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Caste Census : जाति जनगणना कराए सरकार, राज्यों में हो रहे ऐसे प्रयासों का विरोध बंद करे: कांग्रेस

कांग्रेस ने जाति जनगणना (Caste Census) कराए जाने की मांग उठाई है. कांग्रेस का आरोप है कि जनगणना नहीं होने की वजह से 14 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम का लाभ नहीं मिला.

jairam ramesh
जयराम रमेश
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 3:19 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना कराए और राज्यों में हो रहे इस तरह के प्रयासों का विरोध बंद करे.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश (jairam ramesh) ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार द्वारा जनगणना नहीं कराने की वजह से 14 करोड़ भारतीय नागरिकों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित होना पड़ा है.

उन्होंने यह भी कहा कि जनगणना होने तक खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थी का कोटा बढ़ाया जाना चाहिए. रमेश ने एक बयान में कहा, 'भारत अपनी बारी के अनुसार 18वें जी20 की अध्यक्षता कर रहा है. जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत उस विषय पर विचार करने का भी समय है, जो एनडीए (नो डाटा अवेलेबल) सरकार की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक को उजागर करता है.'

उन्होंने दावा किया कि सरकार 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना कराने में विफल रही है, जबकि इंडोनेशिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे अन्य विकासशील देश सहित, लगभग हर दूसरे जी20 देश कोविड-19 महामारी के बावजूद जनगणना कराने में कामयाब रहे हैं.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, 'मोदी सरकार इतनी अयोग्य और अक्षम है कि वह 1951 से तय समय पर होने वाली भारत की सबसे महत्वपूर्ण सांख्यिकीय प्रक्रिया को पूरा करने में असमर्थ रही है. यह हमारे देश के इतिहास में एक अभूतपूर्व विफलता है.'

उन्होंने कहा कि हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनगणना कराने में मोदी सरकार की विफलता के कारण 14 करोड़ भारतीय अनुमानित रूप से उनके भोजन के अधिकार से वंचित हो गए हैं. यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा नागरिकों को गारंटीकृत उनके मौलिक अधिकार से वंचित करना है, जिसे संप्रग सरकार ने ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से लागू किया था.

रमेश ने दावा किया कि मोदी सरकार न केवल जनगणना कराने में विफल रही है, बल्कि इसने 2011 में संप्रग सरकार द्वारा कराई गई सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना को भी दबा दिया है. उन्होंने कहा, 'केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में बिहार सरकार के राज्य-स्तरीय जाति जनगणना के प्रयास का भी विरोध किया.'

रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार को जब कोई डेटा अपने विमर्श के हिसाब से सही नहीं लगता है तो वह उसे बदनाम करती है, ख़ारिज करती है या फिर उसे एकत्र करना बंद कर देती है.

उन्होंने कहा, 'सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 14 करोड़ भारतीयों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करना बंद करे और जनगणना होने तक लाभार्थी कोटा बढ़ाए.'

रमेश ने कहा, 'सरकार एक राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए और राज्यों के स्तर पर हो रहे जाति जनगणना के प्रयासों का विरोध करना बंद करे.' उन्होंने सरकार से यह आग्रह भी किया, 'वर्ष 2017-18 के एनएसएस (राष्ट्रीय नमूना सर्वे) और 2022-23 के सीईएस (उपभोक्ता खर्च सर्वेक्षण) जैसे अपने लिए असुविधाजनक डेटा को दबाना बंद करे, स्वास्थ्य संकेतकों में अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हेरफेर करना बंद करे और भारत की ऐतिहासिक रूप से मजबूत सांख्यिकीय प्रणाली में जनविश्वास बहाल करे.'

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(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना कराए और राज्यों में हो रहे इस तरह के प्रयासों का विरोध बंद करे.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश (jairam ramesh) ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार द्वारा जनगणना नहीं कराने की वजह से 14 करोड़ भारतीय नागरिकों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित होना पड़ा है.

उन्होंने यह भी कहा कि जनगणना होने तक खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थी का कोटा बढ़ाया जाना चाहिए. रमेश ने एक बयान में कहा, 'भारत अपनी बारी के अनुसार 18वें जी20 की अध्यक्षता कर रहा है. जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत उस विषय पर विचार करने का भी समय है, जो एनडीए (नो डाटा अवेलेबल) सरकार की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक को उजागर करता है.'

उन्होंने दावा किया कि सरकार 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना कराने में विफल रही है, जबकि इंडोनेशिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे अन्य विकासशील देश सहित, लगभग हर दूसरे जी20 देश कोविड-19 महामारी के बावजूद जनगणना कराने में कामयाब रहे हैं.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, 'मोदी सरकार इतनी अयोग्य और अक्षम है कि वह 1951 से तय समय पर होने वाली भारत की सबसे महत्वपूर्ण सांख्यिकीय प्रक्रिया को पूरा करने में असमर्थ रही है. यह हमारे देश के इतिहास में एक अभूतपूर्व विफलता है.'

उन्होंने कहा कि हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनगणना कराने में मोदी सरकार की विफलता के कारण 14 करोड़ भारतीय अनुमानित रूप से उनके भोजन के अधिकार से वंचित हो गए हैं. यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा नागरिकों को गारंटीकृत उनके मौलिक अधिकार से वंचित करना है, जिसे संप्रग सरकार ने ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से लागू किया था.

रमेश ने दावा किया कि मोदी सरकार न केवल जनगणना कराने में विफल रही है, बल्कि इसने 2011 में संप्रग सरकार द्वारा कराई गई सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना को भी दबा दिया है. उन्होंने कहा, 'केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में बिहार सरकार के राज्य-स्तरीय जाति जनगणना के प्रयास का भी विरोध किया.'

रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार को जब कोई डेटा अपने विमर्श के हिसाब से सही नहीं लगता है तो वह उसे बदनाम करती है, ख़ारिज करती है या फिर उसे एकत्र करना बंद कर देती है.

उन्होंने कहा, 'सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 14 करोड़ भारतीयों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करना बंद करे और जनगणना होने तक लाभार्थी कोटा बढ़ाए.'

रमेश ने कहा, 'सरकार एक राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए और राज्यों के स्तर पर हो रहे जाति जनगणना के प्रयासों का विरोध करना बंद करे.' उन्होंने सरकार से यह आग्रह भी किया, 'वर्ष 2017-18 के एनएसएस (राष्ट्रीय नमूना सर्वे) और 2022-23 के सीईएस (उपभोक्ता खर्च सर्वेक्षण) जैसे अपने लिए असुविधाजनक डेटा को दबाना बंद करे, स्वास्थ्य संकेतकों में अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हेरफेर करना बंद करे और भारत की ऐतिहासिक रूप से मजबूत सांख्यिकीय प्रणाली में जनविश्वास बहाल करे.'

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