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सरकार ने लांच किया ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, बदलेगी किसानों-मछुआरों की किस्मत

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Published : Apr 13, 2021, 4:40 PM IST

देश के एक्वा किसानों और मछुआरों को खरीदारों और निर्यातकों से जोड़ने के लिए सरकार ने मंगलवार को ई-संता नामक एक ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया. इसके जरिए खरीदार और विक्रेता सीधे तौर पर जुड़ सकेंगे. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट में जानिए और क्या खास है इस ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में.

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नई दिल्ली : ई-संता पोर्टल एक्वाकल्चर किसानों के व्यापार को संवर्धित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक समाधान है. इसका नोडल निकाय नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (NaCSA) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) का एक हिस्सा है.

पोर्टल की लांचिंग अवसर पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ई-संता आय, जीवनशैली, आत्मनिर्भरता, गुणवत्ता स्तर, ट्रेसबिलिटी को बढ़ाएगा और हमारे एक्वा किसानों के लिए नए विकल्प प्रदान करेगा. गोयल ने कहा कि मंच औपचारिक रूप से व्यापार करने के पारंपरिक तरीके को बदल देगा.

मंत्री ने कहा कि नया ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जोखिम कम करके किसानों की आय बढ़ाएगा. उत्पादों और बाजारों के बारे में जागरुकता पैदा करेगा. गलत प्रथाओं के खिलाफ ढाल बनेगा और देश से एक्वा और समुद्री उत्पादों के व्यापार और निर्यात प्रक्रिया को आसान बनाएगा.

गोयल ने कहा कि नया टूल खरीदारों और विक्रेताओं के बीच बाजार से बिचौलियों को खत्म करेगा. यह किसानों और निर्यातकों के बीच कैशलेस, कॉन्टैक्टलेस और पेपरलेस इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड प्लेटफॉर्म प्रदान करके पारंपरिक एक्वा खेती में क्रांति लाएगा.

ई-संता सामूहिक रूप से उन उत्पादों का विज्ञापन करने का एक उपकरण बन सकता है, जिस तरह के उत्पाद, खरीदार, मछुआरे और मछली उत्पादक संगठन कर रहे हैं. इसलिए भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग जान सकते हैं कि क्या उपलब्ध है. यह भविष्य में एक नीलामी मंच बन सकता है.

गोयल ने कहा कि किसानों को एकाधिकार और शोषण का सामना करना पड़ रहा था. निर्यातकों को खरीदे गए उत्पादों में असंगति और गुणवत्ता की कमी का सामना करना पड़ रहा था. एक्वा उत्पादों की ट्रेसबिलिटी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ा मुद्दा था जो इस मंच के उपयोग के साथ बदल जाएगा.

ई-संता प्लेटफार्म

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा लॉन्च किया गया ई-संता पोर्टल एक्वा किसानों और निर्यातकों के बीच एक पूरी तरह से कागज रहित और एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार अब किसानों को अपनी उपज को सूचीबद्ध करने और उनकी कीमत को उद्धृत करने की स्वतंत्रता होगी.

जबकि निर्यातकों को अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करने और अपनी आवश्यकताओं के आधार पर उत्पादों का चयन करने की स्वतंत्रता होगी. जैसे वांछित आकार, स्थान, फसल और तारीखें आदि. नया ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म किसानों और खरीदारों को प्रत्येक उत्पाद सूची के विस्तृत विनिर्देश प्रदान करके व्यापार पर अधिक नियंत्रण रखने में सक्षम करेगा.

नया प्लेटफॉर्म एनसीएसए के साथ एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली द्वारा एक एस्क्रो एजेंट के रूप में समर्थित है. जिसका अर्थ है एक सरकारी एजेंसी भुगतान को अपने खाते में रखेगी और प्रसंस्करण केंद्र में उत्पादन के सफल वितरण पर विक्रेता को जारी करेगी.

ट्रेसेबिलिटी व ऑनलाइन भुगतान

मंत्रालय के अनुसार यदि एक बार किसी सौदे को अंतिम रूप दिया जाता है और अग्रिम भुगतान किया जाता है तो एक इलेक्ट्रॉनिक चालान तैयार किया जाएगा. साथ ही क्राॅप की तारीख तय की जाएगी. खरीदार निर्धारित तिथि पर फार्म पर जाएगा और खरीदार की उपस्थिति में उपज काटी जाएगी. एक बार जब फसल पूरी हो जाती है तो अंतिम गणना और सामग्री की मात्रा को सत्यापित किया जाता है.

यह भी पढ़ें-सुशील चंद्रा ने संभाला मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यभार

फिर अंतिम राशि तय की जाएगी और वितरण चालान जारी किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि अंतिम चालान तब उत्पन्न होगा जब सामग्री प्रसंस्करण संयंत्र तक पहुंच जाएगी और निर्यातक शेष भुगतान कर देगा.

नई दिल्ली : ई-संता पोर्टल एक्वाकल्चर किसानों के व्यापार को संवर्धित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक समाधान है. इसका नोडल निकाय नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (NaCSA) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) का एक हिस्सा है.

पोर्टल की लांचिंग अवसर पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ई-संता आय, जीवनशैली, आत्मनिर्भरता, गुणवत्ता स्तर, ट्रेसबिलिटी को बढ़ाएगा और हमारे एक्वा किसानों के लिए नए विकल्प प्रदान करेगा. गोयल ने कहा कि मंच औपचारिक रूप से व्यापार करने के पारंपरिक तरीके को बदल देगा.

मंत्री ने कहा कि नया ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जोखिम कम करके किसानों की आय बढ़ाएगा. उत्पादों और बाजारों के बारे में जागरुकता पैदा करेगा. गलत प्रथाओं के खिलाफ ढाल बनेगा और देश से एक्वा और समुद्री उत्पादों के व्यापार और निर्यात प्रक्रिया को आसान बनाएगा.

गोयल ने कहा कि नया टूल खरीदारों और विक्रेताओं के बीच बाजार से बिचौलियों को खत्म करेगा. यह किसानों और निर्यातकों के बीच कैशलेस, कॉन्टैक्टलेस और पेपरलेस इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड प्लेटफॉर्म प्रदान करके पारंपरिक एक्वा खेती में क्रांति लाएगा.

ई-संता सामूहिक रूप से उन उत्पादों का विज्ञापन करने का एक उपकरण बन सकता है, जिस तरह के उत्पाद, खरीदार, मछुआरे और मछली उत्पादक संगठन कर रहे हैं. इसलिए भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग जान सकते हैं कि क्या उपलब्ध है. यह भविष्य में एक नीलामी मंच बन सकता है.

गोयल ने कहा कि किसानों को एकाधिकार और शोषण का सामना करना पड़ रहा था. निर्यातकों को खरीदे गए उत्पादों में असंगति और गुणवत्ता की कमी का सामना करना पड़ रहा था. एक्वा उत्पादों की ट्रेसबिलिटी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ा मुद्दा था जो इस मंच के उपयोग के साथ बदल जाएगा.

ई-संता प्लेटफार्म

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा लॉन्च किया गया ई-संता पोर्टल एक्वा किसानों और निर्यातकों के बीच एक पूरी तरह से कागज रहित और एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार अब किसानों को अपनी उपज को सूचीबद्ध करने और उनकी कीमत को उद्धृत करने की स्वतंत्रता होगी.

जबकि निर्यातकों को अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करने और अपनी आवश्यकताओं के आधार पर उत्पादों का चयन करने की स्वतंत्रता होगी. जैसे वांछित आकार, स्थान, फसल और तारीखें आदि. नया ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म किसानों और खरीदारों को प्रत्येक उत्पाद सूची के विस्तृत विनिर्देश प्रदान करके व्यापार पर अधिक नियंत्रण रखने में सक्षम करेगा.

नया प्लेटफॉर्म एनसीएसए के साथ एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली द्वारा एक एस्क्रो एजेंट के रूप में समर्थित है. जिसका अर्थ है एक सरकारी एजेंसी भुगतान को अपने खाते में रखेगी और प्रसंस्करण केंद्र में उत्पादन के सफल वितरण पर विक्रेता को जारी करेगी.

ट्रेसेबिलिटी व ऑनलाइन भुगतान

मंत्रालय के अनुसार यदि एक बार किसी सौदे को अंतिम रूप दिया जाता है और अग्रिम भुगतान किया जाता है तो एक इलेक्ट्रॉनिक चालान तैयार किया जाएगा. साथ ही क्राॅप की तारीख तय की जाएगी. खरीदार निर्धारित तिथि पर फार्म पर जाएगा और खरीदार की उपस्थिति में उपज काटी जाएगी. एक बार जब फसल पूरी हो जाती है तो अंतिम गणना और सामग्री की मात्रा को सत्यापित किया जाता है.

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फिर अंतिम राशि तय की जाएगी और वितरण चालान जारी किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि अंतिम चालान तब उत्पन्न होगा जब सामग्री प्रसंस्करण संयंत्र तक पहुंच जाएगी और निर्यातक शेष भुगतान कर देगा.

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