नई दिल्ली : संसद में केंद्र सरकार के इस दावे पर कड़ा प्रहार करते हुए कि भारत में कोविड-19 के कारण केवल 162 डॉक्टरों की मौत हुई, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सरकार से एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की अपील की, ताकि डॉक्टरों की मौत का ठीक तरीके से अध्ययन किया जा सके.
आईएमए ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे से एक स्वर में अपील की है कि उच्च स्तरीय समिति को मृतक डॉक्टरों के डेटा पर अध्ययन करना चाहिए. इसके साथ ही कोरोना काल में जिन डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई है, उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, राज्य सभा में आपकी घोषणा से हम स्तब्ध हैं कि 22 जनवरी तक भारत में कोविड-19 के कारण केवल 162 डॉक्टरों की मृत्यु हुई है, जो आईएमए द्वारा जारी आंकड़ों के विपरीत है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि भारत में कोविड-19 के कारण 734 डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई है. इन कुल मृतकों में से 431 सामान्य चिकित्सक हैं, जो लोगों के लिए संपर्क का पहला बिंदु हैं. डॉक्टरों को एक समुदाय के रूप में एक उच्च वायरल नोड और एक उच्च सीएफआर (मामले में घातक अनुपात) का सामना करना पड़ता है.
आईएमए ने कहा, उन्होंने चिकित्सा पेशे की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं में राष्ट्र की सेवा करने का विकल्प चुना. भारत सरकार इस तथ्य को स्वीकार करने व इसे महत्वपूर्ण समझने के साथ ही मान्यता देने में विफल रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक विनाशकारी महामारी में आधुनिक चिकित्सा के अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं ने परोपकार की लड़ाई लड़ी थी और अपनी जान गंवा दी थी, लेकिन भारत सरकार द्वारा उन्हें वह सम्मान नहीं मिला.
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उन्होंने आगे कहा, हम आईएमए द्वारा दिए गए आंकड़ों की पुष्टि करने में केंद्र सरकार की उदासीनता की निंदा करते हैं.
मंगलवार को राज्य सभा में भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए चौबे ने कहा, स्वास्थ्य कर्मचारियों पर राज्यों से प्राप्त इंटिमेशन के आधार पर, जिनमें डॉक्टर, नर्स और आशा कार्यकर्ता शामिल हैं, सरकार ने बीमा संवितरण की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया गया है. कोविड-19 महामारी के दौरान 22 जनवरी तक 162 डॉक्टरों, 107 नर्सों और 44 आशा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई.