अहमदाबाद: गुजरात में जब विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) हो रहा है तो महिलाओं की भागीदारी की बात करना बेहद जरूरी हो जाता है. 1960 से अब तक केवल एक महिला मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और केवल एक विधानसभा अध्यक्ष डॉ. निमाबेन आचार्य बनी हैं. विधानसभा में महिला सदस्यों की संख्या 10 फीसदी से भी कम रह गई है. अब तक हुए 13 चुनावों में 2307 विधायक चुने गए, जिनमें से केवल 111 महिलाएं थीं.
गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र से अलग होने के बाद 1 मई 1960 को पहली बार गुजरात राज्य अस्तित्व में आया. उस दौरान डॉ. जीवराज मेहता पहले मुख्यमंत्री बने और कल्याणजी मेहता विधान सभा के पहले अध्यक्ष बने. करीब 54 साल बाद मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 22 मई 2014 को गुजरात की बागडोर आनंदीबेन पटेल के पास आ गई. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल 6 अगस्त 2016 तक गुजरात की मुख्यमंत्री रहीं और बाद में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
10 फीसदी से भी कम महिलाओं का प्रतिनिधित्व
27 सितंबर 2021 को डॉ. निमाबेन आचार्य राज्य विधानसभा की पहली महिला स्पीकर बनीं. डॉ. निमाबेन ने 2007 से पहले कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गईं. डॉ. नीमाबेन राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनीं. राज्य में 1960 से 2017 तक 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 2307 विधायक चुने गए हैं, जिनमें से पुरुष विधायकों की संख्या 2196 है.
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वहीं दूसरी ओर महिला विधायकों की संख्या केवल 111 है. 2022 में सबसे चर्चित महिला चेहरा कांग्रेस की अमीबेन याज्ञनिक का है, जो भाजपा की सबसे मजबूत सीट घाटलोडिया से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी हैं. वह हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं और महिला सशक्तिकरण के काम से जुड़ी हैं. उनके अलावा एक अन्य महिला उम्मीदवार जनसेवा ड्राइवर पार्टी की संजूबेन रेगर भी हैं. इसी सीट से कुल 11 उम्मीदवार हैं.