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जानें कैसे दिल्ली में ग्रीन कॉरीडोर ने कांस्टेबल को दी नई जिदंगी

दिल्ली में यकृत (लिवर) प्रतिरोपण का इंतजार कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 42 वर्षीय एक कर्मी को शुक्रवार को नई जिंदगी मिल गई.

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Published : Jul 24, 2021, 7:13 AM IST

नई दिल्ली : यकृत (लिवर) प्रतिरोपण का इंतजार कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 42 वर्षीय एक कर्मी को शुक्रवार को नयी जिंदगी मिल गई. दरअसल, 70 वर्षीय एक व्यक्ति का यकृत महज 22 मिनट में 23 किमी की दूरी तय कर उसके प्रतिरोपण के लिए यहां एक अस्पताल पहुंचाया गया. शहर के एक अस्पताल ने यह जानकारी दी.

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने शुक्रवार को शहर में जसोला से राजेंद्र प्लेस तक 23 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया, ताकि एक मृत व्यक्ति के लीवर को तेजी से ले जाकर एक अन्य व्यक्ति को प्रत्यारोपित करके उसे नया जीवन दिया जा सके. लीवर (जिगर) को जसोला के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल से राजेंद्र प्लेस के बीएलके मैक्स अस्पताल में मात्र 22 मिनट में 23 किलोमीटर के रास्ते से ले जाया गया.
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने एक बयान में कहा कि मस्तिष्काघात का शिकार हुए 70 वर्षीय व्यक्ति का यकृत बीएसएफ कर्मी के शरीर में प्रतिरोपित किया गया.अस्पताल के चिकित्सकों ने सर्जरी कर मध्य प्रदेश के ग्वालियर निवासी बीएसएफ कर्मी को एक नयी जिंदगी दी.
बीएलके में एचपीबी सर्जरी और लीवर प्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ निदेशक और एचओडी अभिदीप चौधरी ने एक बयान में कहा, हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि लगभग सात घंटे तक चली सर्जरी में, हम 42 वर्षीय पुरुष बीएसएफ कांस्टेबल को एक नया जीवन देने में कामयाब रहे, जो लंबे समय से प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे थे.

कांस्टेबल जॉन्डिस, जलोदर (पेट में तरल पदार्थ का असामान्य निर्माण), यकृत एन्सेफैलोपैथी (गंभीर जिगर की बीमारी के कारण मस्तिष्क के कार्य में गिरावट) और आवर्तक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव के साथ अंतिम चरण के जिगर की बीमारी से पीड़ित थे.

चौधरी ने कहा, उन्हें इस साल 21 मई से लिवर कोमा की स्थिति में हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीज की हालत गंभीर थी, हालांकि, उसके परिवार का कोई भी सदस्य दान के लिए उपयुक्त नहीं था. डॉक्टर ने कहा कि मरीज ठीक हो रहा है.

इसे भी पढ़ें : AIIMS में डॉक्टर ने अपनी परवाह किए बिना बचाई कोरोना मरीज की जान

उन्होंने कहा, हम उस दाता के परिवार के ऋणी हैं, जिसने गंभीर रोगियों को उनके नुकसान (मृत्यु) के समय में भी सेवा देने का फैसला किया. अंगदान कई अनमोल जीवन बचा सकता है और मुझे वास्तव में उम्मीद है कि हर कोई इस कारण को स्वीकार करेगा. हम सभी संबंधित अधिकारियों जैसे नोटो और दिल्ली पुलिस को भी त्वरित कार्रवाई करने और इसे संभव बनाने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : यकृत (लिवर) प्रतिरोपण का इंतजार कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 42 वर्षीय एक कर्मी को शुक्रवार को नयी जिंदगी मिल गई. दरअसल, 70 वर्षीय एक व्यक्ति का यकृत महज 22 मिनट में 23 किमी की दूरी तय कर उसके प्रतिरोपण के लिए यहां एक अस्पताल पहुंचाया गया. शहर के एक अस्पताल ने यह जानकारी दी.

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने शुक्रवार को शहर में जसोला से राजेंद्र प्लेस तक 23 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया, ताकि एक मृत व्यक्ति के लीवर को तेजी से ले जाकर एक अन्य व्यक्ति को प्रत्यारोपित करके उसे नया जीवन दिया जा सके. लीवर (जिगर) को जसोला के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल से राजेंद्र प्लेस के बीएलके मैक्स अस्पताल में मात्र 22 मिनट में 23 किलोमीटर के रास्ते से ले जाया गया.
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने एक बयान में कहा कि मस्तिष्काघात का शिकार हुए 70 वर्षीय व्यक्ति का यकृत बीएसएफ कर्मी के शरीर में प्रतिरोपित किया गया.अस्पताल के चिकित्सकों ने सर्जरी कर मध्य प्रदेश के ग्वालियर निवासी बीएसएफ कर्मी को एक नयी जिंदगी दी.
बीएलके में एचपीबी सर्जरी और लीवर प्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ निदेशक और एचओडी अभिदीप चौधरी ने एक बयान में कहा, हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि लगभग सात घंटे तक चली सर्जरी में, हम 42 वर्षीय पुरुष बीएसएफ कांस्टेबल को एक नया जीवन देने में कामयाब रहे, जो लंबे समय से प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे थे.

कांस्टेबल जॉन्डिस, जलोदर (पेट में तरल पदार्थ का असामान्य निर्माण), यकृत एन्सेफैलोपैथी (गंभीर जिगर की बीमारी के कारण मस्तिष्क के कार्य में गिरावट) और आवर्तक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव के साथ अंतिम चरण के जिगर की बीमारी से पीड़ित थे.

चौधरी ने कहा, उन्हें इस साल 21 मई से लिवर कोमा की स्थिति में हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीज की हालत गंभीर थी, हालांकि, उसके परिवार का कोई भी सदस्य दान के लिए उपयुक्त नहीं था. डॉक्टर ने कहा कि मरीज ठीक हो रहा है.

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उन्होंने कहा, हम उस दाता के परिवार के ऋणी हैं, जिसने गंभीर रोगियों को उनके नुकसान (मृत्यु) के समय में भी सेवा देने का फैसला किया. अंगदान कई अनमोल जीवन बचा सकता है और मुझे वास्तव में उम्मीद है कि हर कोई इस कारण को स्वीकार करेगा. हम सभी संबंधित अधिकारियों जैसे नोटो और दिल्ली पुलिस को भी त्वरित कार्रवाई करने और इसे संभव बनाने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं.

(आईएएनएस)

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