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बालासोर ट्रेन हादसे पर जवाबदेही तय करने से ध्यान न भटकाए सरकार : खड़गे - बालासोर ट्रेन हादसे पर कांग्रेस का बयान

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है. इसकी भरपाई होना मुश्किल है.

Congress President Mallikarjun Kharge
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
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Published : Jun 5, 2023, 1:04 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को सरकार पर बालासोर रेल हादसे को लेकर जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने एवं ध्यान भटकाने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा कि इस दुर्घटना के सभी पहलुओं की जांच कर सच्चाई सामने लाई जानी चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में इस हादसे की सीबीआई जांच के फैसले के औचित्य पर भी सवाल खड़े किए और दावा किया कि यह एजेंसी अपराधिक मामलों की छानबीन के लिए बनी है तथा यह ऐसे मामले में तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलता की जवाबदेही तय नहीं कर सकती.

  • The devastating train accident in Odisha has shocked the nation.

    Today, the most crucial step is to prioritise installation of mandatory safety standards to ensure safety of our passengers

    My letter to PM, Shri @narendramodi, highlighting important facts. pic.twitter.com/fx8IJGqAwk

    — Mallikarjun Kharge (@kharge) June 5, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

खड़गे ने पत्र में कहा, 'ओडिशा के बालासोर में हुई भारतीय इतिहास की भयावह रेल दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है... रेल लोगों के लिए परिवहन का सबसे भरोसेमंद और सस्ता साधन है.' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के कई ऐसे फैसले इस बीच लिए गए हैं, जिनसे रेलयात्रा असुरक्षित हो गयी है और जनता की समस्याएं बढ़ती गई हैं. पूर्व रेल मंत्री खड़गे ने कहा, 'रेलवे में करीब तीन लाख पद खाली हैं. जिस क्षेत्र में यह दुर्घटना हुई, उस पूर्व तट रेलवे में 8,278 पद खाली हैं. यही हाल उच्च पदों का है, जिनकी भर्ती में प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट कमेटी की भूमिका होती है.'

उनका कहना है कि 1990 के दशक में 18 लाख से अधिक रेल कर्मचारी थे, जो अब 12 लाख हैं और इनमें से 3.18 लाख कर्मचारी ठेके पर हैं. उन्होंने कहा कि रिक्तियों के कारण अनुसूचित जाति जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए सुनिश्चित नौकरियों को भी खतरा पैदा होता है. उनके मुताबिक, 'रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि रिक्तियों के कारण लोको पायलटों को लंबे समय तक काम करना पड़ा है. फिर भी ये पद क्यों नहीं भरे गये ?'

उन्होंने कहा, 'संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323 वीं रिपोर्ट (दिसंबर 2022) में रेलवे संरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों पर रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई जाने वाली बेरूखी और उपेक्षा के लिए रेलवे बोर्ड की आलोचना की है. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि सीआरएस केवल 8 से 10 प्रतिशत रेल हादसों की ही जांच करता है.' उन्होंने सवाल किया कि सीआरएस को और मजबूत तथा स्वायत्त बनाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया?

खड़गे का कहना है, 'कैग की ताज़ा ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खास उल्लेख है कि 2017-18 से 2020-21 के बीच 10 में से करीब सात रेल दुर्घटनाएं रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की वजह से हुईं. लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया.' उन्होंने दावा किया कि कैग की रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 79 प्रतिशत फंडिंग कम की गई. कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि अभी तक भारतीय रेल के महज चार प्रतिशत रेल मार्गों को ही 'कवच' से रक्षित क्यों किया जा सका है?

उन्होंने यह भी पूछा, 'क्या कारण है कि 2017-18 में रेल बजट को आम बजट के साथ जोड़ा गया? क्या इससे भारतीय रेल की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित नहीं हुई? क्या ऐसा काम रेलवे की स्वायत्तता को दरकिनार कर निजीकरण को बढावा देने के लिए किया गया था ?' उन्होंने बालासोर रेल हादसे का उल्लेख करते हुए कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जैसे जिम्मेदार लोग इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहते कि समस्याएं मौजूद हैं. जब रेल मंत्री यह दावा करते हैं कि उन्होंने दुर्घटना के असली कारण की तलाश कर ली है, फिर भी उन्होंने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध कर दिया.... ।'

खड़गे का कहना है, 'सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है. सीबीआई या दूसरी कानून प्रवर्तन एजेंसी तकनीकी, संस्थागत या राजनीतिक विफलताओं की जवाबदेही नहीं तय कर सकती है.' उन्होंने कहा, '2016 में हुए कानपुर रेल हादसे के समय सरकार ने एनआईए से उसकी जांच करने को कहा. इसके बाद, आपने स्वयं 2017 में एक चुनावी रैली में इसे 'साजिश' करार दिया था, और देश को ये भरोसा दिलाया था कि घटना में शामिल लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी. 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और आरोपपत्र दाखिल करने से इनकार कर दिया. देश अभी भी जानना चाहता है कि उन 150 मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है, जिनको टाला जा सकता था?'

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उन्होंने आरोप लगाया, 'यह भी संदेह उत्पन्न होता है कि आपकी सरकार का प्रणाली के भीतर की खामियों को दूर कर सुरक्षा को चाक चौबंद करने का कोई इरादा नहीं है. इसके बजाय सरकार जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.' खरगे ने कहा, 'ओडिशा की इस रेल दुर्घटना ने हम सबकी आंखें खोल दी हैं. रेल मंत्री और सरकार के सुरक्षा के तमाम दावों की पोल खुल गयी है. आम मुसाफिरों में इस दशा को लेकर काफी चिंता है. इस नाते इस दुर्घटना की सभी पहलुओं से जांच करके वास्तविक कारणों को प्रकाश में लाया जाये.'

उन्होंने प्रधानमंत्री से यह आग्रह भी किया, 'आज यह सबसे जरूरी है कि रेल सुरक्षा के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक और उपकरण मिशन मोड में प्राथमिकता के आधार पर रेल मार्गों पर लगाये जाने का निर्देश दिया जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो सके.'

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को सरकार पर बालासोर रेल हादसे को लेकर जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने एवं ध्यान भटकाने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा कि इस दुर्घटना के सभी पहलुओं की जांच कर सच्चाई सामने लाई जानी चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में इस हादसे की सीबीआई जांच के फैसले के औचित्य पर भी सवाल खड़े किए और दावा किया कि यह एजेंसी अपराधिक मामलों की छानबीन के लिए बनी है तथा यह ऐसे मामले में तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलता की जवाबदेही तय नहीं कर सकती.

  • The devastating train accident in Odisha has shocked the nation.

    Today, the most crucial step is to prioritise installation of mandatory safety standards to ensure safety of our passengers

    My letter to PM, Shri @narendramodi, highlighting important facts. pic.twitter.com/fx8IJGqAwk

    — Mallikarjun Kharge (@kharge) June 5, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

खड़गे ने पत्र में कहा, 'ओडिशा के बालासोर में हुई भारतीय इतिहास की भयावह रेल दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है... रेल लोगों के लिए परिवहन का सबसे भरोसेमंद और सस्ता साधन है.' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के कई ऐसे फैसले इस बीच लिए गए हैं, जिनसे रेलयात्रा असुरक्षित हो गयी है और जनता की समस्याएं बढ़ती गई हैं. पूर्व रेल मंत्री खड़गे ने कहा, 'रेलवे में करीब तीन लाख पद खाली हैं. जिस क्षेत्र में यह दुर्घटना हुई, उस पूर्व तट रेलवे में 8,278 पद खाली हैं. यही हाल उच्च पदों का है, जिनकी भर्ती में प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट कमेटी की भूमिका होती है.'

उनका कहना है कि 1990 के दशक में 18 लाख से अधिक रेल कर्मचारी थे, जो अब 12 लाख हैं और इनमें से 3.18 लाख कर्मचारी ठेके पर हैं. उन्होंने कहा कि रिक्तियों के कारण अनुसूचित जाति जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए सुनिश्चित नौकरियों को भी खतरा पैदा होता है. उनके मुताबिक, 'रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि रिक्तियों के कारण लोको पायलटों को लंबे समय तक काम करना पड़ा है. फिर भी ये पद क्यों नहीं भरे गये ?'

उन्होंने कहा, 'संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323 वीं रिपोर्ट (दिसंबर 2022) में रेलवे संरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों पर रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई जाने वाली बेरूखी और उपेक्षा के लिए रेलवे बोर्ड की आलोचना की है. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि सीआरएस केवल 8 से 10 प्रतिशत रेल हादसों की ही जांच करता है.' उन्होंने सवाल किया कि सीआरएस को और मजबूत तथा स्वायत्त बनाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया?

खड़गे का कहना है, 'कैग की ताज़ा ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खास उल्लेख है कि 2017-18 से 2020-21 के बीच 10 में से करीब सात रेल दुर्घटनाएं रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की वजह से हुईं. लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया.' उन्होंने दावा किया कि कैग की रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 79 प्रतिशत फंडिंग कम की गई. कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि अभी तक भारतीय रेल के महज चार प्रतिशत रेल मार्गों को ही 'कवच' से रक्षित क्यों किया जा सका है?

उन्होंने यह भी पूछा, 'क्या कारण है कि 2017-18 में रेल बजट को आम बजट के साथ जोड़ा गया? क्या इससे भारतीय रेल की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित नहीं हुई? क्या ऐसा काम रेलवे की स्वायत्तता को दरकिनार कर निजीकरण को बढावा देने के लिए किया गया था ?' उन्होंने बालासोर रेल हादसे का उल्लेख करते हुए कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जैसे जिम्मेदार लोग इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहते कि समस्याएं मौजूद हैं. जब रेल मंत्री यह दावा करते हैं कि उन्होंने दुर्घटना के असली कारण की तलाश कर ली है, फिर भी उन्होंने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध कर दिया.... ।'

खड़गे का कहना है, 'सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है. सीबीआई या दूसरी कानून प्रवर्तन एजेंसी तकनीकी, संस्थागत या राजनीतिक विफलताओं की जवाबदेही नहीं तय कर सकती है.' उन्होंने कहा, '2016 में हुए कानपुर रेल हादसे के समय सरकार ने एनआईए से उसकी जांच करने को कहा. इसके बाद, आपने स्वयं 2017 में एक चुनावी रैली में इसे 'साजिश' करार दिया था, और देश को ये भरोसा दिलाया था कि घटना में शामिल लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी. 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और आरोपपत्र दाखिल करने से इनकार कर दिया. देश अभी भी जानना चाहता है कि उन 150 मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है, जिनको टाला जा सकता था?'

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उन्होंने आरोप लगाया, 'यह भी संदेह उत्पन्न होता है कि आपकी सरकार का प्रणाली के भीतर की खामियों को दूर कर सुरक्षा को चाक चौबंद करने का कोई इरादा नहीं है. इसके बजाय सरकार जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.' खरगे ने कहा, 'ओडिशा की इस रेल दुर्घटना ने हम सबकी आंखें खोल दी हैं. रेल मंत्री और सरकार के सुरक्षा के तमाम दावों की पोल खुल गयी है. आम मुसाफिरों में इस दशा को लेकर काफी चिंता है. इस नाते इस दुर्घटना की सभी पहलुओं से जांच करके वास्तविक कारणों को प्रकाश में लाया जाये.'

उन्होंने प्रधानमंत्री से यह आग्रह भी किया, 'आज यह सबसे जरूरी है कि रेल सुरक्षा के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक और उपकरण मिशन मोड में प्राथमिकता के आधार पर रेल मार्गों पर लगाये जाने का निर्देश दिया जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो सके.'

पीटीआई-भाषा

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