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Gujarat court riots case: गुजरात की अदालत ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के मामले में 22 आरोपियों को बरी किया

गुजरात में वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के मामले में अदालत ने सबूतों के आभाव में 22 आरोपियों को बरी कर दिया.

Gujarat court acquits 22 accused in post-Godhra riots case (representational photo)
गुजरात की अदालत ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के मामले में 22 आरोपियों को बरी किया (प्रतीकात्मक फोटो )
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Published : Jan 25, 2023, 1:06 PM IST

गोधरा: गुजरात के पंचमहल जिले के हलोल कस्बे की एक अदालत ने राज्य में 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के एक मामले में दो बच्चों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के 17 सदस्यों की हत्या के आरोपी 22 लोगों को मंगलवार को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. बचाव पक्ष के वकील गोपालसिंह सोलंकी ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें से आठ की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई.

सोलंकी ने कहा, 'जिले के देलोल गांव में दो बच्चों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों की हत्या और दंगा करने के मामले में अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.' अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ितों को 28 फरवरी, 2002 को मार दिया गया था और सबूत नष्ट करने के इरादे से उनके शव को जला दिया गया था.

पंचमहल जिले के गोधरा कस्बे के पास 27 फरवरी, 2002 को भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी जलाए जाने के एक दिन बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. बोगी जलाए जाने की घटना में 59 यात्रियों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकांश कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. देलोल गांव में हिंसा के बाद हत्या और दंगे से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

ये भी पढ़ें- SC bail to Ashish Mishra: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को सशर्त जमानत

एक अन्य पुलिस निरीक्षक ने घटना के लगभग दो साल बाद नए सिरे से मामला दर्ज किया और दंगों में शामिल होने के आरोप में 22 लोगों को गिरफ्तार किया.
सोलंकी ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने में असमर्थ रहा और यहां तक कि गवाह भी मुकर गए. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़ितों के शव कभी नहीं मिले.

पुलिस ने एक नदी के किनारे एक सुनसान जगह से हड्डियां बरामद कीं, लेकिन वे इस हद तक जली हुई थीं कि पीड़ितों की पहचान स्थापित नहीं की जा सकी. उन्होंने कहा, 'सबूतों के अभाव में अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें से आठ की सुनवाई के दौरान मौत हो गई.'

(पीटीआई-भाषा)

गोधरा: गुजरात के पंचमहल जिले के हलोल कस्बे की एक अदालत ने राज्य में 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के एक मामले में दो बच्चों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के 17 सदस्यों की हत्या के आरोपी 22 लोगों को मंगलवार को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. बचाव पक्ष के वकील गोपालसिंह सोलंकी ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें से आठ की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई.

सोलंकी ने कहा, 'जिले के देलोल गांव में दो बच्चों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों की हत्या और दंगा करने के मामले में अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.' अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ितों को 28 फरवरी, 2002 को मार दिया गया था और सबूत नष्ट करने के इरादे से उनके शव को जला दिया गया था.

पंचमहल जिले के गोधरा कस्बे के पास 27 फरवरी, 2002 को भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी जलाए जाने के एक दिन बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. बोगी जलाए जाने की घटना में 59 यात्रियों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकांश कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. देलोल गांव में हिंसा के बाद हत्या और दंगे से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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एक अन्य पुलिस निरीक्षक ने घटना के लगभग दो साल बाद नए सिरे से मामला दर्ज किया और दंगों में शामिल होने के आरोप में 22 लोगों को गिरफ्तार किया.
सोलंकी ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने में असमर्थ रहा और यहां तक कि गवाह भी मुकर गए. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़ितों के शव कभी नहीं मिले.

पुलिस ने एक नदी के किनारे एक सुनसान जगह से हड्डियां बरामद कीं, लेकिन वे इस हद तक जली हुई थीं कि पीड़ितों की पहचान स्थापित नहीं की जा सकी. उन्होंने कहा, 'सबूतों के अभाव में अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें से आठ की सुनवाई के दौरान मौत हो गई.'

(पीटीआई-भाषा)

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