमेटी बनाएगी.

Gujarat government will form committee for UCC
गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी बनाएगीEtv Bharat
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Published : Oct 29, 2022, 12:15 PM IST

Updated : Oct 29, 2022, 5:11 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने बड़ा ऐलान कर दिया है. इस वर्ष के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने शनिवार को समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला (Gujarat government form committee) किया. गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक के दौरान समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. इसे भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली कैबिनेट की आखिरी बैठक माना जा रहा है, क्योंकि राज्य चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अगले सप्ताह होने की उम्मीद है.

केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा, "समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें तीन से चार सदस्य होंगे." इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी.

गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता में कानून की नजर में सब एक समान होते हैं. UCC का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे. सरल शब्दों में कहा जाए तो देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक कानून होगा, चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता (UCC) जिस राज्य में लागू की जाएगी, उस राज्य में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.

समान नागरिक संहिता का कई राजनेताओं ने समर्थन करते हुए कहा है कि इससे देश में समानता आएगी. वहीं, इस्लामिक संगठन इसके विरोध में हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इसे एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है. बोर्ड ने इस तरह के कदम को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों का गलत कदम ठहराया है.

हालांकि, इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी को काबू करने के वादे के साथ ही भाजपा ने सत्ता में आने पर समान नागरिक संहिता को लागू करने का वादा किया था. इस महीने की शुरुआत में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह संसद को देश में समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है.

(एक्सट्रा-इनपुट)

अहमदाबाद : गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने बड़ा ऐलान कर दिया है. इस वर्ष के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने शनिवार को समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला (Gujarat government form committee) किया. गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक के दौरान समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. इसे भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली कैबिनेट की आखिरी बैठक माना जा रहा है, क्योंकि राज्य चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अगले सप्ताह होने की उम्मीद है.

केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा, "समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें तीन से चार सदस्य होंगे." इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी.

गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता में कानून की नजर में सब एक समान होते हैं. UCC का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे. सरल शब्दों में कहा जाए तो देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक कानून होगा, चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता (UCC) जिस राज्य में लागू की जाएगी, उस राज्य में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.

समान नागरिक संहिता का कई राजनेताओं ने समर्थन करते हुए कहा है कि इससे देश में समानता आएगी. वहीं, इस्लामिक संगठन इसके विरोध में हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इसे एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है. बोर्ड ने इस तरह के कदम को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों का गलत कदम ठहराया है.

हालांकि, इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी को काबू करने के वादे के साथ ही भाजपा ने सत्ता में आने पर समान नागरिक संहिता को लागू करने का वादा किया था. इस महीने की शुरुआत में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह संसद को देश में समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है.

(एक्सट्रा-इनपुट)

Last Updated : Oct 29, 2022, 5:11 PM IST
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