चंडीगढ़ : अमृतसर के ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में स्थित शहादत कुएं को लेकर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है. शहीदी कुएं में पैसा डालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि पहले इस संबंध में शहीदी कुएं के पास एक बोर्ड लगाया गया था, इसके बावजूद पर्यटक कुएं में पैसा डालते थे. कुएं से पैसे बरामद किए गए हैं.
दुनिया भर से लोग जलियांवाला बाग देखने आते हैं. पर्यटक यहां शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारक में पैसा डालते थे, जिस पर अब पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. आपको बता दें कि जलियांवाला बाग को केंद्र सरकार ने जीर्णोद्धार के लिए बंद कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार के आदेश पर जांच के दौरान पता चला कि 28 अगस्त से अब तक जलियांवाला बाग के कुएं से करीब 8.5 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं. ये रकम जलियांवाला बाग मेमोरियल ट्रस्ट के खाते में जमा करा दी गई है.
कुएं के ऊपरी हिस्से को बंद करने का आदेश : शहीदी कुएं में पैसे न फेंकने के लिए बार्ड भी लगाया गया था, इसके बावजूद पर्यटक कुएं में पैसा डाल रहे हैं. सरकार ने इसे रोकने के लिए ऊपरी हिस्से को बंद करने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि 13 अप्रैल, 1919 को 50 ब्रिटिश-भारतीय सैनिकों ने निहत्थे नागरिकों पर लगभग 15 मिनट तक अंधाधुंध फायरिंग की थी. जनरल डायर की अगुवाई में अंग्रेजी हुकूमत की यह कार्रवाई इतिहास के काले पन्नों में एक है. 103 साल पहले हुई इस कार्रवाई में ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित 379 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए. अन्य स्रोत मृतकों की संख्या 1,000 से अधिक बताते हैं. जलियांवाला बाग हत्याकांड उस समय हुआ जब पंजाब क्षेत्र में लागू दमनकारी कानूनों के खिलाफ अमृसर व अन्य जगहों के लोग शांतिपूर्ण विरोध में भाग ले रहे थे.
जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद भारतीयों के आक्रोश को देखते हुए ब्रिटिश सरकार को जनरल डायर को निलंबित करना पड़ा और वह ब्रिटेन लौट गया. शहीद उधम सिंह ने 13 मार्च, 1940 को लंदन में जनरल डायर की गोली मारकर हत्या कर दी और जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लिया. भारत सरकार ने 1961 में, जलियांवाला बाग नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए वहां एक स्मारक का निर्माण करवाया, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस स्मारक का उद्घाटन किया था.
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