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Gujarat Elections 2022: पाटीदारों के बीच पहुंचे पीएम मोदी, जानें क्यों खास है सौराष्ट्र का दौरा? - गुजरात चुनाव 2022 लाइव अपडेट

पीएम नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे का पूरा कार्यक्रम चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि जब इस कार्यक्रम की शुरुआत में लोगों को आमंत्रित किया गया तो पाटीदार समाजसेवी नरेश पटेल का नाम नहीं था. पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट.

PM Modi in Gujarat
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Published : May 28, 2022, 1:23 PM IST

Updated : May 28, 2022, 4:10 PM IST

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं. उन्होंने राजकोट के एटकोट में नवनिर्मित माटुश्री केडीपी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया. अस्पताल के उद्घाटन के बाद पीएम यहां जनसभा को संबोधित किया.

नरेंद्र मोदी का यह दौरा सौराष्ट्र की राजनीति के लिए खास माना जा रहा है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते बीजेपी के लिए 100 का आंकड़ा छूना भी भारी पड़ गया. चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा असर सौराष्ट्र में ही देखने को मिला. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री यहां पाटीदारों को अपने संबोधन के दौरान क्या संदेश देंगे.

मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उपहार: प्रधानमंत्री मोदी ने राजकोट के जसदान तालुका के अतकोट गांव में 40 करोड़ की लागत से बने 200 बेड के मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया. इसके बाद जनसभा में पाटीदारों को संबोधित किया. पाटीदार नेता परेश गजेरा का कहना है कि प्रधानमंत्री की इस रैली में 3 लाख से ज्यादा पाटीदार हिस्सा लिये.

क्यों चर्चा में है पीएम मोदी का कार्यक्रम: पीएम मोदी का यह पूरा कार्यक्रम भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि जब इस कार्यक्रम की शुरुआत में लोगों को आमंत्रित करने की बात आई तो पाटीदार समाज के नेता नरेश पटेल का नाम नहीं था. इसके अलावा खोडलधाम संस्थान की कुलदेवी मंदिर के अध्यक्ष लेउवा पटेल का भी निमंत्रण में नाम नहीं था. इस पर जब विवाद शुरू हुआ तो खुद बीजेपी के उपाध्यक्ष भरत बोधरा ने कहा था कि वह नया कार्ड प्रिंट करवाएंगे, जिसमें उनका नाम होगा. लेकिन नरेश पटेल का नाम अभी भी गायब है.

वहीं खोडलधाम संस्थान के दूसरे बड़े पाटीदार नेता परेश गजेरा को बीजेपी ने काफी अहमियत दी है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नरेश पटेल का कांग्रेस के प्रति झुकाव इसका एक कारण हो सकता है इसलिए बीजेपी परेश गजेरा को तरजीह दे रही है. परेश गजेरा सौराष्ट्र के जाने-माने चेहरे हैं. बीजेपी उनका कद बढ़ाकर पाटीदारों के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है ताकि वोट का खेल खराब न हो. बीजेपी की सोच यह भी है कि अगर नरेश पटेल ने कांग्रेस में जाने का फैसला कर भी लिया तो परेश गजेरा के जरिए पाटीदार वोटरों को रोका जा सकता है.

नरेश पटेल पर कांग्रेस की नजर: हार्दिक पटेल के गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस की निगाहें नरेश पटेल पर टिकी हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लगातार उनके संपर्क में हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि अगर गुजरात को सत्ता पर कब्जा करना है तो पाटीदार वोट बैंक से हाथ धोना पड़ेगा, इसलिए हार्दिक पटेल के जाते ही कांग्रेस नरेश पटेल के पक्ष में हो गई है. नरेश पटेल पाटीदार समाज का जाना-माना चेहरा हैं. वह धार्मिक संगठन खोदलधाम के अध्यक्ष भी हैं.

सौराष्ट्र में पाटीदारों का दबदबा: सौराष्ट्र की 54 सीटों के 2017 के चुनाव में बीजेपी को यहां कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिली थी. पाटीदार आंदोलन के चलते सौराष्ट्र में कांग्रेस ने 55% यानी 30 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी ने 33 फीसदी यानी 23 सीटों पर जीत हासिल की थी. बता दें कि साल 2015 में पाटीदार आंदोलन के दौरान 14 पाटीदार युवकों की हत्या कर दी गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पर पाटीदारों को ओबीसी के तहत आरक्षण कोटे में शामिल करने का दबाव बढ़ गया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदारों की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा था.

यह भी पढ़ें- PM Modi Gujarat Visit: बापू के सपनों का बना रहे भारत, सभी को मिल रहा अपना हक: मोदी

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं. उन्होंने राजकोट के एटकोट में नवनिर्मित माटुश्री केडीपी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया. अस्पताल के उद्घाटन के बाद पीएम यहां जनसभा को संबोधित किया.

नरेंद्र मोदी का यह दौरा सौराष्ट्र की राजनीति के लिए खास माना जा रहा है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते बीजेपी के लिए 100 का आंकड़ा छूना भी भारी पड़ गया. चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा असर सौराष्ट्र में ही देखने को मिला. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री यहां पाटीदारों को अपने संबोधन के दौरान क्या संदेश देंगे.

मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उपहार: प्रधानमंत्री मोदी ने राजकोट के जसदान तालुका के अतकोट गांव में 40 करोड़ की लागत से बने 200 बेड के मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया. इसके बाद जनसभा में पाटीदारों को संबोधित किया. पाटीदार नेता परेश गजेरा का कहना है कि प्रधानमंत्री की इस रैली में 3 लाख से ज्यादा पाटीदार हिस्सा लिये.

क्यों चर्चा में है पीएम मोदी का कार्यक्रम: पीएम मोदी का यह पूरा कार्यक्रम भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि जब इस कार्यक्रम की शुरुआत में लोगों को आमंत्रित करने की बात आई तो पाटीदार समाज के नेता नरेश पटेल का नाम नहीं था. इसके अलावा खोडलधाम संस्थान की कुलदेवी मंदिर के अध्यक्ष लेउवा पटेल का भी निमंत्रण में नाम नहीं था. इस पर जब विवाद शुरू हुआ तो खुद बीजेपी के उपाध्यक्ष भरत बोधरा ने कहा था कि वह नया कार्ड प्रिंट करवाएंगे, जिसमें उनका नाम होगा. लेकिन नरेश पटेल का नाम अभी भी गायब है.

वहीं खोडलधाम संस्थान के दूसरे बड़े पाटीदार नेता परेश गजेरा को बीजेपी ने काफी अहमियत दी है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नरेश पटेल का कांग्रेस के प्रति झुकाव इसका एक कारण हो सकता है इसलिए बीजेपी परेश गजेरा को तरजीह दे रही है. परेश गजेरा सौराष्ट्र के जाने-माने चेहरे हैं. बीजेपी उनका कद बढ़ाकर पाटीदारों के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है ताकि वोट का खेल खराब न हो. बीजेपी की सोच यह भी है कि अगर नरेश पटेल ने कांग्रेस में जाने का फैसला कर भी लिया तो परेश गजेरा के जरिए पाटीदार वोटरों को रोका जा सकता है.

नरेश पटेल पर कांग्रेस की नजर: हार्दिक पटेल के गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस की निगाहें नरेश पटेल पर टिकी हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लगातार उनके संपर्क में हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि अगर गुजरात को सत्ता पर कब्जा करना है तो पाटीदार वोट बैंक से हाथ धोना पड़ेगा, इसलिए हार्दिक पटेल के जाते ही कांग्रेस नरेश पटेल के पक्ष में हो गई है. नरेश पटेल पाटीदार समाज का जाना-माना चेहरा हैं. वह धार्मिक संगठन खोदलधाम के अध्यक्ष भी हैं.

सौराष्ट्र में पाटीदारों का दबदबा: सौराष्ट्र की 54 सीटों के 2017 के चुनाव में बीजेपी को यहां कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिली थी. पाटीदार आंदोलन के चलते सौराष्ट्र में कांग्रेस ने 55% यानी 30 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी ने 33 फीसदी यानी 23 सीटों पर जीत हासिल की थी. बता दें कि साल 2015 में पाटीदार आंदोलन के दौरान 14 पाटीदार युवकों की हत्या कर दी गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पर पाटीदारों को ओबीसी के तहत आरक्षण कोटे में शामिल करने का दबाव बढ़ गया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदारों की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा था.

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Last Updated : May 28, 2022, 4:10 PM IST
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