ETV Bharat / bharat

गुजरात : परिवार ने किए ब्रेन डेड मरीज के अंगदान, तीन लोगों को दी नई जिंदगी - अंग दान करने का फैसला

ब्रेन डेड परेशभाई चंदूलाल शाह के परिवार ने उनके अंग दान करने का फैसला किया और उनके लीवर और आंखों ने 3 मरीजों को नया जीवन दिया. इस तरह से उनके परिवार ने समाज को मानवता की राह दिखाई है और बताया कि अंगदान करना कितना जरूरी है.

ब्रेन डेड मरीज का किया अंगदान
ब्रेन डेड मरीज का किया अंगदान
author img

By

Published : May 17, 2021, 6:21 PM IST

अहमदाबाद : ब्रेन डेड मरीज परेशभाई चंदूलाल शाह के परिवार ने तीन लोगों को उनका लीवर और आंखें दान कर एक नई दिशा दिखाई है. कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच सूरत शहर से अंगदान का यह पहला मामला है.

बताया जा रहा है कि परेशभाई कोरोना वायरस के प्रसार से पहले माजुरा गेट के पास स्थित बोथरा फाइनेंस लिमिटेड में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे.

पिछले बुधवार 12 मई को परेशभाई अपनी पत्नी पद्माबेन के साथ कंपनी में वेतन लेने गए थे, लेकिन जैसे ही वे कार्यालय से लौटे, उन्हें चक्कर आया, उल्टी होने लगी और वे गिर पड़े. उन्हें तुरंत पास के निर्मल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉ. गौरीश गडबैल की देखरेख में उनका इलाज किया गया. निदान के लिए एक सीटी स्कैन किया गया, जिसमें मस्तिष्क की नस फटने के कारण उन्हें ब्रेन हैमरेज होने का पता चला.

परिवार ने ब्रेन डेड मरीज का किया अंगदान, तीन लोगों को दी नई जिंदगी

देश में अंगदान के प्रति कम जागरूकता

इसके बाद डॉक्टरों ने अंगदान को बढ़ावा देने वाली संस्था डोनेट लाइफ के संस्थापक-अध्यक्ष नीलेश मंडलेवाला से संपर्क किया. उन्हें बताया गया कि परेशभाई अब ब्रेन डेड हो चुके हैं. मंडलेवाला ने अंगदान के महत्व पर जोर दिया और परिवार को पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया.

देवांग, चिराग, प्रकाशभाई और यशवंतभाई ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा की और परेशभाई के अंग दान करने का फैसला किया.

शाह परिवार ने सोचा कि अब हमारे प्यारे परिवार के सदस्य ब्रेन डेड हो गए हैं और उनकी मृत्यु निश्चित है, तो क्यों न दूसरे मरीजों को एक नया जीवन दिया जाए.

परेशभाई के अंगों को दान करने का परिवार का निर्णय सही समय पर आया और दूसरों को प्रोत्साहित कर सकता है, क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान देश में अंगदान की दर बहुत कम रह गई है. परेशभाई के भाई प्रकाशभाई ने परिवार को इस नेक काम के लिए राजी किया.

लॉजिस्टिक समस्या के कारण लंग और हृदय का दान नहीं किया जा सका

परिवार के सदस्यों की सहमति से नीलेश मंडलेवाला ने स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (SOTTO) के संयोजक डॉ. प्रांजल मोदी से संपर्क किया. उन्हें बताया गया कि परिवार लीवर, हृदय और फेफड़े दान करने के लिए सहमत हो गया है.

लीवर को SOTTO द्वारा CIMS अस्पताल, अहमदाबाद को आवंटित किया गया था. चूंकि मरीज के दोनों किडनी खराब हो गए थे, वे दान के लिए उपयोगी नहीं थे.

उसके बाद NOTTO द्वारा हैदराबाद के एक अस्पताल को लंग आवंटित किए गए, जबकि हृदय को चेन्नई के एक अस्पताल में आवंटित किया गया था. हालांकि, रसद संबंधी समस्याओं के कारण लंग और हृदय का दान नहीं किया जा सका.

पढ़ें - ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने 10,000 टन तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन की ढुलाई की

वडोदरा के मरीज को मिला लीवर

अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती वडोदरा का एक मरीज पिछले डेढ़ साल से लीवर सिरोसिस से पीड़ित है. उसके लिए सिम्स अस्पताल ने लीवर ले लिया है.डॉ आनंद खाखर और उनकी टीम ने लीवर का दान स्वीकार किया, जबकि लोकदृष्टि आई बैंक के डॉ प्रफुल्ल शिरोया ने नेत्रदान स्वीकार किया. दान किए गए लीवर को वडोदरा निवासी 64 वर्षीय व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया गया. वह पिछले डेढ़ साल से लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे.

280 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाया

समय पर लीवर पहुंचाने के लिए गुजरात पुलिस द्वारा 280 किमी का ग्रीन कॉरिडोर (निर्मल अस्पताल, सूरत से अहमदाबाद के CIMS अस्पताल तक) प्रदान किया गया था. सूरत शहर पुलिस ने रास्ते में सभी शहरों की पुलिस और राज्य की ग्रामीण पुलिस के सहयोग से ग्रीन कॉरिडोर का सफलतापूर्वक निर्माण किया.

ऑर्गन और टिश्यू ट्रांस्प्लांटेशन पर राज्य सलाहकार समिति के सदस्य और डोनेट लाइफ के संस्थापक अध्यक्ष नीलेश मंडलेवाला के मार्गदर्शन में पूरी अंगदान प्रक्रिया को अंजाम दिया गया.

अहमदाबाद : ब्रेन डेड मरीज परेशभाई चंदूलाल शाह के परिवार ने तीन लोगों को उनका लीवर और आंखें दान कर एक नई दिशा दिखाई है. कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच सूरत शहर से अंगदान का यह पहला मामला है.

बताया जा रहा है कि परेशभाई कोरोना वायरस के प्रसार से पहले माजुरा गेट के पास स्थित बोथरा फाइनेंस लिमिटेड में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे.

पिछले बुधवार 12 मई को परेशभाई अपनी पत्नी पद्माबेन के साथ कंपनी में वेतन लेने गए थे, लेकिन जैसे ही वे कार्यालय से लौटे, उन्हें चक्कर आया, उल्टी होने लगी और वे गिर पड़े. उन्हें तुरंत पास के निर्मल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉ. गौरीश गडबैल की देखरेख में उनका इलाज किया गया. निदान के लिए एक सीटी स्कैन किया गया, जिसमें मस्तिष्क की नस फटने के कारण उन्हें ब्रेन हैमरेज होने का पता चला.

परिवार ने ब्रेन डेड मरीज का किया अंगदान, तीन लोगों को दी नई जिंदगी

देश में अंगदान के प्रति कम जागरूकता

इसके बाद डॉक्टरों ने अंगदान को बढ़ावा देने वाली संस्था डोनेट लाइफ के संस्थापक-अध्यक्ष नीलेश मंडलेवाला से संपर्क किया. उन्हें बताया गया कि परेशभाई अब ब्रेन डेड हो चुके हैं. मंडलेवाला ने अंगदान के महत्व पर जोर दिया और परिवार को पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया.

देवांग, चिराग, प्रकाशभाई और यशवंतभाई ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा की और परेशभाई के अंग दान करने का फैसला किया.

शाह परिवार ने सोचा कि अब हमारे प्यारे परिवार के सदस्य ब्रेन डेड हो गए हैं और उनकी मृत्यु निश्चित है, तो क्यों न दूसरे मरीजों को एक नया जीवन दिया जाए.

परेशभाई के अंगों को दान करने का परिवार का निर्णय सही समय पर आया और दूसरों को प्रोत्साहित कर सकता है, क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान देश में अंगदान की दर बहुत कम रह गई है. परेशभाई के भाई प्रकाशभाई ने परिवार को इस नेक काम के लिए राजी किया.

लॉजिस्टिक समस्या के कारण लंग और हृदय का दान नहीं किया जा सका

परिवार के सदस्यों की सहमति से नीलेश मंडलेवाला ने स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (SOTTO) के संयोजक डॉ. प्रांजल मोदी से संपर्क किया. उन्हें बताया गया कि परिवार लीवर, हृदय और फेफड़े दान करने के लिए सहमत हो गया है.

लीवर को SOTTO द्वारा CIMS अस्पताल, अहमदाबाद को आवंटित किया गया था. चूंकि मरीज के दोनों किडनी खराब हो गए थे, वे दान के लिए उपयोगी नहीं थे.

उसके बाद NOTTO द्वारा हैदराबाद के एक अस्पताल को लंग आवंटित किए गए, जबकि हृदय को चेन्नई के एक अस्पताल में आवंटित किया गया था. हालांकि, रसद संबंधी समस्याओं के कारण लंग और हृदय का दान नहीं किया जा सका.

पढ़ें - ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने 10,000 टन तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन की ढुलाई की

वडोदरा के मरीज को मिला लीवर

अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती वडोदरा का एक मरीज पिछले डेढ़ साल से लीवर सिरोसिस से पीड़ित है. उसके लिए सिम्स अस्पताल ने लीवर ले लिया है.डॉ आनंद खाखर और उनकी टीम ने लीवर का दान स्वीकार किया, जबकि लोकदृष्टि आई बैंक के डॉ प्रफुल्ल शिरोया ने नेत्रदान स्वीकार किया. दान किए गए लीवर को वडोदरा निवासी 64 वर्षीय व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया गया. वह पिछले डेढ़ साल से लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे.

280 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाया

समय पर लीवर पहुंचाने के लिए गुजरात पुलिस द्वारा 280 किमी का ग्रीन कॉरिडोर (निर्मल अस्पताल, सूरत से अहमदाबाद के CIMS अस्पताल तक) प्रदान किया गया था. सूरत शहर पुलिस ने रास्ते में सभी शहरों की पुलिस और राज्य की ग्रामीण पुलिस के सहयोग से ग्रीन कॉरिडोर का सफलतापूर्वक निर्माण किया.

ऑर्गन और टिश्यू ट्रांस्प्लांटेशन पर राज्य सलाहकार समिति के सदस्य और डोनेट लाइफ के संस्थापक अध्यक्ष नीलेश मंडलेवाला के मार्गदर्शन में पूरी अंगदान प्रक्रिया को अंजाम दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.