अहमदाबाद : गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर सरकार बनने जा रही है. भारतीय जनता पार्टी ने रिकॉर्ड 156 सीटों पर जीत हासिल की है. पार्टी ने 2002 चुनाव में हासिल कीं 127 सीटों का अपना रिकॉर्ड तो तोड़ा ही है साथ ही 1985 में माधव सिंह सोलंकी वाली कांग्रेस सरकार के 149 के आंकड़े को पार कर नया कीर्तिमान बनाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 156 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की. कांग्रेस पार्टी 17 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने 5 सीटों पर जीत हासिल की. निर्दलीयों ने तीन सीटें जीतीं और समाजवादी पार्टी ने एक सीट जीती.
गुजरात में 27 सीटें अनुसूचित जनजाति और 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं. पारंपरिक तौर पर यहां पर कांग्रेस मजबूत रही है. पर, इस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को यहां पर बड़ा झटका दिया है. इन इलाकों में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की योजनाओं का फायदा यहां पर लोगों को मिला, और यह परिणाम में भी दिखा. उत्तर गुजरात में चुनाव से कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी ने आठ हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया था.
2017 में कांग्रेस के पक्ष में कई कारक थे. पाटीदार आरक्षण आंदोलन की वजह से भाजपा के खिलाफ राजनीतिक माहौल बना था. उस समय उना फैक्टर (दलित आंदोलन) भी कांग्रेस के पक्ष में था. गुजरात में मालधारी समुदाय ने खुले तौर पर कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी. इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. नोटबंदी और जीएसटी का मुद्दा था. पिछले पांच सालों में कांग्रेस के 14 नेता भाजपा की ओर चले गए. इस बार इसका भी असर देखने को मिला. ऐसा कहा जाता है कि कांग्रेस के पास संगठन है, लेकिन नैरेटिव नहीं है और यह पार्टी को भारी पड़ गया. खुद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहे, लेकिन उन्होंने प्रचार से दूरी बना ली थी. उन्होंने सिर्फ दो रैलियों को यहां पर संबोधित किया. जब से गुजरात का गठन हुआ है, तब से कांग्रेस को कभी भी 30 फीसदी से कम वोट नहीं आए हैं.
आप और एआईएमआईएम फैक्टर की वजह से कांग्रेस को जबरदस्त झटका लगा. दरियापुर निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार ग्यासुद्दीन शेख थे. उन्हें 55,847 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार कौशिक जैन को 61,090 वोट मिले. यहां से आप के ताज मोहम्मद को 4,164 और एआईएमआईएम के उम्मीदवार को 1,771 वोट मिले. यह सीट कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जाती थी. पोरबंदर सीट से कांग्रेस के अर्जुन मोढवाडिया ने बीजेपी के बाबू बोखिरिया को 8,000 वोटों से हराया. कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रिका बारिया भाजपा प्रत्याशी महेंद्रभाई भाभोर से चुनाव हार गए. भाभोर को 60,021 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 32,965 वोट मिले और आप उम्मीदवार शैलेश भाभोर को 28,574 वोट मिले.
तीसरी बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा की जीत : अनुसूचित जनजाति समुदाय राज्य की आबादी का लगभग 14 प्रतिशत है और 182 सदस्यीय विधानसभा में उनके लिए आरक्षित 27 सीटों के साथ पूर्वी बेल्ट में फैले हुए हैं. 1995 के बाद से यह केवल तीसरी बार है जब अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा की संख्या कांग्रेस से आगे निकल गई है. कांग्रेस और आप दोनों ने राज्य में सत्ता में आने पर पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) (पीईएसए) अधिनियम को लागू करने का वादा किया था.
केजरीवाल ने यह सुनिश्चित करने का भी वादा किया था कि अधिनियम के तहत जनजातीय सलाहकार समिति का नेतृत्व समुदाय के एक सदस्य द्वारा किया जाएगा. दूसरी ओर, भाजपा ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए विशेष बजट के आवंटन के माध्यम से अपनी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को उजागर किए थे. जहां कांग्रेस को परंपरागत रूप से शिक्षा और सामाजिक सुधारों के लिए क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों के एक नेटवर्क के माध्यम से आदिवासियों का समर्थन प्राप्त था, वहीं भाजपा ने हाल के वर्षों में अपने हिंदुत्व के मुद्दे से अपनी पैठ बना ली है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जु खड़गे ने कहा कि गुजरात में जहां हारे हैं उसे स्वीकार करेंगे, जहां जीते हैं वहां बधाई देगें. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हार-जीत होती रहती है. हम देखेंगे- जहां कमियां होंगी, उन्हें दूर करेंगे.
हिमाचल चुनाव को लेकर खड़गे ने कहा कि सभी मतदाताओं को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा, 'कार्यकर्ताओं और नेताओं के प्रयास से यह नतीजा आया है. मैं प्रियंका गांधी जी का धन्यवाद करता हूं. राहुल गांधी जी की भारत जोड़ो यात्रा का भी योगदान रहा.' सरकार गठन की औपचारिकताओं और राज्यपाल से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में पर्यवेक्षक फैसला करेंगे.
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