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गुजरात विधानसभा चुनाव: बीजेपी की बढ़ी चिताएं, कहा- आप करेगी वोटकटवा पार्टी का काम - बीजेपी की बढ़ी चिताएं

गुजरात विधानसभा को लेकर भारतीय जनता पार्टी की चिंताएं बढ़ी हुईं हैं. आम आदमी पार्टी के राज्य में आने से यह मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है. बीजेपी का मानना है कि आम आदमी पार्टी कुछ सीटों पर वोटकटवा पार्टी के तौर पर काम करेगी. पढ़िए इस पर हमारी वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

Bharatiya Janata Party and Aam Aadmi Party
भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी
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Published : Nov 25, 2022, 9:04 PM IST

नई दिल्ली: गुजरात को लेकर बीजेपी की बढ़ी चिंता का सबसे बड़ा विषय बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट है. पार्टी के इंटरनल सर्वे में ये बात कही गई है कि त्रिकोणीय संघर्ष में सिटिंग सीटों में से 19 सिटिंग सीट पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है और उनमें यदि आम आदमी पार्टी को अच्छे वोट मिलते हैं, तो वहां बीजेपी के लिए सीटें निकालना भी मुश्किल हो सकता है और इन सीटों पर ही आम आदमी को मिलने वाले वोट के अंदेशे से पार्टी के आला नेता नई रणनीति तैयार कर रहे हैं.

वैसे तो बीजेपी चुनाव से पहले भी गुजरात में कई सर्वे करवा चुकी है, लेकिन पार्टी गुजरात विधान सभा चुनाव को लेकर बहुत संजीदा है और प्रचार के हर चरण में आंतरिक सर्वे करवाए जा रहे, ताकि किसी भी सीट पर कोई कसर न छोड़ी जाए. सूत्रों के मुताबिक हाल के सर्वे ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है, जिसमे यह बताया गया है की पिछली बार की जीती हुई 19 ऐसी सीटे हैं, जहां आम आदमी पार्टी को अगर दस फीसदी से अधिक वोट मिले, तो बीजेपी का प्रत्यासी वहा बड़े अंतर से चुनाव हार सकता है.

पिछले चुनाव में बीजेपी को 99 सीट मिली थी, वहीं कांग्रेस को 77 सीट मिली थी. यदि देखा जाए तो बीजेपी के सामने अब 4 फीसदी वोटों को रोकने की सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं सूत्रों की माने तो सर्वे में ये भी कहा गया है कि अगर आम आदमी पार्टी को इन उन्नीस सीटों पर आठ फीसदी तक वोट मिलते है, तो वो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी. लेकिन अगर आम आदमी पार्टी दस फीसदी या इससे ऊपर वोट लेती हैं तो ये बीजेपी को सीधा नुकसान पहुंचा सकती है.

हालांकि रिपोर्ट में इस नुकसान की भरपाई कांग्रेस की सिटिंग सीटों से होने की बात भी कही गई है. पार्टी के आंतरिक सर्वे में ये बात भी साफ कही गई है कि चालीस साल या उससे कम उम्र के एक तिहाई मतदाता बदलाव चाहते हैं. उनका कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी की तरफ खिंचाव को पार्टी हर हाल में नियंत्रण करना चाहती है, इसलिए पार्टी अपनी हालिया रणनीति भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर बना रहीं है.

गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कितनी सीटें जीतेगी, ये तो फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन अपने आंतरिक सर्वे के बाद सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ये मान रही है कि कुछ सीटों पर आमआदमी पार्टी वोटकटवा पार्टी का काम कर सकती है और कुछ जगह उसे एंटी इनकंबैंसी की वजह से नुकसान उठाना पड़ सकता है. लिहाजा अब पार्टी ने अपने चुनावी अभियान की रणनीति में वोट मैनेजमेंट को भी जोड़ दिया है.

पढ़ें: पश्चिम बंगाल: भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात

पार्टी के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता जो लगातार गुजरात में बने हुए हैं, उन्होंने नाम ना लेने की शर्त पर कहा की किसी भी अन्य पार्टी की तरह इतने सालों के बावजूद उनकी पार्टी की छवि गुजरात में अच्छी है और उनकी पार्टी लगातार राज्य में काम कर रही है. उनका दावा है की गुजरात में विकास कार्यों का सिलसिला जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे, तब से ही शुरू हुआ था, जिसकी अभी भी लगातार डबल इंजन की सरकार बढ़ा रही है, इसलिए उनका दावा है कि कोई भी नई पार्टी पर गुजरात की जनता अपना दांव नहीं खेलना चाहेगी.

नई दिल्ली: गुजरात को लेकर बीजेपी की बढ़ी चिंता का सबसे बड़ा विषय बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट है. पार्टी के इंटरनल सर्वे में ये बात कही गई है कि त्रिकोणीय संघर्ष में सिटिंग सीटों में से 19 सिटिंग सीट पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है और उनमें यदि आम आदमी पार्टी को अच्छे वोट मिलते हैं, तो वहां बीजेपी के लिए सीटें निकालना भी मुश्किल हो सकता है और इन सीटों पर ही आम आदमी को मिलने वाले वोट के अंदेशे से पार्टी के आला नेता नई रणनीति तैयार कर रहे हैं.

वैसे तो बीजेपी चुनाव से पहले भी गुजरात में कई सर्वे करवा चुकी है, लेकिन पार्टी गुजरात विधान सभा चुनाव को लेकर बहुत संजीदा है और प्रचार के हर चरण में आंतरिक सर्वे करवाए जा रहे, ताकि किसी भी सीट पर कोई कसर न छोड़ी जाए. सूत्रों के मुताबिक हाल के सर्वे ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है, जिसमे यह बताया गया है की पिछली बार की जीती हुई 19 ऐसी सीटे हैं, जहां आम आदमी पार्टी को अगर दस फीसदी से अधिक वोट मिले, तो बीजेपी का प्रत्यासी वहा बड़े अंतर से चुनाव हार सकता है.

पिछले चुनाव में बीजेपी को 99 सीट मिली थी, वहीं कांग्रेस को 77 सीट मिली थी. यदि देखा जाए तो बीजेपी के सामने अब 4 फीसदी वोटों को रोकने की सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं सूत्रों की माने तो सर्वे में ये भी कहा गया है कि अगर आम आदमी पार्टी को इन उन्नीस सीटों पर आठ फीसदी तक वोट मिलते है, तो वो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी. लेकिन अगर आम आदमी पार्टी दस फीसदी या इससे ऊपर वोट लेती हैं तो ये बीजेपी को सीधा नुकसान पहुंचा सकती है.

हालांकि रिपोर्ट में इस नुकसान की भरपाई कांग्रेस की सिटिंग सीटों से होने की बात भी कही गई है. पार्टी के आंतरिक सर्वे में ये बात भी साफ कही गई है कि चालीस साल या उससे कम उम्र के एक तिहाई मतदाता बदलाव चाहते हैं. उनका कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी की तरफ खिंचाव को पार्टी हर हाल में नियंत्रण करना चाहती है, इसलिए पार्टी अपनी हालिया रणनीति भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर बना रहीं है.

गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कितनी सीटें जीतेगी, ये तो फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन अपने आंतरिक सर्वे के बाद सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ये मान रही है कि कुछ सीटों पर आमआदमी पार्टी वोटकटवा पार्टी का काम कर सकती है और कुछ जगह उसे एंटी इनकंबैंसी की वजह से नुकसान उठाना पड़ सकता है. लिहाजा अब पार्टी ने अपने चुनावी अभियान की रणनीति में वोट मैनेजमेंट को भी जोड़ दिया है.

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पार्टी के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता जो लगातार गुजरात में बने हुए हैं, उन्होंने नाम ना लेने की शर्त पर कहा की किसी भी अन्य पार्टी की तरह इतने सालों के बावजूद उनकी पार्टी की छवि गुजरात में अच्छी है और उनकी पार्टी लगातार राज्य में काम कर रही है. उनका दावा है की गुजरात में विकास कार्यों का सिलसिला जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे, तब से ही शुरू हुआ था, जिसकी अभी भी लगातार डबल इंजन की सरकार बढ़ा रही है, इसलिए उनका दावा है कि कोई भी नई पार्टी पर गुजरात की जनता अपना दांव नहीं खेलना चाहेगी.

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